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ऐतिहासिक तालाब की अद्भुत कहानी, तालाब में है देवताओं का वास

मधुबनी जिले के लौकही प्रखंड स्थित इस तालाब का ऐतिहासिक महत्व है. हर साल बैसाखी के दिन यहां मेला लगता है. लोगों का मानना है कि इस तालाब में देवी देवताओं का वास है.

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Published : Jun 5, 2019, 9:28 PM IST

अद्भुत तालाब

मधुबनी: जिले में एक ऐसा तालाब है जो वर्षों पूर्व राहगीरों को खाना बनाने के लिए बर्तन दिया करता था. जी हां, यह तालाब मधुबनी जिले के लौकही प्रखंड अंतर्गत झहुरी स्थल पर है. इस तालाब की विशेषता ये है कि इसका पानी कभी खराब नहीं होता.

तालाब में देवताओं का है वास

ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में देवी देवताओं का वास है. इस कारण वर्षों पूर्व इस रास्ते से जब राहगीर गुजरते थे तब वो विनती कर तालाब से बर्तन की मांग करते थे. अचानक तालाब से बर्तन बाहर आ जाता था फिर राही खाना बनाकर बर्तन साफ कर पुनः तालाब के किनारे रख दिया करते थे. बर्तन खुद-ब-खुद अंदर चला जाता था.

यहां बैसाखी के दिन लगता है मेला
इस तालाब की कहानी राजा हरिहर सिंह देव से जुड़ी हुई है. इस तालाब पर स्थित झहुरी स्थल काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है. बाबा हरिहर सिंह देव की समाधि भी यही हैं. हर साल यहां बैसाखी के दिन मेला लगता है. जिले के अलावे पड़ोसी राष्ट्र नेपाल सहित आसपास के लाखों लोग इस दिन तालाब में डुबकी लगाने यहां आते हैं.

जानकारी देते स्थानीय

लोगों का मन्नतें होती हैं पूरी
लोगों का मानना है इस तालाब के नजदीक जो भी मन्नत मांगा जाए वो बाबा हरिहर सिंह देव की कृपा से पूरी होती है. लोगों का मानना है कि इस तालाब में हृदय सिंह और उनकी पत्नी की आत्मा वास करती है. तालाब के बीचोबीच एक कुआं भी है. आज तक इस तालाब को कोई भी व्यक्ति तैर कर पार नहीं कर सका है. इतिहास के पन्नों में इस तालाब की अद्भुत कहानी है. लोग मस्तक टेक कर तालाब को प्रणाम करते हैं.

मधुबनी: जिले में एक ऐसा तालाब है जो वर्षों पूर्व राहगीरों को खाना बनाने के लिए बर्तन दिया करता था. जी हां, यह तालाब मधुबनी जिले के लौकही प्रखंड अंतर्गत झहुरी स्थल पर है. इस तालाब की विशेषता ये है कि इसका पानी कभी खराब नहीं होता.

तालाब में देवताओं का है वास

ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में देवी देवताओं का वास है. इस कारण वर्षों पूर्व इस रास्ते से जब राहगीर गुजरते थे तब वो विनती कर तालाब से बर्तन की मांग करते थे. अचानक तालाब से बर्तन बाहर आ जाता था फिर राही खाना बनाकर बर्तन साफ कर पुनः तालाब के किनारे रख दिया करते थे. बर्तन खुद-ब-खुद अंदर चला जाता था.

यहां बैसाखी के दिन लगता है मेला
इस तालाब की कहानी राजा हरिहर सिंह देव से जुड़ी हुई है. इस तालाब पर स्थित झहुरी स्थल काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है. बाबा हरिहर सिंह देव की समाधि भी यही हैं. हर साल यहां बैसाखी के दिन मेला लगता है. जिले के अलावे पड़ोसी राष्ट्र नेपाल सहित आसपास के लाखों लोग इस दिन तालाब में डुबकी लगाने यहां आते हैं.

जानकारी देते स्थानीय

लोगों का मन्नतें होती हैं पूरी
लोगों का मानना है इस तालाब के नजदीक जो भी मन्नत मांगा जाए वो बाबा हरिहर सिंह देव की कृपा से पूरी होती है. लोगों का मानना है कि इस तालाब में हृदय सिंह और उनकी पत्नी की आत्मा वास करती है. तालाब के बीचोबीच एक कुआं भी है. आज तक इस तालाब को कोई भी व्यक्ति तैर कर पार नहीं कर सका है. इतिहास के पन्नों में इस तालाब की अद्भुत कहानी है. लोग मस्तक टेक कर तालाब को प्रणाम करते हैं.

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Body:मधुबनी
एक ऐसा तालाब जहाँ वर्षों पूर्व राहगीरों को बर्तन खाना बनाने के लिए दिया करती थी जी हां यह तालाब मधुबनी जिले के लौकही प्रखंड अंतर्गत जो झहुरि स्थल पर है ।इस तालाब की विशेषता है कि इसका पानी कभी खराब नहीं होता। लोगों को ऐसी मान्यता है की इस तालाब में देवी देवता का वास है। कारन वर्षों पूर्व जब इस रास्ते से राहगीरों गुजरते थे तो जब वह बिनती कर तालाब के समीप बर्तन की मांग करते थे तो अचानक तालाब से बर्तन बाहर आ जाया करता था फिर बटोही खाना बनाकर बर्तन साफ कर पुनः तालाब के किनारे रख देता था और वह बर्तन अंदर चला जाता था ।इस तालाब की कहानी राजा हिरदे सिंह से जुड़ी हुई है ।इस तालाब पर यह झहुरि स्थल काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है ।बाबा हर सिंह देव का समाधि भी यही है ।हर साल यहां बैसाखी के दिन बड़ा मेला लगता है ।देश के अलावेपड़ोसी राष्ट्र नेपाल सहित आसपास के लाखों लोग इस दिन इस तालाब में डुबकी लगाते हैं लोगों का मानना है इस तालाब के समीप उस दिन जो मन्नत मांगते हैं वह मन्नत बाबा हरिहर सिंह देव की कृपा से पूरी होती है ।विशाल बर का बृक्ष है।जो अपने मे ऐतिहासिक महत्व रखता है।इस तालाब में हृदय सिंह और उनकी पत्नी दोनों की आत्मा बास करती है। बीच में एक कुआं भी है आज तक इस तालाब को कोई भी व्यक्ति तैर कर पार नहीं कर सका है ।इस तालाब की इतिहास से जुड़ी अद्भुत कहानी है ।लोग मस्तक टेक कर प्रणाम करता है।लोग खाना भी इसी तालाब की पानी से बनाता है ऐसी मान्यता है कि खाना में बढ़ोतरी हो जाता हैं।
बाइट भरत कुमार लौकही निवासी
लीला देवी स्थानीय निवासी


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