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CM ने इस गांव में किया था कई योजनाओं का शिलन्यास, आज भी है ये हालात - लाइन में लगकर पानी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बेगूसराय के जिस गांव में खुद आकर योजनाओं का शिलान्यास किया था, आज वह गांव बदहाली का दंश झेल रहा है.

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Published : Feb 14, 2020, 12:06 PM IST

बेगूसराय: 13 जनवरी 2017 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिले के सदर प्रखंड के सुजा गांव पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने सुजा गांव में पंचायत सरकार भवन के उद्घाटन सहित पंचायत में जल नल योजना, शौचालय योजना आदि का उद्घाटन किया था. इसको लेकर प्रशासन ने पूरे गांव ने खूबसूरत तरीके से सजाया था. लेकिन, सीएम के जाने के कुछ महीने बाद ही सभी योजनाएं धराशाई हो गई.

ग्रामीणों की शिकायत
इस मामले पर ग्रामीणों का आरोप है कि मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर जो काम किए गए, वो सभी आनन-फानन में गुणवत्ताहीन थे. लोगों को उस समय तो इस बात की अनुभूति नहीं हुई, लेकिन कुछ समय बाद सभी योजनाएं धराशाई होने लगी. इसको लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश देखने को मिला.

पेश है रिपोर्ट

धाराशाई हुई योजनाएं
लोगों ने बताया कि जलापूर्ति के लिए बिछाई गई पाईपों के मानकों के अनुरूप जमीन के अंदर नहीं लगाया गया. इस वजह से जगह-जगह पाइप टूटने के कारण जलापूर्ति ठप हो गई. वहीं, दर्जनों शौचालय 6 महीने के अंदर धराशाई हो गई.

ग्रामीणों को परेशानी
जलापूर्ति ठप होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी यहां महिलाओं को होती है. मात्र एक चापाकल के सहारे महादलित टोले की महिलाओं को लाइन में लगकर पानी लेना पड़ रहा है. शौचालय खराब होने के कारण अब ग्रामीण इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं. ग्रामीणों ने अब उसमें जलावन रखना शुरू कर दिया है.

यह भी पढ़ें- पुलवामा हमला: जरा याद इन्हें भी कर लो, बिहार के दो जवानों ने दी थी शहादत

बेगूसराय: 13 जनवरी 2017 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिले के सदर प्रखंड के सुजा गांव पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने सुजा गांव में पंचायत सरकार भवन के उद्घाटन सहित पंचायत में जल नल योजना, शौचालय योजना आदि का उद्घाटन किया था. इसको लेकर प्रशासन ने पूरे गांव ने खूबसूरत तरीके से सजाया था. लेकिन, सीएम के जाने के कुछ महीने बाद ही सभी योजनाएं धराशाई हो गई.

ग्रामीणों की शिकायत
इस मामले पर ग्रामीणों का आरोप है कि मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर जो काम किए गए, वो सभी आनन-फानन में गुणवत्ताहीन थे. लोगों को उस समय तो इस बात की अनुभूति नहीं हुई, लेकिन कुछ समय बाद सभी योजनाएं धराशाई होने लगी. इसको लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश देखने को मिला.

पेश है रिपोर्ट

धाराशाई हुई योजनाएं
लोगों ने बताया कि जलापूर्ति के लिए बिछाई गई पाईपों के मानकों के अनुरूप जमीन के अंदर नहीं लगाया गया. इस वजह से जगह-जगह पाइप टूटने के कारण जलापूर्ति ठप हो गई. वहीं, दर्जनों शौचालय 6 महीने के अंदर धराशाई हो गई.

ग्रामीणों को परेशानी
जलापूर्ति ठप होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी यहां महिलाओं को होती है. मात्र एक चापाकल के सहारे महादलित टोले की महिलाओं को लाइन में लगकर पानी लेना पड़ रहा है. शौचालय खराब होने के कारण अब ग्रामीण इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं. ग्रामीणों ने अब उसमें जलावन रखना शुरू कर दिया है.

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