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NIPER संशोधन विधेयक-2021 लोक सभा से पारित, अधीर रंजन चौधरी ने सरकारी दावों पर पूछे सवाल - parliament news

संसद के शीतकालीन सत्र का आज छठा दिन है. लोक सभा में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च अमेंडमेंट बिल (National Institute of Pharmaceutical Education and Research Amendment Bill-2021) पेश किया. इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सरकार के दावों पर कई सवाल खड़े किए.

niper amendment bill lok sabha
लोक सभा में एनआईपीईआर बिल
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Published : Dec 6, 2021, 6:16 PM IST

Updated : Dec 6, 2021, 7:05 PM IST

नई दिल्ली : लोक सभा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च अमेंडमेंट बिल (National Institute of Pharmaceutical Education and Research Amendment Bill-2021) पर चर्चा के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जवाब दिया. मंडाविया के जवाब के बाद संशोधनों के साथ NIPER संशोधन विधेयक-2021 पारित हो गया.

उन्होंने कहा कि आज संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है. ऐसे में NIPER संशोधन विधेयक-2021 पर चर्चा और इस बिल को पारित करने की प्रक्रिया विशेष है.

NIPER संशोधन विधेयक-2021 लोक सभा से पारित

लोक सभा में सोमवार को 'राष्ट्रीय औषधि शिक्षण और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक 2021' पर चर्चा हुई. कई सदस्यों ने देश में औषधि अनुसंधान को बढ़ावा देने और समयबद्ध तरीके से उत्कृष्ठ अनुसंधान संस्थानों का परिसर स्थापित किये जाने की मांग की.

मंडाविया ने विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए कहा कि औषधि क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बनें, इनमें शोध हो तथा शैक्षणिक संस्थान स्थापित हो सकें... इस उद्देश्य के साथ यह विधेयक लाया गया है.

लोक सभा में NIPER संशोधन विधेयक-2021 पर चर्चा के दौरान अधीर रंजन चौधरी का बयान

चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के अब्दुल खालिक ने विधेयक में कुछ संशोधनों को लेकर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि संबंधित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों की संख्या को कम कर दिया गया है और सांसदों को भी इससे हटाया गया है. उन्होंने कहा कि सांसद जनप्रतिनिधि होते हैं और वे भी अहम सुझाव दे सकते हैं. खालिक ने यह भी कहा कि बोर्ड का प्रमुख एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो औषधि क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता हो.

गुणवत्ता पर ध्यान देने की कोशिश

भारतीय जनता पार्टी के राजदीप रॉय ने कहा कि यह विधेयक संस्थानों को ज्यादा अधिकार देता है. ये संस्थान अपना पाठ्यक्रम संचालित कर सकते हैं और परीक्षा का आयोजन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि संचालक मंडल में सदस्यों की संख्या को कम करने का फैसला किया गया है ताकि गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए और ये संस्थान भी आईआईटी और आईआईएम के बराबर खड़े हो सकें.

रॉय ने कहा कि देश औषधि उद्योग में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में बदलती दुनिया के हिसाब से खड़े होने के लिए उचित कानूनों की जरूरत है. उनके मुताबिक, इस विधेयक को लेकर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है.

यह भी पढ़ें- महंगाई पर चर्चा के दौरान हंगामा, राज्य सभा के वेल में घुसे सांसद

चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार को इन संस्थाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को निजी हाथों में सौंप रही है.

फार्मास्युटिकल उद्योग को मिले बढ़ावा

वाईएसआर कांग्रेस के संजीव कुमार ने कहा कि फार्मास्युटिकल उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए. शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बरणे ने कहा कि इस संशोधन से देश के छह राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसे संस्थान बनाये जाने चाहिए.

बीजद की चंद्राणी मुर्मू ने ओडिशा में ऐसा एक संस्थान खोले जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि सभी संस्थानों के अपने परिसर होने चाहिए और समयबद्ध तरीके से इनके खुद के परिसरों का निर्माण होना चाहिए.

अनुसंधान के लिए अधिक धन

बसपा के दानिश अली ने भी पांच ऐसे संस्थानों के अपने परिसर बनाये जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर आदिवासियों, गरीबों पर ट्रायल करते हैं, उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. सरकार को ऐसे संस्थानों को अनुसंधान के लिए अधिक धन देना होगा. दानिश अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कवल एक ऐसा संस्थान रायबरेली में है और एक संस्थान पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी बनाया जाना चाहिए.

बिना महामारी के भी औषधि कंपनियों का विकास हो

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि देश में फार्मास्युटिकल कंपनियां सरकार की किसी नीति की वजह से नहीं बल्कि महामारी की वजह से तरक्की कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बिना महामारी के भी औषधि कंपनियों का विकास हो, ऐसा होना चाहिए.

भाजपा के अनुराग शर्मा ने इस पर असहमति जताते हुए कहा कि फार्मा कंपनियां पिछले कई वर्षों से विकास की ओर बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में आयुर्वेद चिकित्सा पर भी अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने कहा कि इन संस्थानों की बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए. जदयू के आलोक कुमार सुमन ने भी चर्चा में भाग लिया.

(इनपुट-पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : लोक सभा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च अमेंडमेंट बिल (National Institute of Pharmaceutical Education and Research Amendment Bill-2021) पर चर्चा के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जवाब दिया. मंडाविया के जवाब के बाद संशोधनों के साथ NIPER संशोधन विधेयक-2021 पारित हो गया.

उन्होंने कहा कि आज संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है. ऐसे में NIPER संशोधन विधेयक-2021 पर चर्चा और इस बिल को पारित करने की प्रक्रिया विशेष है.

NIPER संशोधन विधेयक-2021 लोक सभा से पारित

लोक सभा में सोमवार को 'राष्ट्रीय औषधि शिक्षण और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक 2021' पर चर्चा हुई. कई सदस्यों ने देश में औषधि अनुसंधान को बढ़ावा देने और समयबद्ध तरीके से उत्कृष्ठ अनुसंधान संस्थानों का परिसर स्थापित किये जाने की मांग की.

मंडाविया ने विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए कहा कि औषधि क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बनें, इनमें शोध हो तथा शैक्षणिक संस्थान स्थापित हो सकें... इस उद्देश्य के साथ यह विधेयक लाया गया है.

लोक सभा में NIPER संशोधन विधेयक-2021 पर चर्चा के दौरान अधीर रंजन चौधरी का बयान

चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के अब्दुल खालिक ने विधेयक में कुछ संशोधनों को लेकर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि संबंधित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों की संख्या को कम कर दिया गया है और सांसदों को भी इससे हटाया गया है. उन्होंने कहा कि सांसद जनप्रतिनिधि होते हैं और वे भी अहम सुझाव दे सकते हैं. खालिक ने यह भी कहा कि बोर्ड का प्रमुख एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो औषधि क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता हो.

गुणवत्ता पर ध्यान देने की कोशिश

भारतीय जनता पार्टी के राजदीप रॉय ने कहा कि यह विधेयक संस्थानों को ज्यादा अधिकार देता है. ये संस्थान अपना पाठ्यक्रम संचालित कर सकते हैं और परीक्षा का आयोजन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि संचालक मंडल में सदस्यों की संख्या को कम करने का फैसला किया गया है ताकि गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए और ये संस्थान भी आईआईटी और आईआईएम के बराबर खड़े हो सकें.

रॉय ने कहा कि देश औषधि उद्योग में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में बदलती दुनिया के हिसाब से खड़े होने के लिए उचित कानूनों की जरूरत है. उनके मुताबिक, इस विधेयक को लेकर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है.

यह भी पढ़ें- महंगाई पर चर्चा के दौरान हंगामा, राज्य सभा के वेल में घुसे सांसद

चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार को इन संस्थाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को निजी हाथों में सौंप रही है.

फार्मास्युटिकल उद्योग को मिले बढ़ावा

वाईएसआर कांग्रेस के संजीव कुमार ने कहा कि फार्मास्युटिकल उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए. शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बरणे ने कहा कि इस संशोधन से देश के छह राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसे संस्थान बनाये जाने चाहिए.

बीजद की चंद्राणी मुर्मू ने ओडिशा में ऐसा एक संस्थान खोले जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि सभी संस्थानों के अपने परिसर होने चाहिए और समयबद्ध तरीके से इनके खुद के परिसरों का निर्माण होना चाहिए.

अनुसंधान के लिए अधिक धन

बसपा के दानिश अली ने भी पांच ऐसे संस्थानों के अपने परिसर बनाये जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर आदिवासियों, गरीबों पर ट्रायल करते हैं, उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. सरकार को ऐसे संस्थानों को अनुसंधान के लिए अधिक धन देना होगा. दानिश अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कवल एक ऐसा संस्थान रायबरेली में है और एक संस्थान पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी बनाया जाना चाहिए.

बिना महामारी के भी औषधि कंपनियों का विकास हो

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि देश में फार्मास्युटिकल कंपनियां सरकार की किसी नीति की वजह से नहीं बल्कि महामारी की वजह से तरक्की कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बिना महामारी के भी औषधि कंपनियों का विकास हो, ऐसा होना चाहिए.

भाजपा के अनुराग शर्मा ने इस पर असहमति जताते हुए कहा कि फार्मा कंपनियां पिछले कई वर्षों से विकास की ओर बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में आयुर्वेद चिकित्सा पर भी अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने कहा कि इन संस्थानों की बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए. जदयू के आलोक कुमार सुमन ने भी चर्चा में भाग लिया.

(इनपुट-पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Dec 6, 2021, 7:05 PM IST
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