भागलपुर: जिले में आई बाढ़ से 14 प्रखंड बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. गंगा और कोसी नदी की चपेट में आए गांवों की हालत सबसे ज्यादा खराब है. बाढ़ से प्रभावित परिवार गांव से पलायन करने को मजबूर हैं. हजारों की संख्या में विस्थापित हुए परिवार इधर-उधर शरण लिए हुए हैं. वहीं, बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे राहत कैंप भी सफेद हाथी साबित हो रहे हैं.
राहत शिविर में समस्याओं का अंबार
जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए बनाए गए राहत शिविरों में समस्याओं का अंबार है. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि राहत शिविर में डीएम के निरीक्षण के बाद समय से खाना मिल रहा है लेकिन पेयजल, शौचालय, रोशनी और गंदगी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. इसके अलावा मवेशियों को पर्याप्त चारा नहीं मिलने से मवेशी भूखे रहते हैं. लोगों ने बताया कि राहत शिविरों में बनाए गए शौचालयों में पानी की समस्या होने के कारण, वह खुले में शौच करने को मजबूर हैं. लोगों ने बताया कि यहां फैली गंदगी के कारण बीमारियां फैलने का खतरा है.
बिजली की समस्या
बाढ़ पीड़ित शकुंतला देवी ने बताया कि राहत शिविर में भरपेट खाना नहीं दिया जा रहा है. बालकृष्ण कुमार ने बताया कि शिविर में सुबह नाश्ता नहीं मिल पा रहा है. दोपहर का खाना 2 से 3 बजे और रात का खाना 7 से 8 के बीच में मिलता है. लेकिन मवेशियों के चारे के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिसकी वजह से पशुओं को खरीदकर चारा खिलाना पड़ रहा है. एक बाढ़ पीड़ित ने बताया कि राहत शिविर में रात 12 बजे के बाद बिजली काट दी जाती है. जिसकी वजह से रात भर अंधेरे में रहना पड़ता है.
राहत कैंप में चलाए जा रहे आंगनवाड़ी केंद्र
जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने बताया कि राहत शिविरों में 2 समय के भोजन और एक समय के नाश्ते का प्रबंध किया गया है. राहत कैंप में आईसीडीएस की तरफ से आंगनवाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं. जेनरेटर के माध्यम से रोशनी की व्यवस्था की गई है. सभी राहत शिविरों में मेडिकल कैंप की व्यवस्था की गई है. जहां अधिक संख्या में मवेशी रह रहे हैं, वहां पशुपालक पदाधिकारी को पशु चारा देने के निर्देश दिए गये हैं. उन्होंने कहा कि सभी राहत कैंपों में नगर निगम के जरिए दो वक्त सफाई की जा रही है. जहां शौचालय नहीं है. वहां पर चलंत शौचालय और पीएचईडी के जरिए मोबाइल टॉयलेट लगाए गए हैं.