भागलपुर: कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा (Ajit Sharma) ने स्वास्थ्य व्वस्था को लेकर बिहार सरकार पर हमला बोला है. साथ ही कहा कि जब भागलपुर (Bhagalpur) के मायागंज अस्पताल (Mayaganj Hospital) में मरीजों का इलाज नहीं हो सकता है तो उसके अस्तित्व में रहने का कोई औचित्य नहीं, उसे बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मायागंज की व्यवस्था को लेकर कई बार पत्राचार किया, लेकिन कोई अधिकारी सुनते नहीं है. जबकि इस अस्पताल का निरीक्षण प्रधान सचिव ने भी किया था. बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ.
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दरअसल, बीते सोमवार को भागलपुर के रहने वाले दिवेश कुमार ने मायागंज अस्पताल की कुव्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुंचा था. उसने अस्पताल में पद पर नियुक्त डॉक्टर, नर्स और अन्य सपोर्टिंग स्टाफ पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सीएम से कहा था कि यदि अस्पताल की व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता है तो अस्पताल को बंद कर दिया जाए. अब कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने भी कहा है कि दिवेश ने जो बात कही है, वह एकदम सत्य है.
अजीत शर्मा ने कहा कि जब मायागंज अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं हो सकता है तो उसके अस्तित्व में रहने का कोई औचित्य नहीं, उसे बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मायागंज की व्यवस्था को लेकर कई बार पत्राचार किया, लेकिन कोई अधिकारी सुनते नहीं हैं. जबकि इस अस्पताल का निरीक्षण प्रधान सचिव ने भी किया था, बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ. लिहाजा इस अस्पताल का रहना बेकार है. उन्होंने कहा कि अस्पताल के खिड़की-दरवाजे और बेड की हालत बद से बदतर है. लाचार व्यवस्था में लोग इलाज कराने को मजबूर हैं.
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कांग्रेस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री से भागलपुर की रहने वाली एक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की छात्रा भी मिली है. उसने भी मुख्यमंत्री के सामने विश्वविद्यालय के सेशन लेट होने की बात को उठाया है. सदन में भी हम लोगों ने इस बात को उठाया था. शिक्षा विभाग से मांग की थी कि सेशन को नियमित करें, लेकिन कोई भी काम सही से नहीं होता है.
अजीत शर्मा ने कहा कि बिहार सरकार और चुनाव आयोग से भी अपनी नीति में बदलाव करने की मांग की है. वर्तमान में पंचायत चुनाव चल रहा है. ऐसे में नेपाल की रहने वाली जिन लड़कियों की शादी बिहार में हो जाती है, उन्हें तो चुनाव में आरक्षण सहित अन्य लाभ मिलते हैं, लेकिन झारखंड की रहने वाली लड़की की शादी यदि बिहार में होती है तो उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि किसी भी लड़की की यदि शादी हो जाती है और वह अपने पति के घर आती है तो पति का घर ही उस लड़की के लिए सब कुछ होता है. पति को जो लाभ बिहार में मिलेगा, वही लाभ लड़कियों को भी मिलना चाहिए. जबकि ऐसा नहीं हो रहा है. इसलिए इस दोहरी नीति को बदलने के लिए हम मुख्यमंत्री और चुनाव आयोग को पत्र लिखेंगे कि अपने नीति और नियम में बदलाव करें.