किशनगंज: बिहार सरकार सूबे में उद्योग का जाल बिछाने के लिए प्रयासरत है. सरकार किसानों को इसके जरिए आर्थिक आजादी दिलाने की भी बात कहती है. जबकि जिले में जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले का एकमात्र सरकारी चाय फैक्ट्री बिजली के अभाव में दम तोड़ रहा है.
जिले में बिहार सरकार ने टी प्रोसेसिंग प्लांट की शुरूआत की थी. इससे चाय की खेती में लगे किसानों को फायदा भी मिला. लेकिन बिजली आपूर्ति की समस्या के कारण किसान और मजदूर फिर बेरोजगार हो गए हैं. वर्त्तमान में यहां के 80 मजदूर बेरोजगार हो गए हैं.
बिजली के कारण उद्योग धंधे ठप
बिजली को लेकर जिले में सीएम के दावे फेल होते दिख रहा हैं. बारिश के समय ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे-बड़े सभी उद्योग धंधे ठप पड़ जाते हैं. चाय फैक्ट्री में 12 जून से ही बिजली आपूर्ति पूरी तरह बाधित है. आलाधिकारियों को सूचना देने के बावजूद बिजली नदारद है. इस कारण फैक्ट्री बंद पड़ी है. फैक्ट्री बंद होने की वजह से किसान चाय के हरे पत्ते को प्राइवेट फैक्ट्री में कम दाम पर बेच रहे हैं.
15 करोड़ की लागत से बना टी प्रोसेसिंग प्लांट
किशनगंज के कालिदास गांव में बिहार सरकार ने 2004 में 15 करोड़ की लागत से टी प्रोसेसिंग प्लांट लगाया था. इसका उदेश्य छोटे किसानों को उचित दाम दिलाना था. लेकिन 11 साल के बाद भी सरकार इसे शुरू नहीं कर पायी. 2015 में इसे प्राइवेट संचेती टी कंपनी को हस्तांतरित कर दिया गया. कंपनी में एक साल के बाद बिजली संकट उत्पन्न हो गया.
जल्द शुरू होगी बिजली आपूर्ति
इस संबंध में जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा ने बताया कि बारिश में ग्रामीण इलाकों के कई बिजली के खंभे गिर गए हैं,. इस कारण बिजली सेवा बाधित है. बिजली विभाग को निर्देश दिया गया है. जल्द ही आपूर्ति शुरू की जाएगी.
टी प्लांट का हाल
- 2004 में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत 15 करोड़ की लागत से लगा था टी प्रोसेसिंग प्लांट.
- 2015 में प्राइवेट टी कंपनी को किया गया हस्तांतरित.
- एक साल बाद शुरु हुई बिजली की समस्या, 80 मजदूर हो गए हैं बेरोजगार.
- 2 जून से ही बिजली आपूर्ति पूरी तरह है बाधित.
- प्राइवेट फैक्ट्री में कम दाम पर हरे पत्ते बेच रहे किसान.