मधुबनी: जिले में एक ऐसा तालाब है जो वर्षों पूर्व राहगीरों को खाना बनाने के लिए बर्तन दिया करता था. जी हां, यह तालाब मधुबनी जिले के लौकही प्रखंड अंतर्गत झहुरी स्थल पर है. इस तालाब की विशेषता ये है कि इसका पानी कभी खराब नहीं होता.
तालाब में देवताओं का है वास
ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में देवी देवताओं का वास है. इस कारण वर्षों पूर्व इस रास्ते से जब राहगीर गुजरते थे तब वो विनती कर तालाब से बर्तन की मांग करते थे. अचानक तालाब से बर्तन बाहर आ जाता था फिर राही खाना बनाकर बर्तन साफ कर पुनः तालाब के किनारे रख दिया करते थे. बर्तन खुद-ब-खुद अंदर चला जाता था.
यहां बैसाखी के दिन लगता है मेला
इस तालाब की कहानी राजा हरिहर सिंह देव से जुड़ी हुई है. इस तालाब पर स्थित झहुरी स्थल काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है. बाबा हरिहर सिंह देव की समाधि भी यही हैं. हर साल यहां बैसाखी के दिन मेला लगता है. जिले के अलावे पड़ोसी राष्ट्र नेपाल सहित आसपास के लाखों लोग इस दिन तालाब में डुबकी लगाने यहां आते हैं.
लोगों का मन्नतें होती हैं पूरी
लोगों का मानना है इस तालाब के नजदीक जो भी मन्नत मांगा जाए वो बाबा हरिहर सिंह देव की कृपा से पूरी होती है. लोगों का मानना है कि इस तालाब में हृदय सिंह और उनकी पत्नी की आत्मा वास करती है. तालाब के बीचोबीच एक कुआं भी है. आज तक इस तालाब को कोई भी व्यक्ति तैर कर पार नहीं कर सका है. इतिहास के पन्नों में इस तालाब की अद्भुत कहानी है. लोग मस्तक टेक कर तालाब को प्रणाम करते हैं.