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सत्यपाल मलिक को कानूनी नोटिस, महबूबा पर मानहानि वाली टिप्पणी के आरोप - PDP issues legal notice

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पीडीपी ने कानूनी नोटिस भेजा है. मलिक पर महबूबा पर मानहानि वाली टिप्पणी करने के आरोप लगे हैं. मलिक ने कथित तौर से महबूबा को रोशनी योजना का लाभार्थी बताया था.

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक
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Published : Oct 22, 2021, 3:53 PM IST

श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीपी) ने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को कानूनी नोटिस भेजा है. मलिक पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती पर मानहानि वाली टिप्पणी करने के आरोप लगे हैं. बता दें कि महबूबा पीडीपी की प्रमुख भी हैं. मलिक फिलहाल मेघालय के राज्यपाल हैं.

बता दें कि 20 अक्टूबर को पीडीपी की अध्यक्ष (PDP President) महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने बुधवार को मेघालय के राज्यपाल (Governor of Meghalaya) सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) को अपनी विवादित टिप्पणी वापस लेने को कहा था, जिसमें कथित तौर पर उन्होंने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister of Jammu and Kashmir) को अब रद्द हो चुकी रोशनी योजना का लाभार्थी बताया था. उन्होंने आगाह किया कि अगर मलिक ऐसा नहीं करते हैं तो वह कानूनी कार्रवाई करेंगी.

महबूबा ने ट्वीट किया कि सत्यपाल मलिक द्वारा मुझे रोशनी योजना का लाभार्थी बताया जाना झूठा, बेहूदा व शरारतपूर्ण है. मेरी कानूनी टीम उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की तैयारी कर रही है. उनके (मलिक के) पास अपनी टिप्पणी वापस लेने का विकल्प है, अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो मैं कानूनी कदम उठाउंगी.

महबूबा ने मलिक का वीडियो लिंक भी साझा किया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल दावा कर रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत प्लॉट मिला है.

यह भी पढ़ें- मेघालय के राज्यपाल मलिक का मुझे रोशनी योजना का लाभार्थी बताना गलत : महबूबा

गौरतलब है कि रोशनी अधिनियम फारूक अब्दुल्ला लाये थे, जिसमें राज्य सरकार की जमीन के कब्जेदार को शुल्क देकर मालिकाना हक देने का प्रावधान था. इस योजना से प्राप्त राशि का इस्तेमाल राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं पर खर्च किया जाना था.

हालांकि, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने इस कानून को गैर-कानूनी करार देकर रद्द कर दिया था और लाभार्थियों की जांच करने की जिम्मेदारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी. जांच में खुलासा हुआ कि जम्मू संभाग में सरकारी जमीन के बड़े हिस्से (28,500 हेक्टेयर) पर मालिकाना हक दिया गया, जबकि कश्मीर में केवल छह प्रतिशत भूमि (1700 हेक्टयर) का मालिकाना हक स्थानांतरित किया गया.

(एजेंसी इनपुट)

श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीपी) ने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को कानूनी नोटिस भेजा है. मलिक पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती पर मानहानि वाली टिप्पणी करने के आरोप लगे हैं. बता दें कि महबूबा पीडीपी की प्रमुख भी हैं. मलिक फिलहाल मेघालय के राज्यपाल हैं.

बता दें कि 20 अक्टूबर को पीडीपी की अध्यक्ष (PDP President) महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने बुधवार को मेघालय के राज्यपाल (Governor of Meghalaya) सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) को अपनी विवादित टिप्पणी वापस लेने को कहा था, जिसमें कथित तौर पर उन्होंने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister of Jammu and Kashmir) को अब रद्द हो चुकी रोशनी योजना का लाभार्थी बताया था. उन्होंने आगाह किया कि अगर मलिक ऐसा नहीं करते हैं तो वह कानूनी कार्रवाई करेंगी.

महबूबा ने ट्वीट किया कि सत्यपाल मलिक द्वारा मुझे रोशनी योजना का लाभार्थी बताया जाना झूठा, बेहूदा व शरारतपूर्ण है. मेरी कानूनी टीम उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की तैयारी कर रही है. उनके (मलिक के) पास अपनी टिप्पणी वापस लेने का विकल्प है, अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो मैं कानूनी कदम उठाउंगी.

महबूबा ने मलिक का वीडियो लिंक भी साझा किया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल दावा कर रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को रोशनी योजना के तहत प्लॉट मिला है.

यह भी पढ़ें- मेघालय के राज्यपाल मलिक का मुझे रोशनी योजना का लाभार्थी बताना गलत : महबूबा

गौरतलब है कि रोशनी अधिनियम फारूक अब्दुल्ला लाये थे, जिसमें राज्य सरकार की जमीन के कब्जेदार को शुल्क देकर मालिकाना हक देने का प्रावधान था. इस योजना से प्राप्त राशि का इस्तेमाल राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं पर खर्च किया जाना था.

हालांकि, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने इस कानून को गैर-कानूनी करार देकर रद्द कर दिया था और लाभार्थियों की जांच करने की जिम्मेदारी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी. जांच में खुलासा हुआ कि जम्मू संभाग में सरकारी जमीन के बड़े हिस्से (28,500 हेक्टेयर) पर मालिकाना हक दिया गया, जबकि कश्मीर में केवल छह प्रतिशत भूमि (1700 हेक्टयर) का मालिकाना हक स्थानांतरित किया गया.

(एजेंसी इनपुट)

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