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नीति आयोग की बैठक, मुख्यमंत्रियों की मांग पर गंभीरता से विचार-विमर्श

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज नीति आयोग की अहम बैठक हुई. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसमें हिस्सा नहीं लिया. बैठक में 23 मुख्यमंत्री, तीन उप राज्यपाल और दो प्रशासकों के अलावा कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए. नीति आयोग की गवर्नरिंग काउंसिल की सातवीं बैठक रविवार को दिल्ली में हुई. (Niti Ayog governing council meeting)

niti ayog meeting
नीति आयोग की बैठक
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Published : Aug 7, 2022, 12:29 PM IST

Updated : Aug 7, 2022, 6:45 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार को नीति आयोग की अहम बैठक नई दिल्ली में हुई. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने मीटिंग का बहिष्कार किया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बैठक में शामिल नहीं हुए. नीतीश पिछले दिनों कोरोना पॉजिटिव आए थे. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. (Niti Ayog governing council meeting).

बैठक में केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग और एक नई दिशा में काम करने के लिए तालमेल बैठाने पर चर्चा हुई. एजेंडे में फसल विविधीकरण और तिलहन- दालों और कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-स्कूली शिक्षा का कार्यान्वयन और शहरी शासन समेत अन्य मुद्दे शामिल थे.

  • Delhi | Prime Minister Narendra Modi interacts with chief ministers of various States during NITI Aayog's Governing Council meeting pic.twitter.com/7RnjMJ61os

    — ANI (@ANI) August 7, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रधानमंत्री ने नीति आयोग के शीर्ष निकाय संचालन परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जीवनयापन में सुगमता लाने, सेवा की पारदर्शी आपूर्ति और जीवन गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने पर भारत के लिए तीव्र शहरीकरण कमजोरी के बजाय एक ताकत बन सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को खाद्य तेलों के उत्पादन में स्वावलंबी बनने पर ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने विकसित एवं विकासशील देशों के समूह जी-20 का अगले साल भारत के अध्यक्ष बनने के मुद्दे पर भी अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने राज्यों से जी-20 के लिए समर्पित टीम बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि इस पहल से अधिकतम लाभ लेने में यह कारगर हो सकता है. प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में 23 मुख्यमंत्री, तीन उप राज्यपाल और दो प्रशासकों के अलावा कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए.

पढ़ें: नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे सीएम केसीआर, पीएम मोदी को लिखा पत्र

एक दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि केंद्र भारत को एक मजबूत और विकसित देश बनाने के सामूहिक प्रयास में राज्यों को समान भागीदार नहीं मान रहा है. के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने लिखा कि भारत एक राष्ट्र के रूप में तभी विकसित हो सकता है, जब राज्य विकसित हों और मजबूत और आर्थिक रूप से जीवंत राज्य अकेले ही भारत को एक मजबूत देश बना सकते हैं.

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख ने एक संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया, जिसमें बैठक से दूर रहने और केंद्र पर तीखा हमला करने के कारणों की व्याख्या की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि योजना की कमी और सहकारी संघवाद की कमी के कारण, रुपये के गिरते मूल्य, उच्च मुद्रास्फीति (महंगाई), आसमान छूती कीमतों और कम आर्थिक विकास के साथ बढ़ती बेरोजगारी की अभूतपूर्व समस्याओं के साथ सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है. सीएम ने लिखा कि ये मुद्दे लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं और राष्ट्र के लिए बहुत चिंता का कारण बन रहे हैं. लेकिन नीति आयोग की बैठकों में इन पर चर्चा नहीं की जाती है. मैं इस उभरते हुए गंभीर परिदृश्य के लिए केंद्र सरकार को मूक दर्शक पाता हूं, जो अक्सर लोगों की भावनाओं पर खेल रहे शब्दों की जुगलबंदी का सहारा लेती है.

पढ़ें: नीति आयोग के नवाचार सूचकांक में प्रमुख राज्यों की श्रेणी में कर्नाटक शीर्ष स्थान पर

उन्होंने बुलडोजर के इस्तेमाल, मुठभेड़ में हत्याओं, 80:20 के अनुपात (अलग-अलग धर्मो के बीच भेदभाव) और धार्मिक लहजे के संदर्भ में उच्च पदों पर बैठे कुछ नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयानों का भी जिक्र किया. यह देखते हुए कि ये राष्ट्र के सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक ताने-बाने को बाधित कर रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय आलोचना को आमंत्रित करने के अलावा, उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया.

केसीआर ने राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों की उधारी को उनकी पूंजीगत जरूरतों के लिए राज्य सरकार की उधारी के रूप में मानने के लिए भी केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इससे तेलंगाना और कई अन्य राज्यों की प्रगति पर ब्रेक लगा है. उन्होंने लिखा कि राज्यों के खिलाफ यह भेदभाव बिना किसी मजबूरी के किया जाता है, जबकि भारत सरकार अंधाधुंध खुले बाजार से उधार लेती है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा कुछ जानबूझकर की गई कार्रवाइयों से भारत के संघीय ढांचे को व्यवस्थित रूप से नष्ट किया जा रहा है.

पढ़ें: मोदी सात अगस्त को नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक की अध्यक्षता करेंगे

केसीआर ने आगे कहा कि ये घटनाक्रम तेलंगाना जैसे पिछड़े राज्यों के लिए बहुत हतोत्साहित करने वाले हैं. कुछ राज्यों के साथ संविधान में उन्हें सौंपे गए वैध कार्यों में भी उनके साथ स्पष्ट भेदभाव वांछित होने के लिए बहुत कुछ छोड़ देता है. उन्होंने राज्यों के नुकसान के लिए अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) नियमों को बदलने, अंतरराज्यीय जल विवादों को हल करने में केंद्र की अक्षमता और सुविधाकर्ता के रूप में केंद्र के सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ काम करने के कुछ स्पष्ट उदाहरणों का हवाला दिया. पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार की अप्रत्यक्ष कर के रूप में उपकर लगाने की प्रवृत्ति राज्यों को कर राजस्व में उनके वैध हिस्से से वंचित कर रही है.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार को नीति आयोग की अहम बैठक नई दिल्ली में हुई. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने मीटिंग का बहिष्कार किया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बैठक में शामिल नहीं हुए. नीतीश पिछले दिनों कोरोना पॉजिटिव आए थे. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. (Niti Ayog governing council meeting).

बैठक में केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग और एक नई दिशा में काम करने के लिए तालमेल बैठाने पर चर्चा हुई. एजेंडे में फसल विविधीकरण और तिलहन- दालों और कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-स्कूली शिक्षा का कार्यान्वयन और शहरी शासन समेत अन्य मुद्दे शामिल थे.

  • Delhi | Prime Minister Narendra Modi interacts with chief ministers of various States during NITI Aayog's Governing Council meeting pic.twitter.com/7RnjMJ61os

    — ANI (@ANI) August 7, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रधानमंत्री ने नीति आयोग के शीर्ष निकाय संचालन परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जीवनयापन में सुगमता लाने, सेवा की पारदर्शी आपूर्ति और जीवन गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने पर भारत के लिए तीव्र शहरीकरण कमजोरी के बजाय एक ताकत बन सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को खाद्य तेलों के उत्पादन में स्वावलंबी बनने पर ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने विकसित एवं विकासशील देशों के समूह जी-20 का अगले साल भारत के अध्यक्ष बनने के मुद्दे पर भी अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने राज्यों से जी-20 के लिए समर्पित टीम बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि इस पहल से अधिकतम लाभ लेने में यह कारगर हो सकता है. प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में 23 मुख्यमंत्री, तीन उप राज्यपाल और दो प्रशासकों के अलावा कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए.

पढ़ें: नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे सीएम केसीआर, पीएम मोदी को लिखा पत्र

एक दिन पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि केंद्र भारत को एक मजबूत और विकसित देश बनाने के सामूहिक प्रयास में राज्यों को समान भागीदार नहीं मान रहा है. के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने लिखा कि भारत एक राष्ट्र के रूप में तभी विकसित हो सकता है, जब राज्य विकसित हों और मजबूत और आर्थिक रूप से जीवंत राज्य अकेले ही भारत को एक मजबूत देश बना सकते हैं.

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख ने एक संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया, जिसमें बैठक से दूर रहने और केंद्र पर तीखा हमला करने के कारणों की व्याख्या की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि योजना की कमी और सहकारी संघवाद की कमी के कारण, रुपये के गिरते मूल्य, उच्च मुद्रास्फीति (महंगाई), आसमान छूती कीमतों और कम आर्थिक विकास के साथ बढ़ती बेरोजगारी की अभूतपूर्व समस्याओं के साथ सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है. सीएम ने लिखा कि ये मुद्दे लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं और राष्ट्र के लिए बहुत चिंता का कारण बन रहे हैं. लेकिन नीति आयोग की बैठकों में इन पर चर्चा नहीं की जाती है. मैं इस उभरते हुए गंभीर परिदृश्य के लिए केंद्र सरकार को मूक दर्शक पाता हूं, जो अक्सर लोगों की भावनाओं पर खेल रहे शब्दों की जुगलबंदी का सहारा लेती है.

पढ़ें: नीति आयोग के नवाचार सूचकांक में प्रमुख राज्यों की श्रेणी में कर्नाटक शीर्ष स्थान पर

उन्होंने बुलडोजर के इस्तेमाल, मुठभेड़ में हत्याओं, 80:20 के अनुपात (अलग-अलग धर्मो के बीच भेदभाव) और धार्मिक लहजे के संदर्भ में उच्च पदों पर बैठे कुछ नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयानों का भी जिक्र किया. यह देखते हुए कि ये राष्ट्र के सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक ताने-बाने को बाधित कर रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय आलोचना को आमंत्रित करने के अलावा, उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया.

केसीआर ने राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों की उधारी को उनकी पूंजीगत जरूरतों के लिए राज्य सरकार की उधारी के रूप में मानने के लिए भी केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इससे तेलंगाना और कई अन्य राज्यों की प्रगति पर ब्रेक लगा है. उन्होंने लिखा कि राज्यों के खिलाफ यह भेदभाव बिना किसी मजबूरी के किया जाता है, जबकि भारत सरकार अंधाधुंध खुले बाजार से उधार लेती है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा कुछ जानबूझकर की गई कार्रवाइयों से भारत के संघीय ढांचे को व्यवस्थित रूप से नष्ट किया जा रहा है.

पढ़ें: मोदी सात अगस्त को नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक की अध्यक्षता करेंगे

केसीआर ने आगे कहा कि ये घटनाक्रम तेलंगाना जैसे पिछड़े राज्यों के लिए बहुत हतोत्साहित करने वाले हैं. कुछ राज्यों के साथ संविधान में उन्हें सौंपे गए वैध कार्यों में भी उनके साथ स्पष्ट भेदभाव वांछित होने के लिए बहुत कुछ छोड़ देता है. उन्होंने राज्यों के नुकसान के लिए अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) नियमों को बदलने, अंतरराज्यीय जल विवादों को हल करने में केंद्र की अक्षमता और सुविधाकर्ता के रूप में केंद्र के सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ काम करने के कुछ स्पष्ट उदाहरणों का हवाला दिया. पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार की अप्रत्यक्ष कर के रूप में उपकर लगाने की प्रवृत्ति राज्यों को कर राजस्व में उनके वैध हिस्से से वंचित कर रही है.

Last Updated : Aug 7, 2022, 6:45 PM IST
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