जबलपुर। शहर के आईएमए हॉल में जबलपुर के 100 से ज्यादा गायक कलाकार गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए गाना गा रहे हैं. यह सभी कलाकार संस्कारधानी आर्टिस्ट ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य हैं और इन्होंने लगातार 25 घंटे तक नॉन स्टॉप गाते रहने का निर्णय लिया है. 20 जून को रात 9:00 बजे से यह कार्यक्रम शुरू हुआ है, इस कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए पूरे कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग की जा रही है.
गानों के जरिए पर्यावरण को बचाने का संदेश: स्टेज के ठीक सामने एक घड़ी लगी हुई है जिसमें समय की गणना की जा रही है और मैराथन तरीके से कलाकार एक के बाद एक अपने अपने गीतों को लेकर स्टेज पर पहुंच रहे हैं. कलाकारों ने आयोजन को अनूठा बनाने के लिए गानों की पूरी थीम प्रकृति से जोड़ कर रखी है और यह अपने गानों के जरिए पर्यावरण को बचाने का संदेश दे रहे हैं. कलाकारों का दावा है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रकृति से जुड़े हुए गीतों का ऐसा आयोजन दुनिया में कहीं नहीं हुआ है.
प्रकृति से जोड़ी गानों की थीम: गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों ने कार्यक्रम शुरू होने के पहले ही रिकॉर्ड के लिए जरूरी नियम कलाकारों को समझा दिए थे. कलाकारों ने यह पूरा आयोजन प्रकृति के नाम किया हुआ है. इसलिए इसमें गानों की थीम धार्मिक प्रकृति से जुड़े हुए गीत, देश भक्ति गीत और कुछ हद तक सुगम संगीत को शामिल किया गया है. कलाकारों का कहना है कि वह पूरे कार्यक्रम में कहीं फूहड़ता प्रदर्शित नहीं करेंगे. इसमें मेल और फीमेल दोनों किस्म की सिंगर गीत प्रस्तुत कर रहे हैं.
25 घंटों तक लगातार सिंगिंग: कार्यक्रम का आगाज भगवान गणेश की स्तुति के साथ शुरू हुआ. इसके बाद कलाकारों ने नर्मदा नदी के सम्मान में नर्मदा अष्टक का पाठ किया. इस रिकॉर्ड के लिए कोई भी कलाकार लगातार गाने नहीं जाएगा. एक गाना खत्म हो जाने के बाद किसी भी कलाकार को दूसरा गाना 6 गानों के बाद मिलेगा. इस तरीके से सभी कलाकार 25 घंटों तक अपना प्रदर्शन करेंगे. यह आयोजन बुधवार को पूरे दिन चलेगा. जबलपुर के कलाकारों में इस आयोजन को लेकर जबरदस्त जोश है. कलाकारों को उम्मीद है कि वह इस वर्ल्ड रिकॉर्ड को बना लेंगे.
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हौसला अफजाई करने पहुंच रहे नेता: जबलपुर की राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हुए लोग, महापौर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर, धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हुए लोग कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं और कलाकारों की हौसला अफजाई कर रहे हैं. जबलपुर धार्मिक गीतों के मामले में पूरे महाकौशल इलाके का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है यहां धार्मिक और परंपरागत शैली के लोकगीतों के कई कलाकार हैं. यह सभी कलाकार इस आयोजन में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं और इन सभी को इस रिकॉर्ड का हिस्सेदार बनने का मौका मिल रहा है. इसके साथ ही प्रकृति को बचाने का संदेश भी इस मंच से कारगर साबित होगा.