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फंसे कर्ज में गिरावट से चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 0.6 प्रतिशत की हो सकती है वृद्धि

इसमें कहा गया है कि कर्ज की लागत में कमी के साथ बैंकों का लाभ बढ़ने के कारण यह संभव होगा. एनपीए के लिए बैंकों के लिए बैंकों को अपने खाते में हानि दिखानी पड़ती है. लाभ बढ़ने पर बैंक उत्पादक कार्यों के लिये और कर्ज दे सकेंगे.

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Published : Apr 15, 2019, 8:21 PM IST

मुंबई : बैंक के अवरुद्ध कर्जों कर्जों (एनपीए) में गिरावट के चलते बैंकों का लाभ बढ़ने से वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.60 प्रतिशत की तेजी आ सकती है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

इसमें कहा गया है कि कर्ज की लागत में कमी के साथ बैंकों का लाभ बढ़ने के कारण यह संभव होगा. एनपीए के लिए बैंकों के लिए बैंकों को अपने खाते में हानि दिखानी पड़ती है. लाभ बढ़ने पर बैंक उत्पादक कार्यों के लिये और कर्ज दे सकेंगे.

अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन साक्श ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, "कर्ज की लागत में कमी से ऋण वितरण में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि होगी, वास्तविक निवेश में 2 प्रतिशत तथा वास्तविक जीडीपी में 0.60 प्रतिशत की वृद्धि होगी."

इससे पहले, रिजर्व बैंक ने 2019-20 में जीडीपी 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था जो फरवरी के अनुमान से 0.2 प्रतिशत कम है.

ब्रोकरेज कंपनी का अनुमान है कि 2019-20 में एनपीए के लिए प्रावधान कुल बकाया कर्ज के 1.20 प्रतिशत तक रह जाएगी, जो 2017-18 में 2.30 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी.

समग्र रूप से यह राशि 3.3 लाख करोड़ रुपये से कम होकर 1.9 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. कर्ज में वृद्धि पिछले कुछ पखवाड़ों में कई साल के उच्च स्तर पर पहुंच गयी है. 29 मार्च को समाप्त पखवाड़े में यह 13.24 प्रतिशत थी.
ये भी पढ़ें : देश की थोक महंगाई मार्च में बढ़कर 3.18 फीसदी

मुंबई : बैंक के अवरुद्ध कर्जों कर्जों (एनपीए) में गिरावट के चलते बैंकों का लाभ बढ़ने से वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.60 प्रतिशत की तेजी आ सकती है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

इसमें कहा गया है कि कर्ज की लागत में कमी के साथ बैंकों का लाभ बढ़ने के कारण यह संभव होगा. एनपीए के लिए बैंकों के लिए बैंकों को अपने खाते में हानि दिखानी पड़ती है. लाभ बढ़ने पर बैंक उत्पादक कार्यों के लिये और कर्ज दे सकेंगे.

अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन साक्श ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, "कर्ज की लागत में कमी से ऋण वितरण में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि होगी, वास्तविक निवेश में 2 प्रतिशत तथा वास्तविक जीडीपी में 0.60 प्रतिशत की वृद्धि होगी."

इससे पहले, रिजर्व बैंक ने 2019-20 में जीडीपी 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था जो फरवरी के अनुमान से 0.2 प्रतिशत कम है.

ब्रोकरेज कंपनी का अनुमान है कि 2019-20 में एनपीए के लिए प्रावधान कुल बकाया कर्ज के 1.20 प्रतिशत तक रह जाएगी, जो 2017-18 में 2.30 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी.

समग्र रूप से यह राशि 3.3 लाख करोड़ रुपये से कम होकर 1.9 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. कर्ज में वृद्धि पिछले कुछ पखवाड़ों में कई साल के उच्च स्तर पर पहुंच गयी है. 29 मार्च को समाप्त पखवाड़े में यह 13.24 प्रतिशत थी.
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मुंबई : बैंक के अवरुद्ध कर्जों कर्जों (एनपीए) में गिरावट के चलते बैंकों का लाभ बढ़ने से वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.60 प्रतिशत की तेजी आ सकती है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है.

इसमें कहा गया है कि कर्ज की लागत में कमी के साथ बैंकों का लाभ बढ़ने के कारण यह संभव होगा. एनपीए के लिए बैंकों के लिए बैंकों को अपने खाते में हानि दिखानी पड़ती है. लाभ बढ़ने पर बैंक उत्पादक कार्यों के लिये और कर्ज दे सकेंगे.

अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन साक्श ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, "कर्ज की लागत में कमी से ऋण वितरण में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि होगी, वास्तविक निवेश में 2 प्रतिशत तथा वास्तविक जीडीपी में 0.60 प्रतिशत की वृद्धि होगी."

इससे पहले, रिजर्व बैंक ने 2019-20 में जीडीपी 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था जो फरवरी के अनुमान से 0.2 प्रतिशत कम है.

ब्रोकरेज कंपनी का अनुमान है कि 2019-20 में एनपीए के लिए प्रावधान कुल बकाया कर्ज के 1.20 प्रतिशत तक रह जाएगी, जो 2017-18 में 2.30 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी.

समग्र रूप से यह राशि 3.3 लाख करोड़ रुपये से कम होकर 1.9 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी. कर्ज में वृद्धि पिछले कुछ पखवाड़ों में कई साल के उच्च स्तर पर पहुंच गयी है. 29 मार्च को समाप्त पखवाड़े में यह 13.24 प्रतिशत थी.

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