दरभंगा: केंद्र सरकार ने संसद में तीनों विवादित कृषि कानून वापस ले लिया है और करीब एक साल से आंदोलन कर रहे किसान अब घरों को लौट रहे हैं, लेकिन बिहार के किसानों की असली समस्या अब शुरू हुई है. एक तो भारी बारिश और बाढ़ की वजह से राज्य के अधिकतर जिलों में रबी फसल की बुवाई लेट से शुरू हो रही है, ऊपर से खाद की किल्लत ( Shortage Of Fertilizer In Bihar) के कारण किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है.
गेहूं की बुवाई के लिए डीएपी का जुगाड़ करने के लिए किसान खाद की दुकानों पर अहले सुबह 4 बजे से ही लाइन में लग रहे हैं. मजबूरी और लाचारी यह है कि ठंड से बचने के लिए एक हाथ में चाय की केतली तो दूसरे हाथ में कंबल है. ठंड से घंटों ठिठुर कर लाइन में लगने के बाद भी यह गारंटी नहीं है कि उन्हें डीएपी खाद का एक बोरा मिल ही जाए.
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सिंहवाड़ा प्रखंड के बिस्कोमान की सरकारी दुकान पर लाइन में लगे कई किसानों ने बताया कि खाद के लिए 10 दिनों से दौड़ रहे हैं फिर भी अब तक एक बोरा खाद नहीं मिला. किसानों ने कहा कि भीड़ बढ़ने पर पुलिस लाठी चला कर उन्हें हटाती है
किसान सूरज कुमार ने कंबल और चाय की केतली दिखाते हुए कहा कि 4 बजे भोर से ही डीएपी खाद के लिए लाइन में लगा हूं, लेकिन अब तक खाद नहीं मिला. बड़ी-बड़ी लाइन लगी है. यहां कोई सुनने वाला नहीं है.
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एक किसान विनय कुमार चौधरी ने बताया कि इस बार रबी के सीजन में बिना खाद के खेती कर रहे हैं. डीएपी के लिए कई दिनों से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन खाद नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि भीड़ इतनी ज्यादा है कि किसानों को पुलिस की लाठी तक खानी पड़ रही है. जैसे ही खाद आती है तुरंत स्टॉक खत्म हो जाता है.
वहीं, एक अन्य किसान संजीव चौधरी ने बताया कि उनके बूढ़े पिता पिछले 10 दिनों से आकर लाइन में लगते हैं और हर रोज निराश होकर लौट जाते हैं। उन्होंने कहा कि भीड़ जब ज्यादा बढ़ती है तो पुलिस आकर लोगों को हटा देती है. जो लोग आगे की पंक्ति में लगे होते हैं उनको भी पीछे कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि 10 दिन मेहनत करने के बाद भी अब तक एक बोरा खाद नहीं मिल सका है.
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बता दें कि 9 दिसंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समीक्षा बैठक (CM Nitish Review Meeting) की थी. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि अभी कई फसलों की बुआई का मौसम चल रहा है. किसानों को खाद की किल्लत नहीं हो इसको लेकर सरकार हर स्तर पर काम कर रही है. केंद्र सरकार से इसको लेकर बात की गई है. अधिकारी भी निरंतर केंद्र सरकार के संपर्क में हैं, ताकि खाद की आपूर्ति में किसी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न न हो. इसके बावजूद प्रदेश के हर जिले से हर इस तरह की समस्या सामने आ रही है.
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