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इस मंदिर में कई कुत्तों का है वास, मां काली की आराधना में रहते हैं साथ

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Published : Jun 8, 2019, 8:31 PM IST

152 फीट ऊंची इस मंदिर में इंसानों के साथ कुत्ते भी पूजा में शामिल होते हैं. इन कुत्तों के खानपान का जिम्मा मंदिर उठाती है.

इस मंदिर में इंसानों के साथ कुत्ते भी पूजा में शामिल होते हैं.

अरिरया: जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां इंसान और कुत्ते एक साथ मां काली की पूजा करते हैं. इस मंदिर में दर्जनों कुत्ते 24 घंटे मौजूद रहते हैं. किसी भी श्रद्धालु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. ये मंदिर बिहार की सबसे ऊंचे काली मंदिर के नाम से विख्यात है.

पूरे जिले में प्रसिद्ध है मां खड़गेश्वरी काली मंदिर
अररिया शहर स्थित मां खड़गेश्वरी काली मंदिर पूरे बिहार में प्रसिद्ध है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह सभी धर्मों के आस्था का केंद्र है. इस मंदिर को स्थानीय लोगों की मदद से बनाया गया है. कहा यह भी जाता है कि भारत के सबसे ऊंचे काली मंदिरों में से अररिया का मां खड़गेश्वरी काली मंदिर एक है. इसकी ऊंचाई 152 फीट है.

इस मंदिर में इंसानों के साथ कुत्ते भी पूजा में शामिल होते हैं.

इंसानों के साथ कुत्ते भी होते हैं पूजा में शामिल
इस मंदिर में इंसानों के साथ कुत्ते भी पूजा में शामिल होते हैं. मंदिर के पुजारी सरोजानंद उर्फ नानू बाबा ने बताया कि इस मंदिर में कुत्तों के साथ पक्षियों को भी खाना दिया जाता है. इन कुत्तों के खानपान का मंदिर बेड़ा उठाती है. यह कुत्ते किसी अन्य जगह पर जूठा खाना नहीं खाते सिर्फ मंदिर का ही खाना खाते हैं.

श्रद्धालुओं को नहीं होती कोई परेशानी
दर्जन भर से अधिक कुत्ते 24 घंटा इस मंदिर में रहते हैं. पूजा करने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि ऐसा कहीं भी हमें नजर नहीं आता जहां कुत्ते और इंसान एक साथ मंदिर में मौजूद हो. अमूमन लोग कुत्तों को देखकर अपना रास्ता बदल देते हैं और उनसे डरते हैं. लेकिन अररिया के इस मंदिर में ऐसा कुछ भी नहीं होता है. यहां मनुष्य के साथ कुत्ते भी आराम से पूजा में शामिल होते हैं.

अरिरया: जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां इंसान और कुत्ते एक साथ मां काली की पूजा करते हैं. इस मंदिर में दर्जनों कुत्ते 24 घंटे मौजूद रहते हैं. किसी भी श्रद्धालु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. ये मंदिर बिहार की सबसे ऊंचे काली मंदिर के नाम से विख्यात है.

पूरे जिले में प्रसिद्ध है मां खड़गेश्वरी काली मंदिर
अररिया शहर स्थित मां खड़गेश्वरी काली मंदिर पूरे बिहार में प्रसिद्ध है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह सभी धर्मों के आस्था का केंद्र है. इस मंदिर को स्थानीय लोगों की मदद से बनाया गया है. कहा यह भी जाता है कि भारत के सबसे ऊंचे काली मंदिरों में से अररिया का मां खड़गेश्वरी काली मंदिर एक है. इसकी ऊंचाई 152 फीट है.

इस मंदिर में इंसानों के साथ कुत्ते भी पूजा में शामिल होते हैं.

इंसानों के साथ कुत्ते भी होते हैं पूजा में शामिल
इस मंदिर में इंसानों के साथ कुत्ते भी पूजा में शामिल होते हैं. मंदिर के पुजारी सरोजानंद उर्फ नानू बाबा ने बताया कि इस मंदिर में कुत्तों के साथ पक्षियों को भी खाना दिया जाता है. इन कुत्तों के खानपान का मंदिर बेड़ा उठाती है. यह कुत्ते किसी अन्य जगह पर जूठा खाना नहीं खाते सिर्फ मंदिर का ही खाना खाते हैं.

श्रद्धालुओं को नहीं होती कोई परेशानी
दर्जन भर से अधिक कुत्ते 24 घंटा इस मंदिर में रहते हैं. पूजा करने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि ऐसा कहीं भी हमें नजर नहीं आता जहां कुत्ते और इंसान एक साथ मंदिर में मौजूद हो. अमूमन लोग कुत्तों को देखकर अपना रास्ता बदल देते हैं और उनसे डरते हैं. लेकिन अररिया के इस मंदिर में ऐसा कुछ भी नहीं होता है. यहां मनुष्य के साथ कुत्ते भी आराम से पूजा में शामिल होते हैं.

Intro:( खबर पावर डायरेक्टर से गई है)
एक मंदिर ऐसा है जहां इंसान और कुत्ते एक साथ करते हैं मां काली की पूजा इस मंदिर में दर्जनों कुत्ते 24 घंटे रहते हैं मौजूद नहीं पहुंचाते किसी भी श्रद्धालु को कोई नुकसान इस मंदिर का भारत के सबसे ऊंचे काली मंदिर में होता है शुमार ।


Body:अररिया शहर स्थित मां खड़गेश्वरी कालीमंदिर पूरे बिहार में ख्याति पर प्राप्त है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह सभी धर्मों के आस्था का केंद्र है इस मंदिर को स्थानीय लोगों की मदद से बनाया गया है कहा यह भी जाता है कि भारत के सबसे ऊंचे काली मंदिरों में अररिया का मां खड़गेश्वरी काली मंदिर एक है । इसकी ऊंचाई 152 फीट ऊंची है इस मंदिर में इंसानों के साथ कुत्ते भी होते हैं पूजा में शामिल मंदिर के साधक वो पुजारी सरोजानंद उर्फ नानू बाबा ने बताया कि इस मंदिर में कुत्तों के साथ पक्षियों को भी दाना दिया जाता है इन कुत्तों का मंदिर खानपान का भिड़ा उठाती है यह कुत्ते किसी अन्य जगह पर जूठा खाना नहीं खाते सिर्फ मंदिर का ही खाना खाते हैं और पूजा में शामिल लोगों के साथ ही मंदिर में रहते हैं ऐसा आपको कहीं और नजर नहीं आएगा उन्होंने बताया के दर्जन भर से अधिक कुत्ते 24 घंटा इस मंदिर में रहते हैं पूजा करने आए श्रद्धालुओं ने बताया कि ऐसा कहीं भी हमें नजर नहीं आता जहां कुत्ते और इंसान एक साथ मंदिर में मौजूद हो अमूमन लोग कुत्तों को देखकर अपना रास्ता बदल देते हैं और उनसे भय खाते हैं लेकिन अररिया के इस मंदिर में ऐसा कुछ भी नहीं होता है यहां मनुष्य के साथ कुत्ते भी आराम से पूजा में शामिल होते हैं ।
बाइट - जुली कुमारी ,
बाइट - श्रद्धालु ।
बाइट - सरोजानंद उर्फ नानू बाबा ।


Conclusion:पूरे भारत में ऐसा कहीं भी नजर नहीं आता होगा जहां पूजा में कुत्ते भी शामिल होते हैं लोग कुत्तों से हमेशा दूरी बनाए रखते हैं लेकिन यह आस्था का केंद्र मां काली का मंदिर उन कुत्तों को भी उतने ही प्रेम से जगह देता है जितने आम लोगों को ।
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