दरभंगा: बिहार में कोरोना विस्फोट और उसके खतरनाक वेरिएंट ओमीक्रोन के खतरे पर नए साल का जश्न (New Year Celebration in Darbhanga) भारी पड़ता दिख रहा है. दरभंगा राज के प्रसिद्ध श्यामा मंदिर (Famous Shyama Temple in Darbhanga) में नए साल का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में भक्त उमड़े हैं. लोग माता से अपने परिवार और समाज की खुशहाली की कामना कर रहे हैं. इस अवसर पर कोरोना गाइडलाइंस का कहीं पालन होता नहीं दिख रहा है.
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भीड़ इतनी है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है. शायद ही कोई मास्क लगाकर मंदिर पहुंच रहा है. यह मंदिर दरभंगा राज की श्मशान भूमि है. यहां हर शुभ काम होता है.
'2022 के पहले दिन वे मां श्यामा के दर्शन करने आए हैं. मां श्यामा से अपने परिवार और समाज के कल्याण की कामना करते हैं. माता से प्रार्थना है कि दुनिया से कोरोना का नाश हो और सभी लोग खुशहाल हों.' - राधेश्याम प्रसाद, स्थानीय
वहीं, स्थानीय साव्यसांची ठाकुर ने कहा कि नए वर्ष में मंदिर का दर्शन करने के लिए वे अपने पूरे परिवार के साथ आए हैं. कोरोना के कारण पार्कों और पिकनिक स्पॉट्स को बंद कर दिया गया है. परिवार को लेकर कहीं घूमने नहीं जा सकते हैं. इस वजह से मंदिर में ही दर्शन करने आए हैं.
गौरतलब है कि श्यामा मंदिर दरभंगा राज की श्मशान भूमि पर बना है. श्यामा मंदिर महाराजा रामेश्वर सिंह की चिता पर स्थित है. इस श्मशान परिसर में विभिन्न देवी-देवताओं के एक दर्जन से ज्यादा मंदिर हैं जो किसी न किसी महाराजा या महारानी की चिता पर बने हैं. श्मशान भूमि में आज भी राज परिवार के लोगों का अंतिम संस्कार होता है. साथ ही यहां शादी-ब्याह और मुंडन से लेकर हर शुभ काम भी होता है. दरभंगा राज के महाराजा दुनिया के बड़े तांत्रिकों में शुमार हैं. यह उनकी तंत्र साधना स्थली हुआ करती थी.
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