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बिहार: 86 साल बाद रेलमार्ग से जुड़ेंगे मिथिलांचल के दो हिस्से - उत्तर बिहार का एक नया रेलखंड

पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि कोसी नदी पर बने रेलपुल का मोटर-ट्रॉली से निरीक्षण कर लिया गया है. 31 मार्च के बाद इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू होने की संभावना है. हालांकि अभी इसमें देरी हो सकती है.

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Published : Jan 22, 2020, 8:59 AM IST

Updated : Jan 22, 2020, 9:06 AM IST

पटना: वर्ष 1934 में आए भूकंप की वजह से कोसी नदी पर बना रेलपुल क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद यह रेलमार्ग बंद था. 86 साल बाद अब कोसी नदी पर रेलवे का पुल बनकर तैयार हो गया है, जिसके ऊपर अब जल्द ही ट्रेनें दौड़ेंगी.

इन क्षेत्रों को मिलेगा लाभ
कोसी नदी पर बने रेलपुल से ट्रेनों का परिचालन शुरू होने का सबसे ज्यादा लाभ दरभंगा, मधुबनी, सुपौल और सहरसा जिले में रहने वालों को होगा. कमलेश झा का कहना है कि इससे दरभंगा से सहरसा की दूरी काफी कम हो जाएगी. पहले दरभंगा से सहरसा वाया मानसी, खगड़िया, बेगूसराय, समस्तीपुर होकर ट्रेन चलती थी. इस रूट में सहरसा से दरभंगा के बीच की दूरी 176 किलोमीटर है. नए रेलखंड का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सहरसा से दरभंगा की दूरी घटकर मात्र 125 किमी रह जाएगी.

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पुल के बारे में जानकारी देने पहुंचे स्थानीय लोग

31 मार्च तक जताई जा रही है संभावना
पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि कोसी नदी पर बने रेलपुल का मोटर-ट्रॉली से निरीक्षण कर लिया गया है. 31 मार्च के बाद इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू होने की संभावना है. हालांकि अभी इसमें देरी हो सकती है.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि बिहार के सहरसा और दरभंगा के बीच कोसी पर नए पुल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इस पुल को सरायगढ़ से रेलवे ट्रैक के माध्यम से जोड़ दिया गया है. सकरी-निर्मली रेलखंड का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है. इसके पूरा होते ही दरभंगा-सकरी-झंझारपुर-सरायगढ़-सहरसा रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

1934 में हुआ था क्षतिग्रस्त
बिहार में वर्ष 1934 में आए भूकंप के दौरान कोसी नदी पर बना रेलपुल क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके साथ ही उत्तर और पूर्व बिहार के बीच का रेल संपर्क टूट गया था. बाद के दिनों में दोनों इलाकों के बीच रेल संपर्क कायम तो हुआ, लेकिन कोसी नदी पर पुल निर्माण का कार्य अटका ही रहा. वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इस दिशा में पहल की और कोसी नदी पर रेल पुल का शिलान्यास किया गया.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि नए कोसी पुल को सरायगढ़ की ओर से रेलवे ट्रैक से जोड़ दिया गया है. मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, निर्माण बृजेश कुमार ने पहली बार मोटर ट्रली से पुल का निरीक्षण भी कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि कोसी पर बने नए पुल की कुल लंबाई 1.88 किलोमीटर है और इसमें 45.7 मीटर लंबाई के ओपनवेब गर्डर वाले 39 स्पैन हैं.

उन्होंने कहा कि सहरसा-सरायगढ़-निर्मली-झंझारपुर-सकरी-दरभंगा रेलखंड उत्तर बिहार को एक नया रेलखंड मिल जाएगा. कोसी रेलपुल बनकर तैयार हो चुका है. सहरसा से सरायगढ़ तक अब ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा.

पटना: वर्ष 1934 में आए भूकंप की वजह से कोसी नदी पर बना रेलपुल क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद यह रेलमार्ग बंद था. 86 साल बाद अब कोसी नदी पर रेलवे का पुल बनकर तैयार हो गया है, जिसके ऊपर अब जल्द ही ट्रेनें दौड़ेंगी.

इन क्षेत्रों को मिलेगा लाभ
कोसी नदी पर बने रेलपुल से ट्रेनों का परिचालन शुरू होने का सबसे ज्यादा लाभ दरभंगा, मधुबनी, सुपौल और सहरसा जिले में रहने वालों को होगा. कमलेश झा का कहना है कि इससे दरभंगा से सहरसा की दूरी काफी कम हो जाएगी. पहले दरभंगा से सहरसा वाया मानसी, खगड़िया, बेगूसराय, समस्तीपुर होकर ट्रेन चलती थी. इस रूट में सहरसा से दरभंगा के बीच की दूरी 176 किलोमीटर है. नए रेलखंड का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सहरसा से दरभंगा की दूरी घटकर मात्र 125 किमी रह जाएगी.

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पुल के बारे में जानकारी देने पहुंचे स्थानीय लोग

31 मार्च तक जताई जा रही है संभावना
पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि कोसी नदी पर बने रेलपुल का मोटर-ट्रॉली से निरीक्षण कर लिया गया है. 31 मार्च के बाद इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू होने की संभावना है. हालांकि अभी इसमें देरी हो सकती है.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि बिहार के सहरसा और दरभंगा के बीच कोसी पर नए पुल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इस पुल को सरायगढ़ से रेलवे ट्रैक के माध्यम से जोड़ दिया गया है. सकरी-निर्मली रेलखंड का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है. इसके पूरा होते ही दरभंगा-सकरी-झंझारपुर-सरायगढ़-सहरसा रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

1934 में हुआ था क्षतिग्रस्त
बिहार में वर्ष 1934 में आए भूकंप के दौरान कोसी नदी पर बना रेलपुल क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके साथ ही उत्तर और पूर्व बिहार के बीच का रेल संपर्क टूट गया था. बाद के दिनों में दोनों इलाकों के बीच रेल संपर्क कायम तो हुआ, लेकिन कोसी नदी पर पुल निर्माण का कार्य अटका ही रहा. वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इस दिशा में पहल की और कोसी नदी पर रेल पुल का शिलान्यास किया गया.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि नए कोसी पुल को सरायगढ़ की ओर से रेलवे ट्रैक से जोड़ दिया गया है. मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, निर्माण बृजेश कुमार ने पहली बार मोटर ट्रली से पुल का निरीक्षण भी कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि कोसी पर बने नए पुल की कुल लंबाई 1.88 किलोमीटर है और इसमें 45.7 मीटर लंबाई के ओपनवेब गर्डर वाले 39 स्पैन हैं.

उन्होंने कहा कि सहरसा-सरायगढ़-निर्मली-झंझारपुर-सकरी-दरभंगा रेलखंड उत्तर बिहार को एक नया रेलखंड मिल जाएगा. कोसी रेलपुल बनकर तैयार हो चुका है. सहरसा से सरायगढ़ तक अब ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा.

Intro:दरभंगा। वर्ष 1934 में आई बाढ़ और भूकंप में कोसी नदी पर बना रेल पुल ध्वस्त हो गया था। उसके बाद कोसी और मिथिलांचल के इलाके एक दूसरे से कट गए थे। दोनों इलाकों के बीच सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंध भी करीब-करीब ठहर से गए थे। अब रेलवे ने कोसी नदी पर पुल बनाकर फिर से दोनों इलाकों को जोड़ने की कवायद शुरू की है। इसी साल 31 मार्च तक कोसी रेल पुल पर ट्रेन चलाने की योजना है। इसके बाद दरभंगा से सहरसा की दूरी काफी कम हो जाएगी। इस खबर के बाद लोगों में खुशी की लहर है। ई टीवी भारत संवाददाता ने दरभंगा में कुछ लोगों से बात की और उनकी राय जानी।


Body:स्थानीय राम कुमार झा ने कहा कि 86 साल पहले का वह मंज़र बहुत दुखदायी था। वे सुनते आए हैं कि भूकंप और बाढ़ में पुल टूटने के बाद जो ट्रेन नदी में गिरी थी उसका इंजन आज भी बालू में ही दबा है। उन्होंने कहा कि पुल क्या टूटा दोनों इलाके के लोग भी कट गए। अब इस पुल के बनने के बाद फिर से दोनों इलाके जुड़ जाएंगे। ये बहुत खुशी की खबर है।

स्थानीय कमलेश झा ने कहा कि उनके परिवारों के शादी-व्याह से लेकर धार्मिक और पर्यटन तक के संबंध बहुत गहराई से कोसी इलाके से जुड़े थे। उन्हें याद है कि पुल टूटने के बाद वे लोग पैदल सिंहेश्वर स्थान मंदिर की यात्रा करते थे। अब वर्षों बाद इस मार्ग पर रेल यातायात शुरू हो जाने से इलाके के लोग फिर से जुड़ जाएंगे।

स्थानीय विनय कुमार झा संतोष ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि कोसी और मिथिलांचल के इलाके एक-दूसरे से जुड़ने जा रहे हैं। वे रेलवे से मांग करते हैं जल्द से जल्द इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाए।

वहीं, नेपाल से आए सुभाष ने कहा कि यह पुल न सिर्फ दो जिलों बल्कि भारत-नेपाल दो देशों को भी जोड़ेगा। इससे नेपाल की बड़ी आबादी को फायदा होगा। अभी नेपाल में रेल सेवा नहीं है। इसके बनने से नेपाल के पर्यटन और व्यापार को भी बहुत फायदा होगा।

स्थानीय प्रमोद भारती ने कहा कि बिरौल से सड़क मार्ग से हाल ही में दरभंगा को सहरसा से जोड़ा गया है। इससे लोगों को काफी फायदा हुआ है। अब इस रेल पुल के बन जाने के बाद ट्रेन से भी लोग आपस मे जुड़ जाएंगे।

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता शशि मोहन 'भारद्वाज' ने कहा कि दरभंगा-सहरसा के बीच रेल पुल न सिर्फ दोनों इलाकों के लोगों को जोड़ेगा बल्कि इससे पर्यटन को भी बहुत बढ़ावा मिलेगा। इससे दोनों इलाकों में रोजगार बढ़ेगा।


Conclusion:बता दें कि दरभंगा-सहरसा के बीच कोसी पुल के रास्ते रेल परिचालन शुरू करने का काम तेज़ गति से चल रहा है। इस रूट पर दरभंगा से झंझारपुर तक रेल परिचालन शुरू हो चुका है। उसके आगे निर्मली तक रेल लाइन बिछाने का काम जारी है जबकि सहरसा की तरफ से रेल लाइन भी निर्मली तक बिछाने का काम ज़ोर-शोर से चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही काम पूरा हो जाएगा।

बाइट 1- राम कुमार झा, स्थानीय.
बाइट 2- कमलेश झा, स्थानीय.
बाइट 3- विनय कुमार झा 'संतोष', स्थानीय.
बाइट 4- सुभाष, नेपाल निवासी.
बाइट 5- शशि मोहन 'भारद्वाज', सामाजिक कार्यकर्ता.

walkthrough के साथ
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विजय कुमार श्रीवास्तव
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दरभंगा
Last Updated : Jan 22, 2020, 9:06 AM IST
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