मैसूर : कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Karnataka Chief Minister Basavaraj Bommai) ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार 17 जून को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) की बैठक में मेकेदातु परियोजना पर चर्चा के लिए तमिलनाडु के विरोध का 'तुरंत और सही' जवाब देगी. उनका यह बयान उस समय आया है जब तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर सीडब्ल्यूएमए को निर्देश देने की मांग की थी कि कर्नाटक की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) पर मेकेदातु संतुलन जलाशय परियोजना पर किसी भी तरह की चर्चा पर रोक लगाई जाए.
संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब देते हुए बोम्मई ने कहा कि यह एक विविध आवेदन है, आपको सुप्रीम कोर्ट में आवेदनों के बारे में समझने की कोशिश करनी चाहिए. इसको लेकर हमें नोटिस जारी की जाएगी तो हम इसका तुरंत और सही जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार के पास केंद्र सरकार को यह निर्देश देने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है कि क्या करना है और क्या नहीं करना है. सीडब्ल्यूएमए एक निकाय है जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित किया गया है.
मेकेदातु कर्नाटक द्वारा प्रस्तावित एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है, जिसमें रामनगर जिले में कनकपुरा के पास एक संतुलन जलाशय का निर्माण शामिल है. वहीं पड़ोसी तमिलनाडु इस परियोजना का विरोध कर रहा है, उसने आशंका जताई है कि अगर परियोजना आकार लेती है तो राज्य प्रभावित होगा. वहीं कर्नाटक का कहना है कि इस परियोजना के पूरा हो जाने से बेंगलुरु और पड़ोसी क्षेत्रों (4.75 टीएमसी) में पेयजल सुनिश्चित करने के अलावा 400 मेगावाट बिजली भी पैदा की जा सकेगी. इस परियोजना की अनुमानित लागत 9,000 करोड़ रुपये है.
वहीं तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन (tamil nadu state Water Resources Minister Duraimurugan) ने कहा है कि सीडब्ल्यूएमए के पास मेकेदातु परियोजना के मुद्दे पर चर्चा करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह विचाराधीन है. उन्होंने कहा कि उनका राज्य 17 जून को नई दिल्ली में बैठक में विवादास्पद परियोजना पर किसी भी चर्चा का कड़ा विरोध करेगा. उन्होंने कहा था कि मेकेदातु परियोजना पर डीपीआर पर चर्चा को प्राधिकरण की 16वीं बैठक के एजेंडे में शामिल किया गया था, इसलिए राज्य को शीर्ष अदालत का रुख करना पड़ा.
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