सारण (छपरा) : 'जन सुराज' अभियान पर निकले प्रशांत किशोर (Prashant Kishor Jan Suraj Abhiyan) सोमवार को सारण पहुंचे. यहां पर उन्होंने बिहार में होने वाले जातीय जनगणना पर अपनी बात रखी. प्रशांत किशोर ने कहा कि जो पार्टियां जातिगत जनगणना (Caste Census In Bihar) कराना चाहती हैं, वह इसे सार्वजनिक भी करें, नहीं तो इसका कोई फायदा आम लोगों को नहीं होगा. साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब दलितों का आंकड़ा सरकार के पास है तो उसका विकास अबतक क्यों नहीं हुआ.
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दो अक्टूबर से पदयात्रा : राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के विकास के लिए दो अक्टूबर से लगभग तीन हजार किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे और जनसामान्य से घर-घर जाकर मुलाकात करेंगे. काफी संख्या में लोगों को चिह्नित किया गया है जो कि समाज के अलग-अलग वर्गों और पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी बनाएंगे या नहीं इसपर अबतक फैसला नहीं हुआ है. हालांकि यह स्पष्ट जरूर कर दिया कि किसी से समझौता नहीं करेंगे.
'सत्ता परिवर्तन हमारा मकसद नहीं' : बता दें कि प्रशांत किशोर ने समाज के प्रबुद्ध नागरिकों, युवाओं, महिलाओं, शिक्षकों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं से जन सुराज की सोच पर संवाद किया. लोगों ने भी प्रशांत किशोर से जन सुराज के बारे में जाना और सभी जरूरी सवाल पूछे. सवाल जवब के दौरान पीके ने कहा कि उनका उद्देश्य बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना है. सत्ता परिवर्तन हमारा मकसद नहीं है.
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अब तक पिछड़ा है बिहार : प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 30 साल की सरकारों ने कई अच्छे काम भी किए हैं उसे स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. चाहे लालू यादव के सामाजिक न्याय की बात हो या नीतीश कुमार के आर्थिक विकास की बात हो. लेकिन सच्चाई यह है की 60 के दशक के बाद से ही बिहार विकास के तमाम मापदंडों पर पिछड़ता चला गया. आज बिहार का विकास देश में सबसे निचले पायदान पर है.