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इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेंकने वाले JP के जन्मस्थान को अपने तारणहार का इंतजार! - जयप्रकाश नगर

संपूर्ण क्रांति को जनता का उत्साह भरा समर्थन मिला था. जेपी ने देश की दबी-कुचली जनता के लिए अनवरत संघर्ष किया. उनकी मृत्यु 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हुई थी.

जेपी
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Published : Oct 8, 2019, 8:59 AM IST

Updated : Oct 9, 2019, 12:02 AM IST

सारण: जेपी यानि जयप्रकाश नारायण, महान स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने देश और युवा शक्ति को एक नयी दिशा दी. लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. सत्तर के दशक में जेपी आंदोलन ने बिहार को कई बड़े नेता दिए. जिसमें पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव और वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रमुख हैं. आज भी उनके विचार लोगों के लिए प्रेरणादयक है, जिससे उनके सपनों के भारत का निर्माण किया जा सके.

जेपी एक महान राजनीतिक विचारक थे. उनका नाम देश के एक ऐसे शख्स के रूप में उभरता है, जिन्होंने अपने विचारों, दर्शन और व्यक्तित्व से देश की दिशा तय की. समाजवाद के समर्थक होने के साथ-साथ उनकी सांसदीय प्रजातंत्र में पूरी निष्ठा थी. लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनकी संपूर्ण क्रांति ने भारतीय राजनीति में एक युग की शुरूआत की.

saran
जेपी के गांव की सड़क

जेपी के विचारों से बनेगा सपनों का भारत
जेपी के अनुयायी आलोक सिंह कहते हैं कि जयप्रकाश नारायण के सपनों को जरूर आगे बढ़ायेंगे. जेपी के विचारों का प्रचार प्रसार अपने फाउंडेशन के माध्यम से करने की बात करते हुए कहते हैं कि जननायक के विचार को गांव-गांव तक पहुंचाना उनका लक्ष्य है. इसके अलावे 1974 में शुरू किया गया आंदोलन सक्रिय रहे. आलोक सिंह आगे कहते हैं कि सिताब दियारा उनके सपनों का बने यहीं तमन्ना है. उनके विचार प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में फैले. जिससे जेपी के सपनों का नया भारत का निर्माण हो सके.

saran
जेपी का घर

अपनी मिट्टी से जुड़े रहने को किया प्रेरित
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को जिला के रिविलगंज प्रखंड स्थित सिताब दियारा के लाल टोला में हुआ था. उनके गांव में प्लेग फैलने और नदी में हुए कटाव के कारण बचपन में ही वह उत्तरप्रदेश में जा बसे. उत्तर प्रदेश का वह स्थान आज जयप्रकाश नगर के नाम से जाना जाता है. वह अपने परिवार के सदस्यों, मित्रों और सहयोगियों के प्रति काफी प्रेममयी संबंध रखते थे. उन्होंने अपने परिवार और परिजनों को संस्कार देने के साथ-साथ अपनी मिट्टी से जुड़े रहने को भी प्रेरित किया. आज भी कई लोग उनकी विचारधाराओं का पालन करते हैं.

saran
म्यूजियम

लोकतंत्र की रक्षा के लिए कई आंदोलन किए
लोकतंत्र की रक्षा के दौरान जेपी को जेल भी जाना पड़ा. जेल से भागकर उन्होंने सशस्त्र क्रांति की शुरूआत की. उन्होंने किसान भूदान, छात्र आंदोलन, समस्या और सर्वोदय आंदोलन सहित कई छोटे-बड़े आंदोलन किए. उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान एक सच्चे देशभक्त के रूप में मातृभूमि के लिए समर्पण और त्याग जैसे उच्च आदर्शों की वकालत की. उन्होंने जनता को एक स्वतंत्र, शोसन रहित, एक्ताबद्ध और मजबूत भारत के निर्माण के लिए प्रेरित किया. वे खासतौर पर समाज के निचले तबके के लोगों के कल्याण के लिए गहरी संवेदना रखते थे.

देखें खास रिपोर्ट

जेपी की राजनीतिक विचारधारा से प्रेरणा
जेपी सच्चाई तथा न्याय के लिए पूरे साहस के साथ जूझते रहे. उनके नेतृत्व में किए गए संपूर्ण क्रांति को जनता का उत्साह भरा समर्थन मिला. जेपी ने देश की दबी-कुचली जनता के लिए अनवरत संघर्ष किया. उनकी मृत्यु 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हुई. उनकी मृत्यु के बाद आज भी उनकी राजनीतिक विचारधारा भारत के लोगों को प्रेरित करती है. जेपी की भतीजी उषा वर्मा उनके संस्कारों के संबंध में बताते हुए कहती है कि जेपी हमेशा उनलोगों से भोजपूरी में ही बात करते थे.

chapra
आलोक सिंह

जेपी के गांव में नहीं है कोई सुविधा
जेपी के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों ने भले ही काफी ऊंचाईयों को छू लिया है, लेकिन आज भी उनका गांव विकसित नहीं है. हालांकि वर्तमान सरकार ने अब उनकी गांव की ओर ध्यान देना शुरू किया है. धीरे-धीरे गांव में सड़क, बिजली, पानी इत्यादि सुविधा बहाल की जा रही है. वहीं, नदी के कटाव के कारण उनका गांव एक बार फिर धीरे-धीरे नदी की गोद में जा रहा है.

सरकार ने की घोषणाएं
प्रदेश के सीएम नीतीश कुमार ने 2014 में जेपी के जयंती समारोह में सिताब दियरा में शिरकत किया था. उस समय उन्होंने राजनीतिक गुरू जेपी के सम्मान में एक स्मारक बनाने की घोषणा किया था. स्मारक तो बनकर तैयार हो गया है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकनायक के सम्मान में वातानुकूलित म्यूजियम बनाने की घोषणा की थी, जिसका निर्माण कार्य जारी है.

सारण: जेपी यानि जयप्रकाश नारायण, महान स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने देश और युवा शक्ति को एक नयी दिशा दी. लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. सत्तर के दशक में जेपी आंदोलन ने बिहार को कई बड़े नेता दिए. जिसमें पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव और वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रमुख हैं. आज भी उनके विचार लोगों के लिए प्रेरणादयक है, जिससे उनके सपनों के भारत का निर्माण किया जा सके.

जेपी एक महान राजनीतिक विचारक थे. उनका नाम देश के एक ऐसे शख्स के रूप में उभरता है, जिन्होंने अपने विचारों, दर्शन और व्यक्तित्व से देश की दिशा तय की. समाजवाद के समर्थक होने के साथ-साथ उनकी सांसदीय प्रजातंत्र में पूरी निष्ठा थी. लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनकी संपूर्ण क्रांति ने भारतीय राजनीति में एक युग की शुरूआत की.

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जेपी के गांव की सड़क

जेपी के विचारों से बनेगा सपनों का भारत
जेपी के अनुयायी आलोक सिंह कहते हैं कि जयप्रकाश नारायण के सपनों को जरूर आगे बढ़ायेंगे. जेपी के विचारों का प्रचार प्रसार अपने फाउंडेशन के माध्यम से करने की बात करते हुए कहते हैं कि जननायक के विचार को गांव-गांव तक पहुंचाना उनका लक्ष्य है. इसके अलावे 1974 में शुरू किया गया आंदोलन सक्रिय रहे. आलोक सिंह आगे कहते हैं कि सिताब दियारा उनके सपनों का बने यहीं तमन्ना है. उनके विचार प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में फैले. जिससे जेपी के सपनों का नया भारत का निर्माण हो सके.

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जेपी का घर

अपनी मिट्टी से जुड़े रहने को किया प्रेरित
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को जिला के रिविलगंज प्रखंड स्थित सिताब दियारा के लाल टोला में हुआ था. उनके गांव में प्लेग फैलने और नदी में हुए कटाव के कारण बचपन में ही वह उत्तरप्रदेश में जा बसे. उत्तर प्रदेश का वह स्थान आज जयप्रकाश नगर के नाम से जाना जाता है. वह अपने परिवार के सदस्यों, मित्रों और सहयोगियों के प्रति काफी प्रेममयी संबंध रखते थे. उन्होंने अपने परिवार और परिजनों को संस्कार देने के साथ-साथ अपनी मिट्टी से जुड़े रहने को भी प्रेरित किया. आज भी कई लोग उनकी विचारधाराओं का पालन करते हैं.

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म्यूजियम

लोकतंत्र की रक्षा के लिए कई आंदोलन किए
लोकतंत्र की रक्षा के दौरान जेपी को जेल भी जाना पड़ा. जेल से भागकर उन्होंने सशस्त्र क्रांति की शुरूआत की. उन्होंने किसान भूदान, छात्र आंदोलन, समस्या और सर्वोदय आंदोलन सहित कई छोटे-बड़े आंदोलन किए. उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान एक सच्चे देशभक्त के रूप में मातृभूमि के लिए समर्पण और त्याग जैसे उच्च आदर्शों की वकालत की. उन्होंने जनता को एक स्वतंत्र, शोसन रहित, एक्ताबद्ध और मजबूत भारत के निर्माण के लिए प्रेरित किया. वे खासतौर पर समाज के निचले तबके के लोगों के कल्याण के लिए गहरी संवेदना रखते थे.

देखें खास रिपोर्ट

जेपी की राजनीतिक विचारधारा से प्रेरणा
जेपी सच्चाई तथा न्याय के लिए पूरे साहस के साथ जूझते रहे. उनके नेतृत्व में किए गए संपूर्ण क्रांति को जनता का उत्साह भरा समर्थन मिला. जेपी ने देश की दबी-कुचली जनता के लिए अनवरत संघर्ष किया. उनकी मृत्यु 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हुई. उनकी मृत्यु के बाद आज भी उनकी राजनीतिक विचारधारा भारत के लोगों को प्रेरित करती है. जेपी की भतीजी उषा वर्मा उनके संस्कारों के संबंध में बताते हुए कहती है कि जेपी हमेशा उनलोगों से भोजपूरी में ही बात करते थे.

chapra
आलोक सिंह

जेपी के गांव में नहीं है कोई सुविधा
जेपी के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों ने भले ही काफी ऊंचाईयों को छू लिया है, लेकिन आज भी उनका गांव विकसित नहीं है. हालांकि वर्तमान सरकार ने अब उनकी गांव की ओर ध्यान देना शुरू किया है. धीरे-धीरे गांव में सड़क, बिजली, पानी इत्यादि सुविधा बहाल की जा रही है. वहीं, नदी के कटाव के कारण उनका गांव एक बार फिर धीरे-धीरे नदी की गोद में जा रहा है.

सरकार ने की घोषणाएं
प्रदेश के सीएम नीतीश कुमार ने 2014 में जेपी के जयंती समारोह में सिताब दियरा में शिरकत किया था. उस समय उन्होंने राजनीतिक गुरू जेपी के सम्मान में एक स्मारक बनाने की घोषणा किया था. स्मारक तो बनकर तैयार हो गया है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकनायक के सम्मान में वातानुकूलित म्यूजियम बनाने की घोषणा की थी, जिसका निर्माण कार्य जारी है.

SLUG:-JP KI PUNYATITHI
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR


Anchor:-लोक नायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि हैं सारा देश उन्हें याद कर रहा है, जयप्रकाश जी हमारे युग के एक महान द्रष्टा और राजनितिक विचारक है उनका जीवन राष्ट्र सेवा के लिए अद्युतीय साहस और दृढ विश्वास के साथ समर्पित ब्यक्ति की उलेखनीय गाथा है बिना किसी शासकीय पद प़र आसीन हुए ह्रदय से क्रांतिकारी इस ब्यक्तित्व का सार्वजनिक जीवन में उच्च स्थान था.समाजवाद और सर्वोदय के प्रबल समर्थक होने के साथ साथ उनकी संसदीय प्रजातंत्र में पूरी निष्ठा थी प्रभुसत्ता वाद के विरुद्ध लोकतंत्र की रक्षा के लिए उनके संपूर्ण क्रांति के आह्वान ने भारतीय राजनीत में एक नये युग का सूत्रपात किया....

आजादी की लड़ाई से 1977 तक आन्दोलन की मशाल थामने वाले जय प्रकाश नारायण का नाम देश के एक ऐसे शख्स के रूप में उभरता है जिन्होंने अपने विचारो,दर्शन तथा व्यक्तित्व से देश की दिशा तय की.
उनका नाम लेते ही एक साथ उनके बारे में लोगो के मन में कई छवियाँ उभरने लगती है,लोकनायक के शब्द को चरितार्थ करने वाले जेपी समर्पित जननायक और मानवतावादी चिन्तक तो थे ही उनकी छवि अत्यंत शालीन और मर्यादित जीवन जीने वाले ब्यक्ति की भी है.

जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को सारण जिले के रिविलगंज प्रखंड मुख्यालय से दक्षिण दियरा क्षेत्र के सिताब दियारा के लाला टोला में हुई थी बचपन में ही उनके गावं में प्लेग फैलने और नदी में हुए कटाव के कारण वे उत्तरप्रदेश के क्षेत्र में जा बसे जो आज जयप्रकाश नगर के नाम से जाना जाता है आज भी उनकी यादो को समेटे कई लोग मिल जाते है यह स्पष्ट है की वे अपने परिवार के साथ साथ अपने मित्रो तथा सहयोगियों के प्रति अत्यंत प्रेममयी सम्बन्ध रखने वाले असाधारण ब्यक्तित्व के धनी नेता थे उनको आप अजातशत्रु महामानव की परम्परा का श्रेष्ठ प्रतिक कह सकते है जेपी ने न सिर्फ अपने परिवार और अपने परिजनों को संस्कार देने का काम किया बल्कि उन्हें अपने माटी से जुड़े रहने को भी प्रेरित किया, जेल से भागकर सशस्त्र क्रांति की शुरू की, किसान भूदान छात्र आन्दोलन समस्या और सर्वोदय आन्दोलन सहित कई छोटे बड़े आन्दोलन किये,जेपी ने तब जो सवाल उठाये थे वह समस्या आज पहले से ज्यादा विकराल रूप में यथावत है और उससे निपटने का भी एक मात्र रास्ता आन्दोलन ही है.

आजादी की लड़ाई के दौरान एक सच्चे देशभक्त के रूप में जेपी ने मातृभूमि के लिए समर्पण और त्याग जैसे उच्च आदर्शो की वकालत की थी उन्होंने जानता को एक स्वतंत्र शोसन रहित,एक्ताबध और मजबूत भारत के निर्माण के लिए प्रेरित किया.जेपी भारत की जानता खास तौर प़र समाज के निचले तबके के कल्याण के लिए गहरी संवेदना रखते थे उनकी इच्छा थी की भारत के सामाजिक परिदृश्य में सूधार के लिए सही नीतियों तथा सुचारू रूप से परिचालित विकाश कार्यक्रमों को लागु किया जाय.

जेपी सच्चाई तथा न्याय के लिए पूरी निर्भीकता के साथ जूझते रहे थे उनके द्वारा किये गए संपूर्ण क्रांति के आह्वान को जानता का उत्साह भरा समर्थन प्राप्त हुआ था जेपी ने भारत की दबी कुचली जानता के लिए  के लिए अनवरत संघर्ष किया था उनकी मृत्यु  8 अक्टूबर 1979 को पटना में हुआ, उनकी मृत्यु के बाद उनकी राजनितिक विचारधारा आज भी हमें यानि हम भारत के लोगो को प्रेरित करती है, ये अलग बात है की उनके नाम प़र राजनीत करने वाले आज कहा से कहा पहुँच गए लेकिन आज भी उनका गावं जितना विकसित होना चाहिय नहीं हो पाया है हालाँकि वर्तमान सरकार ने आब जाकर सुद्ध ली है और सड़क बिजली पानी जैसी बुनियादी सुविधा धीरे धीरे बहाल हो रही है लेकिन उनका गावं एक बार फिर कटाव के कारण नदी के गोद में धीरे धीरे जा रहा है जय प्रकाश जी की भतीजी प्रोफ़ेसर उषा वर्मा उनके दिए गए संस्कारो के संम्बंध में बताते हुए कहती है की हमेशा हंमलोगो से भोजपुरी में ही बात करते थे बड़े बाबु जी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्ष 2014 में जेपी की जयंती समारोह में शिरकत करने सिताब दियरा गए थे उसी समय अपने राजनीतिक गुरु की सम्मान में एक स्मारक बनाने की घोषणा की थी जो बन कर तैयार तो है लेकिन अभी भी बिजली, पानी जैसे आवश्यक कार्य पूरा नही हो सका है जिसका गांव वासियों को अभी भी मलाल है कि मुख्यमंत्री द्वारा किया गया घोषणा को पूरा करने में 3 वर्ष लग गए तो आम की बात कौन करेगा, वही दूसरी ओर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकनायक के सम्मान में वातानुकूलित म्यूजियम बनाने की घोषणा की थी जिसका निर्माण कार्य जारी है.

Last Updated : Oct 9, 2019, 12:02 AM IST
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