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बोले रामकृपाल यादव - जनता ने 'खामोश' को खामोश कर दिया

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जनता ने 'खामोश' को खामोश कर दिया है. रामकृपाल यादव ने कहा कि जनता की आवाज है, अबकी बार 40 पार.

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Published : May 19, 2019, 12:03 PM IST

रामकृपाल यादव.

पटना : बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का पॉपुलर डॉयलॉग है 'खामोश'. अक्सर ही पटना साहिब से कांग्रेस उम्मीदवार शॉटगन इस 'खामोश' का इस्तेमाल करते नजर आते हैं.

हालांकि आज इसका प्रयोग पाटलिपुत्र से भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव ने किया. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जनता ने 'खामोश' को खामोश कर दिया है. रामकृपाल यादव ने कहा कि जनता की आवाज है, अबकी बार 40 पार. रामकृपाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लोग बिना मतलब क्यों दिमाग लगा रहे हैं. प्रधानमंत्री पद के लिए वैकेंसी नहीं है. सीट फुल है. नरेन्द्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनने वाले हैं.

रामकृपाल यादव.
मीसा भारती और रामकृपाल यादव आमने-सामनेपाटलिपुत्र लोकसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती आमने-सामने हैं. मीसा भारती और रामकृपाल यादव की लड़ाई इसलिए भी अहम है कि दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं. एक तरफ जहां रामकृपाल यादव के लिए दोबारा सीट बचाने की चुनौती है तो दूसरी तरफ मीसा भारती के लिए अपनी खोई साख वापस पाने की जद्दोजहद है.विधानसभा सीटों का समीकरणइस बार स्थिति थोड़ी उलट है. महागठबंधन के नाम पर कई दल एक साथ हैं. इसमें आरजेडी, कांग्रेस, हम, रालोसपा, वीआईपी और सीपीआई(माले) शामिल हैं. पाटलिपुत्र की विधानसभा सीटों का समीकरण भी महागठबंधन के पक्ष में दिख रहा है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौठी, पालीगंज और विक्रम विधानसभा सीटें आती हैं. इन विधानसभाओं में से मनेर, मसौठी और पाली पर आरजेडी का कब्जा है. जबकि दानापुर पर बीजेपी, फुलवारी पर जदयू और विक्रम पर कांग्रेस का कब्जा है. यादव बहुल है ये लोकसभा सीटजातिगत समीकरण की बात करें तो पाटलिपुत्र लोकसभा सीट यादव बहुल इलाका माना जाता है. यहां यादव मतदाताओं की संख्या करीब 5 लाख के आसपास है. वहीं, भूमिहार मतदाताओं की संख्या साढ़े चार लाख के आसपास है. जबकि 3 लाख राजपूत और कुर्मी एवं ब्राह्मण मतदाताओं डेढ़ लाख हैं. भूमिहार वोटरों को साधने के लिए अनंत सिंह का सहाराइस बार आरजेडी ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है. भूमिहार और सवर्ण मतदाताओं को साधने के लिए अनंत सिंह भी मीसा भारती के लिए प्रचार कर रहे हैं. कभी अनंत सिंह को 'बैड एलिमेंट' कहने वाले तेजस्वी यादव को अब अनंत सिंह से कोई गुरेज नहीं है. वहीं, आरेजडी के लिए एक अच्छी बात ये भी है कि इस बार सीपीआई (माले) ने भी उन्हें अपना समर्थन दे दिया है. ऐसे में मीसा की मुश्किलें 2014 की तुलना में 2019 में कम दिख रही हैं. प्रत्याशी नहीं, एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाईबहरहाल, पाटलिपुत्र सीट से उम्मीदवार भले ही रामकृपाल और मीसा हों लेकिन प्रतिष्ठा तो यहां एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की ही लगी है. कभी लालू के हनुमान रहे मौजूदा सांसद पिछले लोकसभा चुनाव से बीजेपी के लिए राम हैं. एक जमाने में चाचा-भतीजी रहे रामकृपाल और मीसा भारती की इस लड़ाई में जीत किसकी होगी ये तो 23 मई को ही पता लगेगा. हालांकि इतना तय है कि इस हाई प्रोफाइल सीट पर मीसा के लिए पार्टी की प्रतिष्ठा बचाने की जद्दोजहद है, तो दूसरी तरफ रामकृपाल के लिए दोबारा संसद पहुंचने की चुनौती भी है.

पटना : बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का पॉपुलर डॉयलॉग है 'खामोश'. अक्सर ही पटना साहिब से कांग्रेस उम्मीदवार शॉटगन इस 'खामोश' का इस्तेमाल करते नजर आते हैं.

हालांकि आज इसका प्रयोग पाटलिपुत्र से भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव ने किया. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जनता ने 'खामोश' को खामोश कर दिया है. रामकृपाल यादव ने कहा कि जनता की आवाज है, अबकी बार 40 पार. रामकृपाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लोग बिना मतलब क्यों दिमाग लगा रहे हैं. प्रधानमंत्री पद के लिए वैकेंसी नहीं है. सीट फुल है. नरेन्द्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनने वाले हैं.

रामकृपाल यादव.
मीसा भारती और रामकृपाल यादव आमने-सामनेपाटलिपुत्र लोकसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती आमने-सामने हैं. मीसा भारती और रामकृपाल यादव की लड़ाई इसलिए भी अहम है कि दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं. एक तरफ जहां रामकृपाल यादव के लिए दोबारा सीट बचाने की चुनौती है तो दूसरी तरफ मीसा भारती के लिए अपनी खोई साख वापस पाने की जद्दोजहद है.विधानसभा सीटों का समीकरणइस बार स्थिति थोड़ी उलट है. महागठबंधन के नाम पर कई दल एक साथ हैं. इसमें आरजेडी, कांग्रेस, हम, रालोसपा, वीआईपी और सीपीआई(माले) शामिल हैं. पाटलिपुत्र की विधानसभा सीटों का समीकरण भी महागठबंधन के पक्ष में दिख रहा है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौठी, पालीगंज और विक्रम विधानसभा सीटें आती हैं. इन विधानसभाओं में से मनेर, मसौठी और पाली पर आरजेडी का कब्जा है. जबकि दानापुर पर बीजेपी, फुलवारी पर जदयू और विक्रम पर कांग्रेस का कब्जा है. यादव बहुल है ये लोकसभा सीटजातिगत समीकरण की बात करें तो पाटलिपुत्र लोकसभा सीट यादव बहुल इलाका माना जाता है. यहां यादव मतदाताओं की संख्या करीब 5 लाख के आसपास है. वहीं, भूमिहार मतदाताओं की संख्या साढ़े चार लाख के आसपास है. जबकि 3 लाख राजपूत और कुर्मी एवं ब्राह्मण मतदाताओं डेढ़ लाख हैं. भूमिहार वोटरों को साधने के लिए अनंत सिंह का सहाराइस बार आरजेडी ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है. भूमिहार और सवर्ण मतदाताओं को साधने के लिए अनंत सिंह भी मीसा भारती के लिए प्रचार कर रहे हैं. कभी अनंत सिंह को 'बैड एलिमेंट' कहने वाले तेजस्वी यादव को अब अनंत सिंह से कोई गुरेज नहीं है. वहीं, आरेजडी के लिए एक अच्छी बात ये भी है कि इस बार सीपीआई (माले) ने भी उन्हें अपना समर्थन दे दिया है. ऐसे में मीसा की मुश्किलें 2014 की तुलना में 2019 में कम दिख रही हैं. प्रत्याशी नहीं, एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाईबहरहाल, पाटलिपुत्र सीट से उम्मीदवार भले ही रामकृपाल और मीसा हों लेकिन प्रतिष्ठा तो यहां एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की ही लगी है. कभी लालू के हनुमान रहे मौजूदा सांसद पिछले लोकसभा चुनाव से बीजेपी के लिए राम हैं. एक जमाने में चाचा-भतीजी रहे रामकृपाल और मीसा भारती की इस लड़ाई में जीत किसकी होगी ये तो 23 मई को ही पता लगेगा. हालांकि इतना तय है कि इस हाई प्रोफाइल सीट पर मीसा के लिए पार्टी की प्रतिष्ठा बचाने की जद्दोजहद है, तो दूसरी तरफ रामकृपाल के लिए दोबारा संसद पहुंचने की चुनौती भी है.
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पटना : बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का पॉपुलर डॉयलॉग है 'खामोश'. अक्सर ही पटना साहिब से कांग्रेस उम्मीदवार शॉटगन इस 'खामोश' का इस्तेमाल करते नजर आते हैं. 

हालांकि आज इसका प्रयोग पाटलिपुत्र से भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव ने किया. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जनता ने 'खामोश' को खामोश कर दिया है. रामकृपाल यादव ने कहा कि जनता की आवाज है, अबकी बार 40 पार.

रामकृपाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लोग बिना मतलब क्यों दिमाग लगा रहे हैं. प्रधानमंत्री पद के लिए वैकेंसी नहीं है. सीट फुल है. नरेन्द्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनने वाले हैं.

मीसा भारती और रामकृपाल यादव आमने-सामने

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती आमने-सामने हैं. मीसा भारती और रामकृपाल यादव की लड़ाई इसलिए भी अहम है कि दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं. एक तरफ जहां रामकृपाल यादव के लिए दोबारा सीट बचाने की चुनौती है तो दूसरी तरफ मीसा भारती के लिए अपनी खोई साख वापस पाने की जद्दोजहद है.

विधानसभा सीटों का समीकरण

इस बार स्थिति थोड़ी उलट है. महागठबंधन के नाम पर कई दल एक साथ हैं. इसमें आरजेडी, कांग्रेस, हम, रालोसपा, वीआईपी और सीपीआई(माले) शामिल हैं. पाटलिपुत्र की विधानसभा सीटों का समीकरण भी महागठबंधन के पक्ष में दिख रहा है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौठी, पालीगंज और विक्रम विधानसभा सीटें आती हैं. इन विधानसभाओं में से मनेर, मसौठी और पाली पर आरजेडी का कब्जा है. जबकि दानापुर पर बीजेपी, फुलवारी पर जदयू और विक्रम पर कांग्रेस का कब्जा है.

यादव बहुल है ये लोकसभा सीट

जातिगत समीकरण की बात करें तो पाटलिपुत्र लोकसभा सीट यादव बहुल इलाका माना जाता है. यहां यादव मतदाताओं की संख्या करीब 5 लाख के आसपास है. वहीं, भूमिहार मतदाताओं की संख्या साढ़े चार लाख के आसपास है. जबकि 3 लाख राजपूत और कुर्मी एवं ब्राह्मण मतदाताओं डेढ़ लाख हैं.

भूमिहार वोटरों को साधने के लिए अनंत सिंह का सहारा

इस बार आरजेडी ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी है. भूमिहार और सवर्ण मतदाताओं को साधने के लिए अनंत सिंह भी मीसा भारती के लिए प्रचार कर रहे हैं. कभी अनंत सिंह को 'बैड एलिमेंट' कहने वाले तेजस्वी यादव को अब अनंत सिंह से कोई गुरेज नहीं है. वहीं, आरेजडी के लिए एक अच्छी बात ये भी है कि इस बार सीपीआई (माले) ने भी उन्हें अपना समर्थन दे दिया है. ऐसे में मीसा की मुश्किलें 2014 की तुलना में 2019 में कम दिख रही हैं.

प्रत्याशी नहीं, एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाई

बहरहाल, पाटलिपुत्र सीट से उम्मीदवार भले ही रामकृपाल और मीसा हों लेकिन प्रतिष्ठा तो यहां एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की ही लगी है. कभी लालू के हनुमान रहे मौजूदा सांसद पिछले लोकसभा चुनाव से बीजेपी के लिए राम हैं. एक जमाने में चाचा-भतीजी रहे रामकृपाल और मीसा भारती की इस लड़ाई में जीत किसकी होगी ये तो 23 मई को ही पता लगेगा. हालांकि इतना तय है कि इस हाई प्रोफाइल सीट पर मीसा के लिए पार्टी की प्रतिष्ठा बचाने की जद्दोजहद है, तो दूसरी तरफ रामकृपाल के लिए दोबारा संसद पहुंचने की चुनौती भी है.


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