लखनऊ : अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा जनवरी के तीसरे सप्ताह में की जाएगी. इसके करीब ढाई महीने पहले से उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बड़ा अभियान शुरू होगा. राम मंदिर आंदोलन को शुरू करने की तर्ज पर किया जाएगा. जब मोहल्ले मोहल्ले शिला पूजन के जरिए लोगों को जोड़ा गया था. ऐसे ही राम पूजन के जरिए लोगों को राम मंदिर निर्माण और उसके पूरे अभियान से जोड़ा जाएगा. भारतीय जनता पार्टी के लगभग आठ लाख कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश में से जुड़ेंगे.
भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी दिसंबर से बड़ा अभियान शुरू करेगी. जिसमें घर-घर में संपर्क अभियान होगा. जिसके जरिए लोगों को राम मंदिर आंदोलन की यादें ताजा की जाएंगी. राम मंदिर के निर्माण संबंधित जानकारियां दी जाएंगी. चल चित्रों के माध्यम से लोगों तक पहुंचा जाएगा. मंदिरों मंदिरों में पूजन कार्यक्रम होंगे. अलग-अलग आयोजनों के माध्यम से लोगों को इस पूरे आयोजन से जोड़ दिया जाएगा. ताकि लोग इस आयोजन से अपने आप को निकट माने और वे आंदोलन के महत्व को समझ सकें.
किस तरह से बढ़ा था राम मंदिर आंदोलन : 1989 में श्री राम मंदिर आंदोलन की नींव पड़ी थी. जब भी हिंदू परिषद ने अयोध्या में ताला खुलने के बाद शिलान्यास किया था और 30 अक्टूबर 1990 को जन्मभूमि पर का सेवा करने का एलान कर दिया था. इस पूरे अभियान को देशभर में पहुंचाने के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली थी. इस बीच मुलायम सिंह यादव की सरकार ने अयोध्या में विवादित ढांचे को किसी तरह का नुकसान न होने की बात कह दी. यह भी कहा गया था कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता. जिसके बाद में गुपचुप हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंच गए थे. तब 30 अक्टूबर और 2 नवंबर के दिन अयोध्या में गोलियां भी चली थीं. इसके बाद अगला आंदोलन 6 दिसंबर 1992 को हुआ जब हजारों की संख्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया था. बदले में पूरे देश में दंगे हुए थे. इस मामले में आगे अदालती कार्रवाई तेजी से चली. वर्ष 2010 में हाईकोर्ट ने विवादित क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांटने की घोषणा की थी. दोनों ही पक्ष इस फैसले से नाराज हुए. मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ.
यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट के फैसले से पहले ASI तैयार कर रही ज्ञानवापी का डिजिटल नक्शा