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चुनावी सीजन में एफआईआई कर रहे हैं बैंक इक्विटी की खरीदारी - एनएसडीएल

विश्लेषकों का कहना है कि चुनावों के आसपास इन शेयरों पर दाव लगाने से अच्छी कमाई होती है. इस बार बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में अच्छी खरीदारी देखी जा रही है, जिसका मुख्य कारण ब्याज दरों में गिरावट है, जिससे इनकी कमाई बढ़ेगी.

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Published : Apr 21, 2019, 7:06 PM IST

मुंबई : देश में जहां आम चुनाव चल रहे हैं और इससे कारण भविष्य की आशंकाओं के बीच शेयर बाजार भी भारी उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बैंकिंग शेयरों पर दाव लगाकर अपनी स्थिति मजबूत की है, ताकि अधिकतम कमाई कर सकें.

विश्लेषकों का कहना है कि चुनावों के आसपास इन शेयरों पर दाव लगाने से अच्छी कमाई होती है. इस बार बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में अच्छी खरीदारी देखी जा रही है, जिसका मुख्य कारण ब्याज दरों में गिरावट है, जिससे इनकी कमाई बढ़ेगी.

पिछले साल एफआईआई द्वारा खरीदारी में कम उत्साह दिखाने के बाद इस साल उनकी अच्छी वापसी हुई है.

नेशनल सिक्युरिटी डिपॉजिटली लि. (एनएसडीएल) के आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में एफआईआई ने कुल 2,587 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, जबकि फरवरी और मार्च में विदेशी निवेशकों ने कुल 18,278 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की.

अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 के बीच विदेशी निवेशकों ने कुल 24,300 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की. उसके बाद सेंसेक्स और निफ्टी पर बैंकिंग शेयरों में तेजी आने लगी और निफ्टी का बैंकिंग सूचकांक सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया.

वित्तीय शेयरों में फरवरी और मार्च में मजबूती दर्ज की गई, जिसमें कुल विदेशी निवेश क्रमश: 10,326 करोड़ रुपये और 15,802 करोड़ रुपये किया गया, जबकि जनवरी में कुल 2,587 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की गई थी.
ये भी पढ़ें : टैरिफ किंग नहीं है भारत, विशिष्ट क्षेत्रों की सुरक्षा का अधिकार है : विशेषज्ञ

मुंबई : देश में जहां आम चुनाव चल रहे हैं और इससे कारण भविष्य की आशंकाओं के बीच शेयर बाजार भी भारी उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बैंकिंग शेयरों पर दाव लगाकर अपनी स्थिति मजबूत की है, ताकि अधिकतम कमाई कर सकें.

विश्लेषकों का कहना है कि चुनावों के आसपास इन शेयरों पर दाव लगाने से अच्छी कमाई होती है. इस बार बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में अच्छी खरीदारी देखी जा रही है, जिसका मुख्य कारण ब्याज दरों में गिरावट है, जिससे इनकी कमाई बढ़ेगी.

पिछले साल एफआईआई द्वारा खरीदारी में कम उत्साह दिखाने के बाद इस साल उनकी अच्छी वापसी हुई है.

नेशनल सिक्युरिटी डिपॉजिटली लि. (एनएसडीएल) के आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में एफआईआई ने कुल 2,587 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, जबकि फरवरी और मार्च में विदेशी निवेशकों ने कुल 18,278 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की.

अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 के बीच विदेशी निवेशकों ने कुल 24,300 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की. उसके बाद सेंसेक्स और निफ्टी पर बैंकिंग शेयरों में तेजी आने लगी और निफ्टी का बैंकिंग सूचकांक सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया.

वित्तीय शेयरों में फरवरी और मार्च में मजबूती दर्ज की गई, जिसमें कुल विदेशी निवेश क्रमश: 10,326 करोड़ रुपये और 15,802 करोड़ रुपये किया गया, जबकि जनवरी में कुल 2,587 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की गई थी.
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मुंबई : देश में जहां आम चुनाव चल रहे हैं और इससे कारण भविष्य की आशंकाओं के बीच शेयर बाजार भी भारी उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बैंकिंग शेयरों पर दाव लगाकर अपनी स्थिति मजबूत की है, ताकि अधिकतम कमाई कर सकें.

विश्लेषकों का कहना है कि चुनावों के आसपास इन शेयरों पर दाव लगाने से अच्छी कमाई होती है. इस बार बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में अच्छी खरीदारी देखी जा रही है, जिसका मुख्य कारण ब्याज दरों में गिरावट है, जिससे इनकी कमाई बढ़ेगी.

पिछले साल एफआईआई द्वारा खरीदारी में कम उत्साह दिखाने के बाद इस साल उनकी अच्छी वापसी हुई है.

नेशनल सिक्युरिटी डिपॉजिटली लि. (एनएसडीएल) के आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में एफआईआई ने कुल 2,587 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, जबकि फरवरी और मार्च में विदेशी निवेशकों ने कुल 18,278 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की.

अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 के बीच विदेशी निवेशकों ने कुल 24,300 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की. उसके बाद सेंसेक्स और निफ्टी पर बैंकिंग शेयरों में तेजी आने लगी और निफ्टी का बैंकिंग सूचकांक सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया.

वित्तीय शेयरों में फरवरी और मार्च में मजबूती दर्ज की गई, जिसमें कुल विदेशी निवेश क्रमश: 10,326 करोड़ रुपये और 15,802 करोड़ रुपये किया गया, जबकि जनवरी में कुल 2,587 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की गई थी.

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