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भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र विकसित हो रहा, कृत्रिम मेधा, डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाना चाहिए: पनगढ़िया - Panagariya

अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच पर कोलंबिया विश्विविद्यालय में भारतीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा, "कृत्रिम मेधा, डेटा एनालिटिक्स और अन्य सभी प्रौद्योगिकी को देखते हुए आने वाले समय में भारत में इलाज बेहतर हो सकता है."

भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र विकसित हो रहा, कृत्रिम मेधा, डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाना चाहिए: पनगढ़िया
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Published : Oct 21, 2019, 9:34 PM IST

नई दिल्ली: कृत्रिम मेधा (एआई) और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में विकास को देखते हुए भारत के लिये बीमारियों के इलाज में सुधार लाने के लिये काफी संभावना है. नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िा ने सोमवार को यह कहा.

अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच पर कोलंबिया विश्विविद्यालय में भारतीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा, "कृत्रिम मेधा, डेटा एनालिटिक्स और अन्य सभी प्रौद्योगिकी को देखते हुए आने वाले समय में भारत में इलाज बेहतर हो सकता है."

ये भी पढ़ें- निर्यात बढ़ाने के उपाय और आयात का प्रतिस्थापन

उन्होंने कहा कि इन प्रौद्योगिकी में बदलावों को देखते हुए भारत देश के कहीं भी बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध करा सकता है. पनगढ़िया ने कहा कि भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र अभी भी विकसित हो रहा है. इस क्षेत्र पर निजी क्षेत्र का दबदबा है और सरकार की भूमिका चिकित्सा कॉलेज लगाने पर रही है. कुछ बड़े अस्पताल हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर का संचालन निजी क्षेत्र द्वारा है.

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार ने पूरा बुनियादी ढांचा लगाया है. उन्होंने कहा, "भारत में बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों और यहां तक कि छोटे एवं मझोले शहरों में योग्य डाक्टर नहीं जाते. ज्यादातर काम वे लोग करते हैं जिन्होंने काम सीखा है या जिसने डाक्टर के साथ सहायक के रूप में काम किया है."

पनगढ़िया ने कहा कि ये चुनौतियां हैं जिससे भारत को पार पाना होगा. क्षेत्र में बदलाव आएगा क्योंकि भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) कानून, 21019 के जरिये सुधार पेश किये गये हैं.

नई दिल्ली: कृत्रिम मेधा (एआई) और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में विकास को देखते हुए भारत के लिये बीमारियों के इलाज में सुधार लाने के लिये काफी संभावना है. नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िा ने सोमवार को यह कहा.

अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच पर कोलंबिया विश्विविद्यालय में भारतीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा, "कृत्रिम मेधा, डेटा एनालिटिक्स और अन्य सभी प्रौद्योगिकी को देखते हुए आने वाले समय में भारत में इलाज बेहतर हो सकता है."

ये भी पढ़ें- निर्यात बढ़ाने के उपाय और आयात का प्रतिस्थापन

उन्होंने कहा कि इन प्रौद्योगिकी में बदलावों को देखते हुए भारत देश के कहीं भी बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध करा सकता है. पनगढ़िया ने कहा कि भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र अभी भी विकसित हो रहा है. इस क्षेत्र पर निजी क्षेत्र का दबदबा है और सरकार की भूमिका चिकित्सा कॉलेज लगाने पर रही है. कुछ बड़े अस्पताल हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर का संचालन निजी क्षेत्र द्वारा है.

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार ने पूरा बुनियादी ढांचा लगाया है. उन्होंने कहा, "भारत में बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों और यहां तक कि छोटे एवं मझोले शहरों में योग्य डाक्टर नहीं जाते. ज्यादातर काम वे लोग करते हैं जिन्होंने काम सीखा है या जिसने डाक्टर के साथ सहायक के रूप में काम किया है."

पनगढ़िया ने कहा कि ये चुनौतियां हैं जिससे भारत को पार पाना होगा. क्षेत्र में बदलाव आएगा क्योंकि भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) कानून, 21019 के जरिये सुधार पेश किये गये हैं.

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भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र विकसित हो रहा, कृत्रिम मेधा, डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाना चाहिए: पनगढ़िया

नई दिल्ली: कृत्रिम मेधा (एआई) और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में विकास को देखते हुए भारत के लिये बीमारियों के इलाज में सुधार लाने के लिये काफी संभावना है. नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िा ने सोमवार को यह कहा. 

अमेरिका-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच पर कोलंबिया विश्विविद्यालय में भारतीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर पनगढ़िया ने कहा, "कृत्रिम मेधा, डेटा एनालिटिक्स और अन्य सभी प्रौद्योगिकी को देखते हुए आने वाले समय में भारत में इलाज बेहतर हो सकता है." 

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उन्होंने कहा कि इन प्रौद्योगिकी में बदलावों को देखते हुए भारत देश के कहीं भी बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध करा सकता है. पनगढ़िया ने कहा कि भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र अभी भी विकसित हो रहा है. इस क्षेत्र पर निजी क्षेत्र का दबदबा है और सरकार की भूमिका चिकित्सा कॉलेज लगाने पर रही है. कुछ बड़े अस्पताल हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर का संचालन निजी क्षेत्र द्वारा है. 

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार ने पूरा बुनियादी ढांचा लगाया है. उन्होंने कहा, "भारत में बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों और यहां तक कि छोटे एवं मझोले शहरों में योग्य डाक्टर नहीं जाते. ज्यादातर काम वे लोग करते हैं जिन्होंने काम सीखा है या जिसने डाक्टर के साथ सहायक के रूप में काम किया है." 

पनगढ़िया ने कहा कि ये चुनौतियां हैं जिससे भारत को पार पाना होगा. क्षेत्र में बदलाव आएगा क्योंकि भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) कानून, 21019 के जरिये सुधार पेश किये गये हैं.

 


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