मुंबई: अर्थव्यवस्था और बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने नए कार्यकाल में भूमि और श्रम बाजार के सुधारों को प्रथमिकता देनी होगी. उनका मानना है कि 17वीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत से नीतियों की निरंतरता बनी रहेगी.
घरेलू क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि "नीतिगत निरंतरता से खास कर भूमि और श्रम बाजार संबंधी सुधारों को आगे ले जाने का अवसर पैदा हुआ है."
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इसी तरह की दूसरी एजेंसी केयर रेटिंग्स ने कहा कि राजनीतिक मोर्चे का घटना क्रम देश की अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक है. पूर्ण बहुमत होने से सरकार संसद में किसी बाधा के आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ा सकती है.
केयर ने भी उद्योगों के लिए आसानी और रोजगार के अवसर बढ़ाने की दृष्टि से श्रम सुधारों को महत्वपूर्ण बताया है. अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी गोल्डमैन साक्श ने कहा कि श्रम सुधारों के क्षेत्र में पारदर्शी नीलामी और डिजलीकरण को शामिल किया जा सकता है.
येस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव ने ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग-मांग को प्रोत्साहन, बैंकों के संकट का समाधान और वैश्विक स्तार पर व्यापार युद्ध के वातावरण में आगे बढ़ना सरकार की प्रमुखता होनी चाहिए. वाहन एलपीजी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के मंच इंडियन ऑटो एलपीजी कोएलिजन के महानिदेशक सुयश गुप्ता ने उम्मीद जताई है "सरकार कारोबार के अनुकूल नीतियों को जारी रखेगी और आटो एलपीजी जैसे गैस ईंधन को बढ़ावा देगी ताकि वायुप्रदूषण कम हो."
उन्होंने कहा कि चुनाव में लोगों ने सरकार के काम को सराहा है. इसमें उज्ज्वला और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उज्ज्वला से भारत में आज 90 प्रतिशत घरों तक रसोईं गैस के कनेक्शन पहुंच गए है जबकि 2014 में केवल 55 प्रतिशत घरों में यह सुविधा थी.
मारुती सुजूकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा, "मतदाताओं ने मोदी के कामों का पूरा समर्थन किया है और उन्हें उस काम को आगे बढ़ाने का भारी जनादेश दिया है. भारतीय मतदाता ने सचमुच अद्भुत समझ और परिपक्वता का परिचय दिया है."