ETV Bharat / business

अमेरिका-ईरान के तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर डाला असर - US-Iran tensions hit Indian basmati exports

हाल के वर्षों में ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों के कारण ईरान को बासमती चावल के निर्यात में भारत को काफी कठिनाई हुई है. भारत से बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक ईरान है. इसके अलावा सऊदी अरब, इराक, यूएई और कुवैत भी बड़ें आयातक हैं.

अमेरिका-ईरान के तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर डाला असर
अमेरिका-ईरान के तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर डाला असर
author img

By

Published : Nov 29, 2019, 7:59 PM IST

हैदराबाद: भारत दुनिया में बासमती चावल के अग्रणी निर्यातकों में से एक है. इसके निर्यात में हालिया मंदी चिंता का विषय है और इसे तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत है.

बासमती किस्म का उत्पादन हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में होता है.

भारत से बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक ईरान है. इसके अलावा सऊदी अरब, इराक, यूएई और कुवैत भी बड़ें आयातक हैं.

अमेरिका-ईरान के तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर डाला असर
अमेरिका-ईरान के तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर डाला असर

ये भी पढ़ें-दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर गिरकर 4.5 प्रतिशत

अमेरिका-ईरान तनाव
हाल के वर्षों में ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों के कारण ईरान को बासमती चावल के निर्यात में भारत को काफी कठिनाई हुई है.

साल 2018-19 में ईरान ने भारत से कुल बासमती निर्यात का लगभग एक तिहाई हिस्सा लिया. चालू वित्त वर्ष में यह अनुमान है कि कम से कम 10% की गिरावट होगी जो कि एक बड़ा हिस्सा है.

कुछ और समस्याएं -
ईरान, लेबनान और सीरिया सहित बासमती के निर्यात के लिए प्रमुख देशों में अस्थिर भूराजनीतिक स्थिति और व्यापार संभावनाओं पर अनिश्चितता का माहौल है. वहीं, कठिन कीटनाशक अवशेष मानक की वजह से भारत को यूरोपीय संघ के देशों में बासमती निर्यात करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

इस वर्ष भारत में बासमती का उत्पादन 10% अधिक होने की उम्मीद है, जिससे इसकी कीमतें नीचे आ जाएंगी. वहीं, बासमती के आयात पर सऊदी अरब नए व्यापार नियमों को खत्म सकता है.मुख्य रूप से ईरान को बासमती चावल के निर्यात में कमी के कारण घरेलू स्टॉक बढ़ सकता है. यही स्टॉक घरेलू कीमतों के साथ-साथ अन्य बाजारों में बासमती चावल के निर्यात के कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है जो अंततः बासमती उत्पादकों की आय को प्रभावित करेगा.

उपाय क्या है?
इस मुद्दे को रणनीतिक उपायों जैसे निर्यात बाजारों के विविधीकरण, चावल की विविधता के मूल्य में वृद्धि, भंडारण सुविधाओं का विस्तार, कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में किसानों में जागरूकता पैदा करना होगा. इसके साथ ही अच्छी कृषि पद्धतियों के लिए प्रोत्साहन आदि देना होगा.

किसानों की आय को दोगुना करने के लिए भारत के कृषि क्षेत्र में प्रमुख स्थान के कारण चावल की कीमतों का ध्यान रखा जाना चाहिए. सरकार को वर्तमान चुनौती के विभिन्न पहलुओं पर लगातार काम करना होगा ताकि किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा हो सके.

हैदराबाद: भारत दुनिया में बासमती चावल के अग्रणी निर्यातकों में से एक है. इसके निर्यात में हालिया मंदी चिंता का विषय है और इसे तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत है.

बासमती किस्म का उत्पादन हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में होता है.

भारत से बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक ईरान है. इसके अलावा सऊदी अरब, इराक, यूएई और कुवैत भी बड़ें आयातक हैं.

अमेरिका-ईरान के तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर डाला असर
अमेरिका-ईरान के तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर डाला असर

ये भी पढ़ें-दूसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर गिरकर 4.5 प्रतिशत

अमेरिका-ईरान तनाव
हाल के वर्षों में ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों के कारण ईरान को बासमती चावल के निर्यात में भारत को काफी कठिनाई हुई है.

साल 2018-19 में ईरान ने भारत से कुल बासमती निर्यात का लगभग एक तिहाई हिस्सा लिया. चालू वित्त वर्ष में यह अनुमान है कि कम से कम 10% की गिरावट होगी जो कि एक बड़ा हिस्सा है.

कुछ और समस्याएं -
ईरान, लेबनान और सीरिया सहित बासमती के निर्यात के लिए प्रमुख देशों में अस्थिर भूराजनीतिक स्थिति और व्यापार संभावनाओं पर अनिश्चितता का माहौल है. वहीं, कठिन कीटनाशक अवशेष मानक की वजह से भारत को यूरोपीय संघ के देशों में बासमती निर्यात करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

इस वर्ष भारत में बासमती का उत्पादन 10% अधिक होने की उम्मीद है, जिससे इसकी कीमतें नीचे आ जाएंगी. वहीं, बासमती के आयात पर सऊदी अरब नए व्यापार नियमों को खत्म सकता है.मुख्य रूप से ईरान को बासमती चावल के निर्यात में कमी के कारण घरेलू स्टॉक बढ़ सकता है. यही स्टॉक घरेलू कीमतों के साथ-साथ अन्य बाजारों में बासमती चावल के निर्यात के कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है जो अंततः बासमती उत्पादकों की आय को प्रभावित करेगा.

उपाय क्या है?
इस मुद्दे को रणनीतिक उपायों जैसे निर्यात बाजारों के विविधीकरण, चावल की विविधता के मूल्य में वृद्धि, भंडारण सुविधाओं का विस्तार, कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में किसानों में जागरूकता पैदा करना होगा. इसके साथ ही अच्छी कृषि पद्धतियों के लिए प्रोत्साहन आदि देना होगा.

किसानों की आय को दोगुना करने के लिए भारत के कृषि क्षेत्र में प्रमुख स्थान के कारण चावल की कीमतों का ध्यान रखा जाना चाहिए. सरकार को वर्तमान चुनौती के विभिन्न पहलुओं पर लगातार काम करना होगा ताकि किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा हो सके.

Intro:Body:

अमेरिका-ईरान के तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर डाला असर 

हैदराबाद: भारत दुनिया में बासमती चावल के अग्रणी निर्यातकों में से एक है. इसके निर्यात में हालिया मंदी चिंता का विषय है और इसे तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत है.

बासमती किस्म का उत्पादन हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में होता है.

भारत से बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक ईरान है. इसके अलावा सऊदी अरब, इराक, यूएई और कुवैत भी बड़ें आयातक हैं. 

अमेरिका-ईरान तनाव

हाल के वर्षों में ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों के कारण ईरान को बासमती चावल के निर्यात में भारत को काफी कठिनाई हुई है.

साल 2018-19 में ईरान ने भारत से कुल बासमती निर्यात का लगभग एक तिहाई हिस्सा लिया. चालू वित्त वर्ष में यह अनुमान है कि कम से कम 10% की गिरावट होगी जो कि एक बड़ा हिस्सा है.

कुछ और समस्याएं -

ईरान, लेबनान और सीरिया सहित बासमती के निर्यात के लिए प्रमुख देशों में अस्थिर भूराजनीतिक स्थिति और व्यापार संभावनाओं पर अनिश्चितता का माहौल है. वहीं, कठिन कीटनाशक अवशेष मानक की वजह से भारत को यूरोपीय संघ के देशों में बासमती निर्यात करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 

इस वर्ष भारत में बासमती का उत्पादन 10% अधिक होने की उम्मीद है, जिससे इसकी कीमतें नीचे आ जाएंगी. वहीं, बासमती के आयात पर सऊदी अरब नए व्यापार नियमों को खत्म सकता है.मुख्य रूप से ईरान को बासमती चावल के निर्यात में कमी के कारण घरेलू स्टॉक बढ़ सकता है. यही स्टॉक घरेलू कीमतों के साथ-साथ अन्य बाजारों में बासमती चावल के निर्यात के कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है जो अंततः बासमती उत्पादकों की आय को प्रभावित करेगा.

उपाय क्या है?

इस मुद्दे को रणनीतिक उपायों जैसे निर्यात बाजारों के विविधीकरण, चावल की विविधता के मूल्य में वृद्धि, भंडारण सुविधाओं का विस्तार, कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में किसानों में जागरूकता पैदा करना होगा. इसके साथ ही अच्छी कृषि पद्धतियों के लिए प्रोत्साहन आदि देना होगा. 

किसानों की आय को दोगुना करने के लिए भारत के कृषि क्षेत्र में प्रमुख स्थान के कारण चावल की कीमतों का ध्यान रखा जाना चाहिए. सरकार को वर्तमान चुनौती के विभिन्न पहलुओं पर लगातार काम करना होगा ताकि किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा हो सके.

 


Conclusion:

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.