नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का कॉर्पोरेट टैक्स की दर कम करने का वादा आखिरकार पूरा हो गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कॉरपोरेट टैक्स में भारी कटौती की घोषणा करते हुए इसे 30 प्रतिशत से 22 प्रतिशत कर दिया है.
मालूम हो कि वित्त मंत्री रहने के दौरान अरुण जेटली ने 2015-16 बजट भाषण में कहा था कि आने वाले चार सालों में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती कर इसे 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया जाएगा. इसी क्रम में उन्होंने पिछले वर्ष में 250 करोड़ रुपये तक की सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों पर कॉरपोरेट इनकम टैक्स की दर को घटाकर 25 फीसद कर दिया था.
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बता दें कि इससे पहले भारतीय कंपनियों को 30 फीसदी टैक्स के अलावा अलग से सरचार्ज देना पड़ता था जबकि विदेशी कंपनियों को 40 फीसदी टैक्स देना पड़ता था. शुक्रवार सुबह सीतारमण ने कहा कि सरकार ने इनकम टैक्स अधिनियम 1961 और फाइनांस एक्ट 2019 में बदलाव किया है. इस बदलाव के बाद भारतीय कंपनियों के पास दो विकल्प होंगे.
कंपनियों को 22 प्रतिशत के इनकम टैक्स का विकल्प चुनना होगा. यह तभी मिलेगा जब कंपनी बाकी छूट और प्रोत्साहन का लाभ छोड़ देगी. इस लिहाज़ से ऐसी कंपनियों को प्रभावी रूप से 25.17 प्रतिशत टैक्स देना होगा और कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स (मैट) देने की भी जरुरत नहीं होगी.
जेटली का मानना था कि कॉरपोरेट टैक्स की दर को कम करने से कंपनियों के पास निवेश के लिए अधिक पैसे उपलब्ध होगें और इससे रोजगार भी बढ़ेगा. बता दें कि पिछले महीने ही अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था.
सीतारमण ने पूरा किया जेटली का कॉर्पोरेट टैक्स कम करने का वादा
वित्त मंत्री रहने के दौरान अरुण जेटली ने 2015-16 बजट भाषण में कहा था कि आने वाले चार सालों में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती कर इसे 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया जाएगा.
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का कॉर्पोरेट टैक्स की दर कम करने का वादा आखिरकार पूरा हो गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कॉरपोरेट टैक्स में भारी कटौती की घोषणा करते हुए इसे 30 प्रतिशत से 22 प्रतिशत कर दिया है.
मालूम हो कि वित्त मंत्री रहने के दौरान अरुण जेटली ने 2015-16 बजट भाषण में कहा था कि आने वाले चार सालों में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती कर इसे 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया जाएगा. इसी क्रम में उन्होंने पिछले वर्ष में 250 करोड़ रुपये तक की सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों पर कॉरपोरेट इनकम टैक्स की दर को घटाकर 25 फीसद कर दिया था.
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बता दें कि इससे पहले भारतीय कंपनियों को 30 फीसदी टैक्स के अलावा अलग से सरचार्ज देना पड़ता था जबकि विदेशी कंपनियों को 40 फीसदी टैक्स देना पड़ता था. शुक्रवार सुबह सीतारमण ने कहा कि सरकार ने इनकम टैक्स अधिनियम 1961 और फाइनांस एक्ट 2019 में बदलाव किया है. इस बदलाव के बाद भारतीय कंपनियों के पास दो विकल्प होंगे.
कंपनियों को 22 प्रतिशत के इनकम टैक्स का विकल्प चुनना होगा. यह तभी मिलेगा जब कंपनी बाकी छूट और प्रोत्साहन का लाभ छोड़ देगी. इस लिहाज़ से ऐसी कंपनियों को प्रभावी रूप से 25.17 प्रतिशत टैक्स देना होगा और कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स (मैट) देने की भी जरुरत नहीं होगी.
जेटली का मानना था कि कॉरपोरेट टैक्स की दर को कम करने से कंपनियों के पास निवेश के लिए अधिक पैसे उपलब्ध होगें और इससे रोजगार भी बढ़ेगा. बता दें कि पिछले महीने ही अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था.
सीतारमण ने पूरा किया जेटली का कॉर्पोरेट टैक्स कम करने का वादा
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का कॉर्पोरेट टैक्स की दर कम करने का वादा आखिरकार पूरा हो गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कॉरपोरेट टैक्स में भारी कटौती की घोषणा करते हुए इसे 30 प्रतिशत से 22 प्रतिशत कर दिया है.
मालूम हो कि अरुण जेटली ने वित्त मंत्री रहने के दौरान कहा था कि आने वाले चार सालों में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती कर इसे 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया जाएगा. इसी क्रम में उन्होंने पिछले वर्ष में 250 करोड़ रुपये तक की सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों पर कॉरपोरेट इनकम टैक्स की दर को घटाकर 25 फीसद कर दिया था.
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बता दें कि इससे पहले भारतीय कंपनियों को 30 फीसदी टैक्स के अलावा अलग से सरचार्ज देना पड़ता था जबकि विदेशी कंपनियों को 40 फीसदी टैक्स देना पड़ता था. शुक्रवार सुबह सीतारमण ने कहा कि सरकार ने इनकम टैक्स अधिनियम 1961 और फाइनांस एक्ट 2019 में बदलाव किया है. इस बदलाव के बाद भारतीय कंपनियों के पास दो विकल्प होंगे.
कंपनियों को 22 प्रतिशत के इनकम टैक्स का विकल्प चुनना होगा. यह तभी मिलेगा जब कंपनी बाकी छूट और प्रोत्साहन का लाभ छोड़ देगी. इस लिहाज़ से ऐसी कंपनियों को प्रभावी रूप से 25.17 प्रतिशत टैक्स देना होगा और कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स (मैट) देने की भी जरुरत नहीं होगी.
जेटली का मानना था कि कॉरपोरेट टैक्स की दर को कम करने से कंपनियों के पास निवेश के लिए अधिक पैसे उपलब्ध होगें और इससे रोजगार भी बढ़ेगा. बता दें कि पिछले महीने ही अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था.
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