हैदराबाद:यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान ने वैश्विक तेल बाजारों को झकझोर दिया है और इसका झटका आपकी जेब पर भी पडे़गा. ब्रेंट ने लगभग आठ वर्षों के बाद $ 100 का आंकड़ा पार किया. आज यानी गुरूवार को रूस के यूक्रेन पर हमला करते ही क्रूड ऑयल की कीमतें 103 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई. भारत सरकार ने उपभोक्ताओं को नवंबर 2021 में स्थानीय ईंधन की कीमतों में थोड़ी राहत दी थी वो अब जल्द ही समाप्त हो सकता है क्योंकि पुतिन के एक्शन से आपके घरेलू बजट को झटका लगने की पूरी संभावना है.
इन ढाई महीनों में सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल (Petrol- Diesel l Rate) के दाम नहीं बढ़ाएं हैं. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश (UP Election) सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही तेल की कीमतों में इजाफा होने की संभावना प्रबल हो गई है. इससे पहले 2014 में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर के उपर चला गया था.भारतीय तेल कंपनियों ने 3 नवंबर से पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है. हालांकि तब से लेकर अब तक कच्चा तेल लगभग 20 डॉलर प्रति बैरल महंगा हो गया है.
बाजार के जानकारों का मानना है कि यदि रूस यूक्रेन युद्ध लंबा खिचता है तो कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल या उससे उपर भी जा सकता हैं. इन हालातों में घरेलू तेल कंपनियां (Domestic Oil Companies) डीजल और पेट्रोल के रेट 15-20 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा सकती हैं. ऐसा भी हो सकता है कि तेल कंपनियां बढ़ोतरी एक साथ न करके कुछ चरणों में करे. प्राकृतिक गैस की कीमत (Natural Gas Price) भी लगातार बढ़ रही है. इसके चलते आने वाले दिनों में LPG और CNG के दाम भी 15 से 20 रुपए तक बढ़ने की काफी संभावना है.
तेल की कीमतों में वृद्धि पर विराम 7 मार्च को उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2022 के आखिरी मतदान के साथ ही खत्म होने की प्रबल संभावना है. तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने पिछले साल 4 नवंबर से तेल की कीमतों में कोई इजाफा नहीं किया है. इसके साथ ही सरकार ने उपभोक्ताओं को डीजल पर 10 रुपये और पेट्रोल पर 5 रुपये उत्पाद शुल्क कम करके कुछ राहत दी थी. पुतिन द्वारा युद्ध के ऐलान के साथ क्रुड ऑयल के बाजार के साथ-साथ गैस की कीमतें में खासी बढ़ोतरी हुई है क्योंकि कल यानी बुधवार तक क्रुड ऑयल 103 डॉलर प्रति बैरल से बढकर 103 डॉलर तक चला गया है. भारत जैसे प्रमुख तेल आयातक देशों पर इसका खासा असर पडेगा. आमतौर पर देखा गया है कि तेल कंपनियां चुनाव के दौरान पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाती है क्योंकि सत्ताधारी दल को इसका खासा नुकसान होता है.
हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने FSDC की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद स्वीकार किया कि कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें भारत की वित्तीय स्थिरता के लिए एक चुनौती है. उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है. यूक्रेन में सैन्य अभियानों की पुतिन की घोषणा मिंट स्ट्रीट पर गूंजेगी, जिसने अब तक मुद्रास्फीति की चिंताओं पर आर्थिक पुनरुद्धार को प्राथमिकता देते हुए मौद्रिक नीति पर एक उदासीन रुख बनाए रखा है.रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन शक्तिकांत दास को बदले हुए परिदृश्य के बीच अपने विकल्पों का समीक्षा करना होगा और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए ईजी मनी वापस लेना होगा. पिछले साल की तरह करों को कम करने से उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि जब हस्तक्षेप करने की आवश्यकता होगी तो सरकार सार्वजनिक रूप से सामने आएगी.
यह भी पढ़ें-पुतिन के जंग के एलान के बाद धराशाई हुआ भारतीय शेयर बाजार