पूर्णिया: चुनावी सभाओं के दौरान सीएम नीतीश कुमार अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए सरकारी स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को फर्श से अर्श तक पहुंचाने की बात कहते नजर आए थे. लेकिन ईटीवी भारत की पड़ताल में जिले के सरकारी विद्यालयों की जो जमीनी हकीकत सामने आई है. वह बेहद चौंकाने वाली है. जिले के 970 मध्य विद्यालयों में से अब भी ज्यादातर स्कूल ऐसे हैं जहां जिले के तकरीबन 2 लाख बच्चों को अब तक न बैठने को बेंच मिला है, न बल्ब और न ही पंखे.
शौचालय का व्यवस्था नहीं
यहां छात्राओं के लिए शौचालय का भी व्यवस्था नहीं है. हैरत की बात तो ये है कि बदहाली पर आसूं बहा रहा यह सरकारी विद्यालय कहीं और नहीं बल्कि जिला मुख्यालय में ही स्थित है.
बच्चे बोरे पर बैठकर पढ़ने को मजबूर
शहर से सटे सिपाही टोला स्थित जगदम्बा स्मारक मध्य विद्यालय में मेज भी नहीं है. बच्चे बोरे पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. एक से आठवीं तक के इस माध्यमिक विद्यालय में बेतहाशा गर्मी के बावजूद न तो यहां पंखे हैं, न ही बेंच. वहीं जिले के 300 से अधिक विद्यालय ऐसे हैं जहां बुनियादी सुविधाओं के भी लाले पड़े है.
फर्श भी हैं टूटे -फूटे
स्टूडेंट्स के मुताबिक बेंच और डेस्क न होने की वजह से इन्हें अपने नाजुक कंधों पर बैग के साथ बोरे भी लाने पड़ते हैं. टूटा -फूटा फर्श भी इनके लिए बड़ी समस्या है.144 छात्राओं के विद्यालय में न तो चाहरदीवारी न ही शौचालय.
विद्यालय में चाहरदीवारी नहीं
शिक्षा अमले से मिले आंकड़ों पर अपनी नजर दौड़ाए तो महज मध्य विद्यालय ही नहीं बल्कि 50 से भी अधिक ऐसे उच्च विद्यालय हैं जहां चाहरदीवारी नहीं हैं. बहरहाल सरकारी अमला क्यों न खुले में शौच से मुक्ती के टारगेट को टच करने के ताल ठोक रहा हो, मगर असल में इन योजनाओं की जमीनी हकीकत क्या है, जगदम्बा मध्य विद्यालय इसका जीता-जागता उदाहरण है.
विद्यालय के खाते में नहीं आई राशि
वर्ष 2015-16 के लिए कुल 19 बेंच, डेस्क लगाए जाने को लेकर 57 हजार रूपये की राशि सरकारी विद्यालयों के लिए आई. मगर हैरत की बात यह है कि लगभग 3 साल गुजरने को हैं लेकिन मध्य विद्यालय के खाते में आने वाली उपकरण की राशि के दर्शन दुर्लभ हैं. लिहाजा अब तक जिले के ज्यादातर मध्य विद्यालयों के बच्चों को बेंच के बजाए बोरे पर ही अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ रही है.
अभी तक सिलेबस की भी शुरुआत नहीं
वहीं स्टूडेंट्स की मानें तो शिक्षक तो यहां पूरी ईमानदारी से पढ़ाते हैं मगर आधा से अधिक माह गुजरने के बावजूद इनके खाते में किताब की राशि नहीं आने से अभीतक सिलेबस की शुरुआती नहीं हो सकी है
'शिक्षा महकमा जल्द ही इस मामले पर लेगा संज्ञान'
इस मामले पर सफाई देते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी श्याम बाबू राम ने कहा कि बेंच,पंखे और बुनियादी सुविधाओं को लेकर विद्यालयों की ओर से जो शिकायतें आई हैं, जिले का शिक्षा महकमा जल्द ही इसपर पहल करेगा. ऐसे बदहाल विद्यालयों को डोनेशन दिए जाने की दिशा में समाज के संपन्न लोगों से अपील किये जाएंगे.
स्कूलों का होना चाहिये औचक निरीक्षण
बहरहाल एक ओर जहां सूबे के सीएम नीतीश कुमार सरकारी स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की खूबियां गिनाकर विपक्ष पर बिफरते दिखते हैं, जमीनी तौर पर बच्चों के भविष्य की खातिर उन्हें दो वक्त निकालकर जगदम्बा मध्य विद्यालय जैसे स्कूलों की औचक निरीक्षण करना चाहिये ताकि सरकारी स्कूली की सूरत और सीरत बदली जा सके.