पटना: CM नीतीश कुमार की कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया गया है. दरअसल, नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए 1716 करोड़ रुपए स्वीकृत की गई है. बिहार के नियोजित शिक्षकों को जनवरी माह से वेतन नहीं मिला था, जबकि स्थायी शिक्षकों को वेतन समय से दिया जा रहा है.
एरियर की रकम भी डेढ़ से दो लाख के बीच हो गई है. दूसरी तरफ उन्हें कोरोना काल में 33 फीसदी हाजिरी भी बनानी पड़ रही है. इसको लेकर नियोजित शिक्षकों में गहरा आक्रोश है. शिक्षकों को पिछले तीन माह से वेतन नहीं मिलने से शिक्षक भूखमरी के कगार पर पहुंच गए है.
कोरोना को लेकर संकट
सूबे के लाखों शिक्षकों का वेतन तीन महीने से भी अधिक समय से लंबित है. शिक्षक कोरोना काल में भी कार्य में प्रतिनियुक्त हैं और अपने काम का पालन इमानदारी से पालन कर रहे हैं. कोरोना की भयावहता और रमजान का दवाब शिक्षकों के परिवारों के सामने आर्थिक संकट पैदा कर रहा है, जबकि वेतन महीनों से नहीं मिला है.
कौन हैं नियोजित शिक्षक?
ग्रामीण स्तर पर बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराने और शिक्षकों की कमी झेल रहे सरकारी विद्यालयों में वर्ष 2003 से शिक्षा मित्र रखे जाने का फैसला किया गया था. उस समय दसवीं और बारहवीं में प्राप्त किए अंकों के आधार पर इन शिक्षकों को 11 महीने के कांट्रैक्ट पर रखा गया था. इन्हें मासिक 1500 रुपये का वेतन दिया जा रहा था. फिर धीरे धीरे उनका अनुबंध भी बढ़ता रहा और उनकी आमदनी भी बढ़ती रही.
बता दें कि वर्ष 2006 में इन शिक्षा मित्रों को ही नियोजित शिक्षक के तौर पर मान्यता दे दी गई. बिहार पंचायत नगर प्राथमिक शिक्षक संघ के अनुसार बिहार में करीब तीन लाख 70 हजार समायोजित शिक्षक हैं.
- नियोजित शिक्षकों के लिए बड़ी खबर
- कैबिनेट की बैठक में नीतीश सरकार का फैसला
- पौने तीन लाख नियोजित शिक्षकों का होगा वेतन भुगतान
- 1716 करोड़ रुपए हुए स्वीकृत