भागलपुर: भागलपुर के लोग कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के बाद बाढ़ (Bhagalpur Flood) से जंग लड़ रहे हैं. प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों को जो मदद मुहैया कराई जा रही है वो नाकाफी साबित हो रही है. बाढ़ राहत शिविरों (Flood Relief Camps) में पशुओं को चारा (Fodder For Animals) उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन विफल साबित हो रहा है. भागलपुर के हवाई अड्डा (Bhagalpur airport) में बने राहत शिविर में रह रहे पशुपालक परेशान हैं.
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बाढ़ पीड़ितों के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जगह-जगह शिविर लगाया गया है ताकि लोगों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो. साथ ही राहत बचाव कार्य में किसी प्रकार की कोई कमी ना हो इसके लिए जिलाधिकारी से लेकर निचले स्तर के पदाधिकारियों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण भी किया जा रहा है. लेकिन इन सबके बावजूद बाढ़ प्रभावितों की समस्या खत्म नहीं हो रही है.
हम नाथनगर दूधैला से यहां राहत शिविर में रहने के लिए आए हैं. मेरे 3 पशु हैं. लेकिन पशुओं को पर्याप्त चारा नहीं दिया जा रहा है. 8 दिन में दो बार ही पशु चारा मिला है.- महेश्वरी देवी, पशुपालक
राहत कैंपों में कई तरह कमियां होने से लोगों को परेशानी हो रही है. भागलपुर में प्रभावित लोगों को भोजन तो मिल रहा है, लेकिन पशु चारे को लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, वह हवा हवाई साबित हो रहे हैं. हवाई अड्डा में पशु राहत शिविर में पशुओं को चारा उपलब्ध नहीं हो रहा है.
घर में रहने का साधन नहीं है इसलिए हम लोग यहां अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. साधन होता तो यहां रहने नहीं आते. 8 दिन से पशुओं को चारा नहीं मिला है. दो दिन पहले 3 भैंस पर दो डलिया चारा मिला था. ऐसे में जानवरों के लिए हमें चारा खरीदना पड़ रहा है.- शीला देवी, पशुपालक
वहीं जिला पशुपालन पदाधिकारी ने दावा किया है कि पशु चारा शिविर में रह रहे सभी पशुओं को मिल रहा है. लेकिन पशुपालकों ने बताया कि पशु को पर्याप्त चारा नहीं मिल रहा है. जिससे उनके पशु कम दूध दे रहे हैं, साथ ही बीमार भी पड़ रहे हैं.
वहीं राहत शिविर में रह रहे एक अन्य पशुपालक शंभू मंडल ने बताया कि वह यहां 10 दिन से रह रहे हैं. उनके पास 20 भैंस हैं. दो दिन पहले चारा मिला था. जितना चारा दिया जा रहा है उससे भैंस का पेट नहीं भरता है. जिस वजह से भैंस दूध कम करने लगी है. ऐसे में भैंस को चराने के लिए लेकर जाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सही से चारा नहीं मिलने के कारण जानवर कमजोर हो गए हैं. कई पशु बीमार पड़ने लगे हैं. ऐसे में चारा खरीदने के अलावे कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
शहजादपुर पंचायत के अमरी बिशनपुर के रहने वाले बागे मंडल और परमेश्वर मंडल ने बताया कि हम लोगों को तो भरपेट खाना मिल जा रहा है, लेकिन जानवरों को चारा नहीं मिल रहा है. जानवरों के लिए चिकित्सा की भी व्यवस्था ठीक नहीं है. सबसे अधिक जानवर यहां परेशान हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जानवर को चारा नहीं मिलने के कारण दूध भी नहीं कर रही है. चारा खरीद करके लाते हैं तो उससे जानवर का पेट नहीं भर पाता है.
वहीं जब पशुओं को चारा नहीं मिलने को लेकर जिला पशु पालन पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार से बात की गई तो वो सरकार की पूरी योजना का बखान करने लगे. उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित पशुओं के लिए जिला आपदा प्रबंधन शाखा के सहयोग से अब तक 887 क्विंटल चारा का वितरण किया गया है.
हमारे विभाग द्वारा जो एसओपी जारी किए गए हैं. उसमें स्पष्ट निर्देश है कि शिविर में पहुंचे सभी पशुओं को राहत मुहैया कराई जाए. जिला पदाधिकारी का निर्देश मिलने के बाद ही हमलोग प्रभावित इलाके में फंसे पशुओं को जो राहत शिविर में नहीं पहुंच सके हैं वहां चारा उपलब्ध करा सकते हैं. जिलाधिकारी आदेश देंगे तो हमलोग चारा बांट सकते हैं. विभागीय निर्देश का हम पालन कर रहे हैं. आपदा प्रबंधन विभाग या जिला प्रशासन से अब तक शिविर से बाहर के पशुओं को चारा बांटने का निर्देश नहीं मिला है.- डॉ राजेश कुमार, जिला पशुपालन पदाधिकारी, भागलपुर
जानकारी के मुताबिक अब तक बाढ़ से करीब 6 पशुओं की मौत हो चुकी है. सुल्तानगंज, अकबरनगर में एक-एक दुधारू गाय, एक बाछी और एक घोड़े की मृत्यु हुई है. जबकि बिहपुर में एक दुधारू भैंस, रंगरा में एक दुधारू भैंस और नाथनगर के रतीपुर बैरिया में एक बैल की मृत्यु हुई है.
जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि किसी भी पशुपालक के पशु की मृत्यु होने पर अधिकतम 3 पशुओं के लिए मुआवजा दिया जाएगा. गाय और भैंस के लिए 30,000 रुपये एसडीआरएफ की तरफ से दी जाएगी. जबकि बाछी के लिए 12,000 रुपये प्रति बाछी दी जाएगी. घोड़ा के लिए 25,000 रुपये, बैल के लिए 25,000 और बकरी के लिए प्रति बकरी 3000 और मुर्गों के लिए प्रति मुर्गा 50 रुपये दिए जाएंगे.
बीते दिनों बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने भागलपुर दौरे के दौरान कहा था कि सभी पशुओं को चारा मुहैया कराया जाएगा. जहां कमी है उसे दुरुस्त करने का निर्देश भी उन्होंने दिया था. लेकिन उसके बाद भी पशु चारे की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. खासकर बाढ़ राहत शिविरों में चारे की किल्लत हो रही है. इन शिविरों में रह रहे लोगों ने बताया कि इतने दिनों में सिर्फ दो ही दिन चारा मिला है. इससे पशुओं का गुजारा संभव नहीं है. लोग बाढ़ के पानी में तैरकर पशुओं के लिए चारे का इंतजाम कर रहे हैं. अब पशुपालक सरकार से पशु चारा की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं.
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