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Lockdown में कुछ इस कदर जान हथेली पर लेकर 5वें दिन दिल्ली से दरभंगा पहुंचा सहरसा का परिवार

एक परिवार जुगाड़ के ठेले पर दिल्ली से दरभंगा पहुंच गया. ये लोग सहरसा जा रहे हैं. बिहार पहुंचने में इन्हें पांच दिन का वक्त लग गया. दरभंगा पहुंचने पर जिला प्रशासन ने डीएमसीएच में परिवार के सभी सदस्यों का मेडिकल जांच करवाया. दरभंगा के जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने कहा कि दूसरे प्रदेश से आने वाले लोगों के लिए जिला प्रशासन ने एमएलएसएम कॉलेज में आपदा राहत कैंप लगाया है.

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Published : Apr 1, 2020, 5:44 PM IST

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दरभंगा: कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार ने 14 अप्रैल तक देश भर में लॉक डाउन की घोषणा की है. इस लॉक डाउन से देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे मजदूरों, रिक्शा चालकों, दिहाड़ी मजदूरों के सामने भूखमरी की समस्या पैदा हो गई. इन परिस्थितियों में इन सभी लोगों ने अपने-अपने घरों का रुख किया दिया. आलम ये है कि लोग पैदल, ट्रक या फिर जुगाड़ की गाड़ी के सहारे किसी तरह अपने घर पहुचने की जद्दोजहद करते देखे जा रहे हैं. दरभंगा में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला.

दिल्ली से बिहार पहुंचने में लगा पांच दिनों का वक्त
ऐसा ही एक परिवार जुगाड़ के ठेले पर दिल्ली से दरभंगा पहुंच गया. इन लोगों ने बताया कि ये लोग दिल्ली से अपने घर सहरसा जा रहे हैं. बिहार पहुंचने में इन्हें पांच दिन का वक्त लग गया, साथ ही उन लोगों ने बताया कि दरभंगा पहुंचने पर जिला प्रशासन ने डीएमसीएच में परिवार के सभी सदस्यों का मेडिकल जांच करवाया. जांच में कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण नहीं पाए जाने के बाद पैतृक गांव में बने क्वारेंटाईन सेंटर में रहने को कहा गया है. इसके बाद ही हमें छोड़ दिया गया

आपदा राहत कैम्प में दी जा रही तमाम सुविधाएं
दरभंगा के जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने कहा कि दूसरे प्रदेश से आने वाले लोगो के लिए जिला प्रशासन ने एमएलएसएम कॉलेज में आपदा राहत कैंप लगाया गया है. कैंप में उनके रहने, खाने-पीने और मेडिकल टीम की समुचित व्यवस्था की गई है. यहां पहले उनका मेडिकल चेकअप किया जाता है. किसी तरह के लक्षण सामने नहीं आने पर उन्हें 14 दिनों के लिए पंचायत में बने क्वारेंटाईन सेन्टर भेज दिया जा रहा है. सेंटर में ठहराये गये सभी लोगों को सरकारी स्तर पर आवास, भोजन, चिकित्सा की सारी सुविधाएं दी जा रही है.

दरभंगा: कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार ने 14 अप्रैल तक देश भर में लॉक डाउन की घोषणा की है. इस लॉक डाउन से देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे मजदूरों, रिक्शा चालकों, दिहाड़ी मजदूरों के सामने भूखमरी की समस्या पैदा हो गई. इन परिस्थितियों में इन सभी लोगों ने अपने-अपने घरों का रुख किया दिया. आलम ये है कि लोग पैदल, ट्रक या फिर जुगाड़ की गाड़ी के सहारे किसी तरह अपने घर पहुचने की जद्दोजहद करते देखे जा रहे हैं. दरभंगा में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला.

दिल्ली से बिहार पहुंचने में लगा पांच दिनों का वक्त
ऐसा ही एक परिवार जुगाड़ के ठेले पर दिल्ली से दरभंगा पहुंच गया. इन लोगों ने बताया कि ये लोग दिल्ली से अपने घर सहरसा जा रहे हैं. बिहार पहुंचने में इन्हें पांच दिन का वक्त लग गया, साथ ही उन लोगों ने बताया कि दरभंगा पहुंचने पर जिला प्रशासन ने डीएमसीएच में परिवार के सभी सदस्यों का मेडिकल जांच करवाया. जांच में कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण नहीं पाए जाने के बाद पैतृक गांव में बने क्वारेंटाईन सेंटर में रहने को कहा गया है. इसके बाद ही हमें छोड़ दिया गया

आपदा राहत कैम्प में दी जा रही तमाम सुविधाएं
दरभंगा के जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने कहा कि दूसरे प्रदेश से आने वाले लोगो के लिए जिला प्रशासन ने एमएलएसएम कॉलेज में आपदा राहत कैंप लगाया गया है. कैंप में उनके रहने, खाने-पीने और मेडिकल टीम की समुचित व्यवस्था की गई है. यहां पहले उनका मेडिकल चेकअप किया जाता है. किसी तरह के लक्षण सामने नहीं आने पर उन्हें 14 दिनों के लिए पंचायत में बने क्वारेंटाईन सेन्टर भेज दिया जा रहा है. सेंटर में ठहराये गये सभी लोगों को सरकारी स्तर पर आवास, भोजन, चिकित्सा की सारी सुविधाएं दी जा रही है.

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