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प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीन एक्सपायर होने वाली है, क्या बूस्टर डोज है बर्बादी से बचाने का इलाज ?

भारत में बूस्टर डोज को लेकर काफी दिनों से चर्चा हो रही है. मगर सरकार का लक्ष्य पहले हर व्यस्क को दो डोज मुहैया कराने की है. नवंबर से जहां वैक्सीनेशन की स्पीड अगस्त के मुकाबले कम हुई है, वहीं इसके उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. प्राइवेट सेक्टर की ओर दी जाने वाली पेड वैक्सीन लेने वालों की तादाद दो फीसदी पर ही सिमटी हुई है. एक्सपर्ट की सलाह है कि ऐसी स्थिति में दिसंबर के बाद बूस्टर डोज उन लोगों को दी जा सकती है, जिन्होंने पहले फेज में वैक्सीन ली थी.

covid-19 vaccine booster dose
covid-19 vaccine booster dose
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Published : Nov 23, 2021, 5:15 PM IST

हैदराबाद : बच्चों के टीकाकरण और बूस्टर डोज समेत कई अहम मुद्दे पर सरकार का शीर्ष सलाहकारी समूह अगले हफ्ते चर्चा करेगा. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) की अगले हफ्ते बैठक होगी. इस बैठक में कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज देने पर भी व्यापक कार्ययोजना तैयार की जा सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट गंभीर रूप से बीमार, बुजुर्गों, स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की सलाह दे रहे हैं. हालांकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव का कहना है कि मौजूदा वक्‍त में सरकार की प्राथमिकता देश की सभी वयस्क आबादी को कोविड-19 रोधी वैक्सीन की दोनों खुराक को देना है.

covid-19 vaccine booster dose
भारत में उपलब्ध वैक्सीन.

तो बर्बाद हो जाएंगी 52 लाख डोज : महाराष्ट्र के हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक, महाराष्ट्र के निजी अस्पतालों में कोविड -19 टीकों की 52 लाख से अधिक खुराक स्टोर है मगर लोग वैक्सीनेशन के लिए नहीं आ रहे हैं. मुंबई के निजी अस्पतालों के पास करीब 19 लाख वैक्सीन डोज और पुणे में 20.48 लाख खुराक एक्सपायर होने के करीब पहुंच चुके हैं. प्राइवेट हॉस्पिटलों का यह वैक्सीन स्टॉक अगले साल जनवरी और मार्च के बीच एक्सपायर हो जाएगा यानी करीब 52 लाख वैक्सीन शॉट्स बर्बाद हो जाएंगे.

सरकार कर रही है मुफ्त वैक्सीनेशन, निजी अस्पतालों में क्यों जाएं ?

बता दें कि भारत में कोविड -19 के टीके स्पूतनिक के लिए छह महीने, कोविशील्ड के लिए नौ महीने और कोवाक्सिन के लिए एक वर्ष के लिए काम के लायक माना गया है. नवंबर तक कर्नाटक के प्राइवेट हॉस्पिटलों के पास 9 करोड़ वैक्सीन थी. अन्य राज्यों में भी पैसा देकर वैक्सीन लेने वालों की तादाद कम है. सरकार मुफ्त में वैक्सीन की दोनों डोज मुहैया करा रही है.

covid-19 vaccine booster dose
भारत में 82 फीसदी लोगों का टीकाकरण हो चुका है.

टीके देने के लिए देश भर में 52,088 केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें से 50,056 सरकारी केंद्र हैं, जहां मुफ्त टीका दिया जा रहा है. जबकि 2,032 प्राइवेट हैं. इसके अलावा अब सरकार घर-घर जाकर लोगों का वैक्सीनेशन फ्री में कर रही है. ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्यकर्मी लोगों को टीकाकरण के लिए समझा-बुझा रहे हैं. ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल में उपलब्ध वैक्सीन की डिमांड लगभग खत्म हो गई है. प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन लगाने की दर 90 फीसदी तक गिर गई है.

आगे भी वैक्सीन का सरप्लस डोज उपलब्ध रहेगा : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 22 नवंबर तक देश के सभी राज्यों में 21.64 करोड़ खुराक उपलब्ध थी, जबकि अभी देश में रोजाना औसतन 70 लाख लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. राहत की खबर यह है कि दिसंबर के अंत तक देश में कोविड वैक्‍सीन का एक बड़ा सरप्‍लस होगा. स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि दिसंबर में 15.63 करोड़ डोज की जरूरत होगी, जबकि तब देश में 31 करोड़ डोज तैयार होंगी. पिछले कुछ महीनों में उत्‍पादन ने रफ्तार बढ़ी है.

covid-19 vaccine booster dose
टीकाकरण के पहले 34 दिन में एक करोड़ टीके लगाए गए. अगले 50 दिनों में यह आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुंच गया. इसके बाद 5 करोड़ टीके लगाने यानी 15 करोड़ के लक्ष्य हासिल करने में 18 दिन लगे. अगस्त में टीकाकरण अभियान ने जोर पकड़ा. 60 से 65 करोड़ वैक्सीनेशन का लक्ष्य सिर्फ 5 दिन में पूरा किया गया. सितंबर से वैक्सीनेशन की स्पीड अच्छी रही. औसतन 6 दिनों में 5 करोड़ टीके लगाए गए. नवंबर में वैक्सीनेशन की स्पीड धीमी हुई है. 105 से 110 करोड़ का सफर 13 दिन में पूरा हुआ यानी दो हफ्ते में सिर्फ 5 करोड़ डोज लगाए गए. 11 नवंबर के बाद अगले 11 दिनों में सिर्फ टीके की 7 करोड़ खुराक बांटी जा सकी.

कितने लोगों का वैक्सीनेशन है बाकी : भारत में 23 नवंबर की सुबह तक 117.63 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत की करीब 82 फीसद आबादी को पहली डोज लग चुकी है जबकि 43 प्रतिशत लोग पूरी तरह वैक्सीनेटेड हैं. देश में करीब 140 करोड़ व्यस्क आबादी को वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है. देश में उपलब्ध टीकों के हिसाब से दिसंबर तक फर्स्ट डोज का दौर खत्म हो जाएगा. मार्च के बाद से बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा.

एक्सपर्ट उम्मीद जता रहे हैं कि अगर वैक्सिनेशन की स्पीड बनी रही तो जनवरी के बाद बीमार, बुजुर्गों और फ्रंटलाइन वर्करों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की कवायद शुरू हो सकती है. मगर अभी तक बूस्टर डोज के नियम नहीं बनाए गए हैं. हॉस्पिटल में एक्सपायर होने वाली वैक्सीन की बर्बादी बचाने के लिए एक्सपर्ट दो डोज के बीच अंतर घटाने की सलाह भी दे रहे हैं.

हैदराबाद : बच्चों के टीकाकरण और बूस्टर डोज समेत कई अहम मुद्दे पर सरकार का शीर्ष सलाहकारी समूह अगले हफ्ते चर्चा करेगा. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) की अगले हफ्ते बैठक होगी. इस बैठक में कोविड-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज देने पर भी व्यापक कार्ययोजना तैयार की जा सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट गंभीर रूप से बीमार, बुजुर्गों, स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की सलाह दे रहे हैं. हालांकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव का कहना है कि मौजूदा वक्‍त में सरकार की प्राथमिकता देश की सभी वयस्क आबादी को कोविड-19 रोधी वैक्सीन की दोनों खुराक को देना है.

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भारत में उपलब्ध वैक्सीन.

तो बर्बाद हो जाएंगी 52 लाख डोज : महाराष्ट्र के हेल्थ डिपार्टमेंट के मुताबिक, महाराष्ट्र के निजी अस्पतालों में कोविड -19 टीकों की 52 लाख से अधिक खुराक स्टोर है मगर लोग वैक्सीनेशन के लिए नहीं आ रहे हैं. मुंबई के निजी अस्पतालों के पास करीब 19 लाख वैक्सीन डोज और पुणे में 20.48 लाख खुराक एक्सपायर होने के करीब पहुंच चुके हैं. प्राइवेट हॉस्पिटलों का यह वैक्सीन स्टॉक अगले साल जनवरी और मार्च के बीच एक्सपायर हो जाएगा यानी करीब 52 लाख वैक्सीन शॉट्स बर्बाद हो जाएंगे.

सरकार कर रही है मुफ्त वैक्सीनेशन, निजी अस्पतालों में क्यों जाएं ?

बता दें कि भारत में कोविड -19 के टीके स्पूतनिक के लिए छह महीने, कोविशील्ड के लिए नौ महीने और कोवाक्सिन के लिए एक वर्ष के लिए काम के लायक माना गया है. नवंबर तक कर्नाटक के प्राइवेट हॉस्पिटलों के पास 9 करोड़ वैक्सीन थी. अन्य राज्यों में भी पैसा देकर वैक्सीन लेने वालों की तादाद कम है. सरकार मुफ्त में वैक्सीन की दोनों डोज मुहैया करा रही है.

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भारत में 82 फीसदी लोगों का टीकाकरण हो चुका है.

टीके देने के लिए देश भर में 52,088 केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें से 50,056 सरकारी केंद्र हैं, जहां मुफ्त टीका दिया जा रहा है. जबकि 2,032 प्राइवेट हैं. इसके अलावा अब सरकार घर-घर जाकर लोगों का वैक्सीनेशन फ्री में कर रही है. ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्यकर्मी लोगों को टीकाकरण के लिए समझा-बुझा रहे हैं. ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल में उपलब्ध वैक्सीन की डिमांड लगभग खत्म हो गई है. प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन लगाने की दर 90 फीसदी तक गिर गई है.

आगे भी वैक्सीन का सरप्लस डोज उपलब्ध रहेगा : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 22 नवंबर तक देश के सभी राज्यों में 21.64 करोड़ खुराक उपलब्ध थी, जबकि अभी देश में रोजाना औसतन 70 लाख लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. राहत की खबर यह है कि दिसंबर के अंत तक देश में कोविड वैक्‍सीन का एक बड़ा सरप्‍लस होगा. स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि दिसंबर में 15.63 करोड़ डोज की जरूरत होगी, जबकि तब देश में 31 करोड़ डोज तैयार होंगी. पिछले कुछ महीनों में उत्‍पादन ने रफ्तार बढ़ी है.

covid-19 vaccine booster dose
टीकाकरण के पहले 34 दिन में एक करोड़ टीके लगाए गए. अगले 50 दिनों में यह आंकड़ा 10 करोड़ तक पहुंच गया. इसके बाद 5 करोड़ टीके लगाने यानी 15 करोड़ के लक्ष्य हासिल करने में 18 दिन लगे. अगस्त में टीकाकरण अभियान ने जोर पकड़ा. 60 से 65 करोड़ वैक्सीनेशन का लक्ष्य सिर्फ 5 दिन में पूरा किया गया. सितंबर से वैक्सीनेशन की स्पीड अच्छी रही. औसतन 6 दिनों में 5 करोड़ टीके लगाए गए. नवंबर में वैक्सीनेशन की स्पीड धीमी हुई है. 105 से 110 करोड़ का सफर 13 दिन में पूरा हुआ यानी दो हफ्ते में सिर्फ 5 करोड़ डोज लगाए गए. 11 नवंबर के बाद अगले 11 दिनों में सिर्फ टीके की 7 करोड़ खुराक बांटी जा सकी.

कितने लोगों का वैक्सीनेशन है बाकी : भारत में 23 नवंबर की सुबह तक 117.63 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत की करीब 82 फीसद आबादी को पहली डोज लग चुकी है जबकि 43 प्रतिशत लोग पूरी तरह वैक्सीनेटेड हैं. देश में करीब 140 करोड़ व्यस्क आबादी को वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया जा रहा है. देश में उपलब्ध टीकों के हिसाब से दिसंबर तक फर्स्ट डोज का दौर खत्म हो जाएगा. मार्च के बाद से बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा.

एक्सपर्ट उम्मीद जता रहे हैं कि अगर वैक्सिनेशन की स्पीड बनी रही तो जनवरी के बाद बीमार, बुजुर्गों और फ्रंटलाइन वर्करों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की कवायद शुरू हो सकती है. मगर अभी तक बूस्टर डोज के नियम नहीं बनाए गए हैं. हॉस्पिटल में एक्सपायर होने वाली वैक्सीन की बर्बादी बचाने के लिए एक्सपर्ट दो डोज के बीच अंतर घटाने की सलाह भी दे रहे हैं.

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