नई दिल्ली: भारतीय रेलवे अपनी पार्सल सेवा की जिम्मेदारी अब पूरी तरह से निजी हाथों में देने जा रहा है. रेलवे बोर्ड ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे सियालदह और मुंबई राजधानी में शुरू करने का आदेश भी जारी कर दिया है. रेलवे के इस फैसले के खिलाफ रेलवे पार्सल यूनियन ने जोरदार विरोध किया है. यूनियन ने फैसले के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया है.
रेलवे स्टेशन पर माल चढ़ाने और उतारने वाले निजी कर्मियों ने फैसले का विरोध शुरू कर दिया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए यूनियन के अध्यक्ष अशोक बाघ ने कहा कि रेलवे कानून के खिलाफ जा रहा है क्योंकि चार टन एसएलआर को रेलवे पार्सल के लिए आरक्षित रखा गया है. अब बिना किसी टेंडर के रेलवे ने यह काम अमेजन को दिया है. यूनियन से इस फैसले के बारे में चर्चा तक नहीं की गई है.
रेलवे के इस कदम से बड़े पैमाने पर कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. रेलवे पार्सल सेवा में काम करने वाले मजदूरों में से एक ने कहा, "हम पिछले 24 सालों से यहां काम कर रहे हैं. अगर पार्सल सेवा अमेजन को दी जाएगी, तो हम पैसा कैसे कमा पाएंगे? हम सभी बेरोजगार हो जाएंगे."
जबकि कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम रेलवे को निजीकरण की ओर धकेलना है. इस मामले में संघ ने यह भी माना कि सरकार के नियमों और विनियमों की अनदेखी कर बिना किसी निविदा प्रक्रिया के अमेजन यह काम दिया है. हालांकि, अशोक बाघ ने कहा कि उनका संघ निजीकरण या पीपीपी मॉडल के खिलाफ नहीं है.
इस 2 दिनों के विरोध के कारण रेलवे को प्रति दिन 60-80 लाख रुपये का नुकसान हुआ. वर्तमान में लोडिंग/अनलोडिंग की सेवा स्वच्छता कर्मचारियों और पोर्टल द्वारा की जा रही है. जिसके लिए रेलवे को श्रमिकों को अधिक भुगतान करने की आवश्यकता है.
फिलहाल दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है, लेकिन जल्द ही मुंबई और कोलकाता में भी इस फैसले के खिलाफ और अधिक यूनियनें विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगी.
बता दें कि रेलवे ने निर्णय के तहत मुंबई राजधानी (12952/12951) और सियालदह राजधानी (12314/12313) से इस योजना की शुरुआत हो रही है. इन दोनों ट्रेनों में गार्ड के डिब्बे के साथ लगने वाले एसएलआर (पार्सल वैगन) में ढाई टन पार्सल के परिवहन की अनुमति अमेजन इंडिया को दी गई है. एक एसएलआर की क्षमता चार टन होती है, जो अभी पूरी तरह से रेलवे के पास है. लेकिन, अब इन ट्रेनों में रेलवे मात्र डेढ़ टन सामान ही बुक कर सकेगा.