नई दिल्लीः दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब घोटाले मामले के आरोपियों को सीबीआई की ओर से चार्जशीट में दाखिल दस्तावेजों का परीक्षण करने के लिए समय दे दिया है. स्पेशल जज गीतांजलि गोयल ने मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को करने का आदेश दिया. बुधवार को आरोपियों की ओर से कहा गया कि उन्होंने करीब आधे दस्तावेजों का परीक्षण किया है. चार्जशीट की ई-कॉपी और हार्ड कॉपी में एकरुपता नहीं है. ऐसे में दस्तावेजों का परीक्षण करने के लिए 15 दिन से ज्यादा का समय चाहिए. उसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को नियत करते हुए आरोपियों के वकीलों से कहा कि उन्हें आगे और समय नहीं दिया जाएगा.
इस मामले में कोर्ट ने 4 अक्टूबर को बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को जमानत दी थी. कोर्ट ने 22 सितंबर को सीबीआई की ओर से दाखिल दूसरी चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 3 जुलाई को सीबीआई ने पूरक चार्जशीट दाखिल किया था. सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट में तेजस्वी यादव को आरोपी बनाया गया है.
जमानत पर हैं सभी आरोपीः सीबीआई इस मामले में लालू यादव और राबड़ी देवी के खिलाफ पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. 15 मार्च को कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती को जमानत दी थी. कोर्ट ने 27 फरवरी को इन तीनों आरोपियों समेत सभी आरोपियों के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 7 अक्टूबर 2022 को सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती समेत 16 आरोपियों के खिलाफ दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था.
लालू के करीबी जा चुके हैं जेलः रेलवे भर्ती घोटाला मामले में सीबीआई ने भोला यादव और हृदयानंद चौधरी को गिरफ्तार किया था. भोला यादव 2004 से 2009 तक लालू यादव के ओएसडी रहे थे. घोटाला लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है. भोला यादव इसके मास्टरमाइंड हैं. आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते नौकरी के बदले जमीन देने के लिए कहा जाता था. नौकरी के बदले जमीन देने के काम को अंजाम देने का काम भोला यादव को सौंपा गया था.
भोला यादव 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बहादुरपुर सीट से विधायक चुने गए थे. बता दें, सीबीआई ने मई के तीसरे सप्ताह में इस मामले में लालू यादव के परिजनों से जुड़े 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी. लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती के पटना, गोपालगंज और दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस मामले में सीबीआई ने 23 सितंबर को प्रारंभिक जांच दर्ज की थी.