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भागलपुर: राहत शिविरों में फैली गंदगी से बढ़ा बिमारी का खतरा, खुले में शौच जाने के मजबूर हैं लोग - problem of sanitation in relief camps

बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि राहत शिविर में डीएम के निरिक्षण के बाद समय से खाना मिल रहा है लेकिन पेयजल, शौचालय, रोशनी और गंदगी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. इसके अलावा मवेशियों को पर्याप्त चारा नहीं मिलने से मवेशी भूखे रहते हैं.

सफेद हाथी साबित हो रहे राहत शिविर
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Published : Oct 4, 2019, 10:35 AM IST

भागलपुर: जिले में आई बाढ़ से 14 प्रखंड बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. गंगा और कोसी नदी की चपेट में आए गांवों की हालत सबसे ज्यादा खराब है. बाढ़ से प्रभावित परिवार गांव से पलायन करने को मजबूर हैं. हजारों की संख्या में विस्थापित हुए परिवार इधर-उधर शरण लिए हुए हैं. वहीं, बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे राहत कैंप भी सफेद हाथी साबित हो रहे हैं.

राहत शिविर में समस्याओं का अंबार
जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए बनाए गए राहत शिविरों में समस्याओं का अंबार है. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि राहत शिविर में डीएम के निरीक्षण के बाद समय से खाना मिल रहा है लेकिन पेयजल, शौचालय, रोशनी और गंदगी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. इसके अलावा मवेशियों को पर्याप्त चारा नहीं मिलने से मवेशी भूखे रहते हैं. लोगों ने बताया कि राहत शिविरों में बनाए गए शौचालयों में पानी की समस्या होने के कारण, वह खुले में शौच करने को मजबूर हैं. लोगों ने बताया कि यहां फैली गंदगी के कारण बीमारियां फैलने का खतरा है.

सफेद हाथी साबित हो रहे राहत शिविर, चौतरफा फैली गंदगी से बिमारियों का खतरा

बिजली की समस्या
बाढ़ पीड़ित शकुंतला देवी ने बताया कि राहत शिविर में भरपेट खाना नहीं दिया जा रहा है. बालकृष्ण कुमार ने बताया कि शिविर में सुबह नाश्ता नहीं मिल पा रहा है. दोपहर का खाना 2 से 3 बजे और रात का खाना 7 से 8 के बीच में मिलता है. लेकिन मवेशियों के चारे के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिसकी वजह से पशुओं को खरीदकर चारा खिलाना पड़ रहा है. एक बाढ़ पीड़ित ने बताया कि राहत शिविर में रात 12 बजे के बाद बिजली काट दी जाती है. जिसकी वजह से रात भर अंधेरे में रहना पड़ता है.

Bhagalpur
बाढ़ पीड़ितो के लिए लगाया गया राहत शिविर

राहत कैंप में चलाए जा रहे आंगनवाड़ी केंद्र
जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने बताया कि राहत शिविरों में 2 समय के भोजन और एक समय के नाश्ते का प्रबंध किया गया है. राहत कैंप में आईसीडीएस की तरफ से आंगनवाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं. जेनरेटर के माध्यम से रोशनी की व्यवस्था की गई है. सभी राहत शिविरों में मेडिकल कैंप की व्यवस्था की गई है. जहां अधिक संख्या में मवेशी रह रहे हैं, वहां पशुपालक पदाधिकारी को पशु चारा देने के निर्देश दिए गये हैं. उन्होंने कहा कि सभी राहत कैंपों में नगर निगम के जरिए दो वक्त सफाई की जा रही है. जहां शौचालय नहीं है. वहां पर चलंत शौचालय और पीएचईडी के जरिए मोबाइल टॉयलेट लगाए गए हैं.

Bhagalpur
चारे की आस में पशु

भागलपुर: जिले में आई बाढ़ से 14 प्रखंड बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. गंगा और कोसी नदी की चपेट में आए गांवों की हालत सबसे ज्यादा खराब है. बाढ़ से प्रभावित परिवार गांव से पलायन करने को मजबूर हैं. हजारों की संख्या में विस्थापित हुए परिवार इधर-उधर शरण लिए हुए हैं. वहीं, बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे राहत कैंप भी सफेद हाथी साबित हो रहे हैं.

राहत शिविर में समस्याओं का अंबार
जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए बनाए गए राहत शिविरों में समस्याओं का अंबार है. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि राहत शिविर में डीएम के निरीक्षण के बाद समय से खाना मिल रहा है लेकिन पेयजल, शौचालय, रोशनी और गंदगी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. इसके अलावा मवेशियों को पर्याप्त चारा नहीं मिलने से मवेशी भूखे रहते हैं. लोगों ने बताया कि राहत शिविरों में बनाए गए शौचालयों में पानी की समस्या होने के कारण, वह खुले में शौच करने को मजबूर हैं. लोगों ने बताया कि यहां फैली गंदगी के कारण बीमारियां फैलने का खतरा है.

सफेद हाथी साबित हो रहे राहत शिविर, चौतरफा फैली गंदगी से बिमारियों का खतरा

बिजली की समस्या
बाढ़ पीड़ित शकुंतला देवी ने बताया कि राहत शिविर में भरपेट खाना नहीं दिया जा रहा है. बालकृष्ण कुमार ने बताया कि शिविर में सुबह नाश्ता नहीं मिल पा रहा है. दोपहर का खाना 2 से 3 बजे और रात का खाना 7 से 8 के बीच में मिलता है. लेकिन मवेशियों के चारे के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिसकी वजह से पशुओं को खरीदकर चारा खिलाना पड़ रहा है. एक बाढ़ पीड़ित ने बताया कि राहत शिविर में रात 12 बजे के बाद बिजली काट दी जाती है. जिसकी वजह से रात भर अंधेरे में रहना पड़ता है.

Bhagalpur
बाढ़ पीड़ितो के लिए लगाया गया राहत शिविर

राहत कैंप में चलाए जा रहे आंगनवाड़ी केंद्र
जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने बताया कि राहत शिविरों में 2 समय के भोजन और एक समय के नाश्ते का प्रबंध किया गया है. राहत कैंप में आईसीडीएस की तरफ से आंगनवाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं. जेनरेटर के माध्यम से रोशनी की व्यवस्था की गई है. सभी राहत शिविरों में मेडिकल कैंप की व्यवस्था की गई है. जहां अधिक संख्या में मवेशी रह रहे हैं, वहां पशुपालक पदाधिकारी को पशु चारा देने के निर्देश दिए गये हैं. उन्होंने कहा कि सभी राहत कैंपों में नगर निगम के जरिए दो वक्त सफाई की जा रही है. जहां शौचालय नहीं है. वहां पर चलंत शौचालय और पीएचईडी के जरिए मोबाइल टॉयलेट लगाए गए हैं.

Bhagalpur
चारे की आस में पशु
Intro:भागलपुर जिले के 16 प्रखंड में से 14 प्रखंड बाढ़ प्रभावित हुए हैं , जहां के हालात बद से बदतर हो गए हैं । गंगा और कोसी के चपेट में आए गांव की हालत सबसे ज्यादा खराब है ।बाढ़ से प्रभावित परिवार अपने घर छोड विस्थापन कि जिंदगी जीने को मजबूर हैं । हजारों की संख्या में विस्थापित हुए परिवार इधर-उधर शरण लिए हुए हैं । बाढ़ पीड़ित के लिए जिला प्रशासन राहत कैंप चला रही है ,लेकिन राहत शिविर में बाढ़ पीड़ित को समय से तो भोजन मिलने लगे हैं मगर पेयजल ,शौचालय ,रोशनी और गंदगी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। राहत शिविर में डीएम के निरीक्षण के बाद समय से भोजन मिलने लगे हैं लेकिन मवेशी का चारा पूरा नहीं मिल रहा है । वहीं खुले में शौच करने के लिए लोग मजबूर हैं ,राहत शिविर में जो चलंत शौचालय लगाए गए हैं उसमें पानी नहीं है । शिविर में पेयजल के भी संकट है ,कभी पानी के टैंकर आते हैं कभी नहीं आते हैं यह हाल है हवाई अड्डा में चल रहे कैंप का, यहां रह रहे लोगों को मजबूर में चापाकल का पानी पीना पड़ रहा है जिससे बीमार होने का डर लगा रहता है । सफाई भी सही तरीके से नहीं की जा रही है लोग जैसे तैसे रहने को मजबूर हैं ।


Body:बाढ़ पीड़ित शकुंतला देवी ने कहा कि हम लोगों को खाना भरपेट नहीं मिल रहा है ,माल जाल को भी खाना नहीं मिल रहा है । बारिश के कारण गंगा जी बढ़ रहा है हम लोग कहां जाएं कहीं कोई जगह नहीं है ।
तो वहीं नाथनगर से विस्थापित होकर आए बाढ़ पीड़ित बालकृष्ण कुमार ने बताया कि वर्तमान में शिविर में व्यवस्था ठीक ठाक है ,खाना दो समय मिल रहा है । लेकिन सुबह नाश्ता नहीं मिलता दोपहर का खाना 2 से 3 बजे मिलता ,रात का खाना 7 से 8क्षके बीच में मिलता है ,लेकिन पशु के लिए कोई व्यवस्था नहीं किया गया है ,खरीद कर लाते हैं और पशु को खिलाते हैं । उन्होंने कहा कि रात में रोशनी 12 बजे तक काट दी जाती है ,रात भर अंधेरे में रहने को मजबूर हैं । उन्होंने कहा कि यहां शौचालय की व्यवस्था नहीं है खुले में शौच करने जाते हैं ,यहां जो चलंत शौचालय की गाड़ी लगी है उसमें पानी नहीं है ,सूखे में कैसे शौचालय करें । इसीलिए बाहर में शौच करने के लिए जाना पड़ता । राहत शिविर के बारे में जानकारी देते हुए रीता देवी ने कहा कि खाना पीना ठीक मिल रहा है ,खाने में चावल दाल और सब्जी मिलता है । खाना दो समय मिल रहा है ,लेकिन रात में जब जरनैटर चलता है तब रोशनी रहती है । इसके बाद अंधेरे में रहना पड़ता है ,माल जाल के लिए यहां पर कोई सुविधा नहीं है ।जिस कारण खरीद कर खिलाना पड़ता है ।


जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने बाढ़ प्रभावित परिवार के लिए जिला प्रशासन द्वारा राहत कैंप में चल रहे व्यवस्था के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 2 समय भोजन और एक समय नाश्ता का प्रबंध किया गया है । राहत कैंप में आईसीडीएस की तरफ से आंगनवाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं । जनरेटर के माध्यम से रोशनी की व्यवस्था की गई है सभी राहत शिविर में मेडिकल कैंप की व्यवस्था की गई है ,जहां अधिक मात्रा में मवेशी रह रहे हैं वहां पर पशु चारा देने का निर्देश पशुपालक पदाधिकारी को दिया गया है । उन्होंने कहा कि शहर में जितने भी राहत कैंप चल रहे हैं वहां नगर निगम द्वारा दो समय सफाई किया जा रहा है । जहां शौचालय नहीं है वहां पर चलंत शौचालय और पीएचईडी द्वारा मोबाइल टॉयलेट लगाया गया है ।


Conclusion:visual
byte - शकुंतला देवी ( बाढ़ पीड़ित )
byte - बाल कृष्ण कुमार ( बाढ़ पीड़ित )
byte - रीता देवी ( बाढ़ पीड़ित )
byte - प्रणब कुमार ( जिलाधिकारी )
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