भागलपुर: ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. रेलवे स्टेशन पर शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की तस्वीर लगाई गई. इसको लेकर उनके रिश्तेदार ने ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया है. उनके ननिहाल के रिश्तेदार शांतनु गांगुली ने कहा कि अब शरत चंद्र की तस्वीर देखकर कहेंगे कि उनका संबंध भागलपुर की धरती से भी है.
देवदास के रचयिता थे शरत
बता दें कि शरत चंद्र चट्टोपाध्याय एक प्रख्यात उपन्यासकार थे, जिनकी रचना पर देवदास और परिणीता जैसी फिल्में भी बनाई गई है. ऐसे उपन्यासकार की छवि वर्तमान में भागलपुर में देखने को नहीं मिलती है. इस वजह से बिहार बंगाली एसोसिएशन के साथ ही शरत चंद्र के रिश्तेदार ने मालदा डिवीजन के डीआरएम से उनकी तस्वीर लगाने की मांग की थी.
डीआरएम ने दिया था तस्वीर लगाने का निर्देश
इसको लेकर मालदा डिवीजन के डीआरएम यतेंद्र कुमार ने अपने अधिकारी को शरत चंद्र की तस्वीर को प्रथम श्रेणी के प्रतीक्षालय में लगाने का निर्देश दिया था, जिस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाई थी. शरत चंद्र की तस्वीर को प्रतीक्षालय में लगा दिया गया है. तस्वीर को लगाए जाने के बाद बिहार बंगाली एसोसिएशन एवं सरत चंद्र के रिश्तेदार ने ईटीवी भारत को धन्यवाद दिया है.
भागलपुर के ही गलियारे में गुजरा बचपन
बता दें कि शरत चंद्र चट्टोपाध्याय का बचपन भागलपुर के ही गलियारे में गुजरा है. बचपन की पढ़ाई से लेकर युवावस्था तक शरत भागलपुर से जुड़े रहे. अपनी देवदास जैसी उपन्यास लिखी, जिसके ऊपर बॉलीवुड में फिल्म भी बनी और फिल्म ने करोड़ों रुपये कमाए. लेकिन, देवदाव का नाम कहीं न कहीं गुमनामी के अंधेरे में गुम होता दिखाई दे रहा है.
हर साल उन्हें किया जाता है याद
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की स्मृति एवं उनकी कृति को समाज में जीवंत रखने के लिए हर साल दुर्गा चरण और उनके ननिहाल में उनकी जन्मतिथि और पुण्यतिथि मनाई जाती है. शरत मूल रूप से बंगाल के हुगली के रहने वाले थे.
विष्णु प्रभाकर ने लिखी उनकी जीवनी
भागलपुर में अपना बचपन और युवावस्था बिताने के बाद वो वापस बंगाल चले गए. लेकिन, उनकी 2 प्रमुख रचनाएं देवदास और परिणीता उन्होंने भागलपुर मं ही लिखी थी. मशहूर लेखक विष्णु प्रभाकर ने 'आवारा मसीहा' नाम से उनकी मशहुर जीवनी लिखी थी.