पटना : इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर मंथन चल रहा है. कांग्रेस सभी प्रमुख विपक्षी दलों से एक-एक कर बात कर रही है. लेकिन नीतीश कुमार का रुख कुछ अलग ही है. कांग्रेस के फार्मूला से इतर नीतीश कुमार अपना फार्मूला लागू करने में लगे हैं. बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से जहां 17 सीट पर दावेदारी कर रहे हैं, तो वहीं बिहार से बाहर अरुणाचल प्रदेश में भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. एक तरह से ये कांग्रेस को ही चुनौती दी है.
कांग्रेस के फॉर्मूले से नीतीश को परहेज? : राजनीतिक विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार कोई फार्मूला मानते दिख नहीं रहे हैं. इंडिया गठबंधन को डिक्टेट करना चाहते हैं. इसीलिए अरुणाचल में उम्मीदवार दे दिया. बिहार में भी समझौता से पहले ही सीटों पर दावेदारी शुरू कर दी है. कांग्रेस का कहना है कि नीतीश कुमार को संयोजक से अधिक सम्मान दिया जा रहा है. लेकिन बीजेपी को हराना है और यदि हम जीत सकते हैं तो सीटिंग सीट भी छोड़ना होगा.
'न खेलेंगे न खेलने देंगे..' वाले फॉर्मूले पर जेडीयू : कांग्रेस के फॉर्मूला को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मानते नहीं दिख रहे हैं. जब पांच राज्यों का चुनाव हो रहा था, उस समय भी नीतीश कुमार ने कांग्रेस के रवैया पर नाराजगी जताई थी. अब जब कांग्रेस ने सभी प्रमुख विपक्षी दलों से बातचीत करना शुरू किया है तो नीतीश कुमार साफ कह रहे हैं कि हम कांग्रेस से बात नहीं करेंगे, हम आरजेडी से बात करेंगे. तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार अरुणाचल प्रदेश में 2 सीटों में से एक पर जदयू उम्मीदवार तांगुग के नाम की भी घोषणा कर देते हैं. इस सीट पर 2019 में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी.
नॉर्थ ईस्ट में उतारा जेडीयू उम्मीदवार : इसके साथ पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को नॉर्थ ईस्ट पर ध्यान देने का निर्देश दिया है. साथ नीतीश बिहार में सीतामढ़ी सीट पर भी कौन चुनाव लड़ेगा इसका भी ऐलान कर देते हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है नीतीश कुमार कोई फार्मूला नहीं मान रहे हैं. यह अपना फार्मूला मनवाना चाहते हैं. गठबंधन में जब तक मिल बैठकर बात नहीं कीजिएगा तब तक सीट शेयरिंग होने वाली नहीं है. लेकिन नीतीश कुमार का अपना रुख है. इसलिए अरुणाचल में जदयू उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है और लगातार सीट शेयरिंग में विलंब होने का आरोप लगा रहे हैं.
17 सीटों पर बिहार में दावेदारी : जदयू की तरफ से लगातार मंत्री बयान दे रहे हैं. राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी भी 17 सीट पर जदयू की दावेदारी की बात कर रहे हैं. मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी कहा की 2019 में हम 17 सीट पर लड़े थे 16 में जीत हुई थी और एक पर दूसरे स्थान पर रहे थे, इसलिए हम लोग औचित्यहीन बात नहीं कर रहे हैं. तो वहीं जल संसाधन मंत्री संजय झा का तो साफ कहना है कि ''नीतीश कुमार अक्टूबर में ही चाहते थे सीट शेयरिंग हो जाए और 2 अक्टूबर से राजघाट से अभियान भी शुरू हो जाए लेकिन उसमें तो काफी विलंब हो गया है. अरुणाचल प्रदेश को लेकर सफाई देते हुए कह रहे है कि नॉर्थ ईस्ट में इसलिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा की गई है क्योंकि हम लोगों का वहां पहले से जनाधार रहा है और अब समय कहां है.''
नीतीश को लेकर क्या सोच रही है कांग्रेस? : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और एमएलसी समीर कुमार सिंह का कहना है कि ''नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के बड़े नेता में से हैं. उनका सभी सम्मान करते हैं. संयोजक से अधिक उनको सम्मान दिया जा रहा है. लेकिन सबका मकसद बीजेपी को परास्त करना है. इसके लिए यदि हम सीट जीत सकते हैं तो सीटिंग सीट भी आरजेडी हो या जदयू उन्हें छोड़ना होगा.''
नीतीश कुमार कांग्रेस से नाराज : ऐसे में नीतीश कुमार के तेवर साफ दिख रहे हैं कि कांग्रेस के रवैया से नाराज हैं. क्योंकि नीतीश कुमार जब विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे थे तो उस समय कांग्रेस के बिना कोई भी गठबंधन बीजेपी के खिलाफ हो उसके लिए तैयार नहीं थे. लेकिन अब कांग्रेस के फार्मूले से ही इतर काम कर रहे हैं. ऐसे में बिहार में भी इंडिया गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. सभी दलों के तरफ से जितनी सीटों की मांग हो रही है. बिहार में 60 सीट हो तभी सही ढंग से सीटों का बंटवारा संभव है.
ये भी पढ़ें-