ETV Bharat / bharat

जम्मू-कश्मीर : हाउसबोट जर्जर होने से पर्यटन उद्योग पर पड़ रहा असर

श्रीनगर में नई हाउसबोट बनाने की अनुमति नहीं है और हाउसबोट का कोई नया पंजीकरण नहीं किया जा रहा, जिस कारण ज्यादातर हाउसबोट जर्जर हैं. हाउसबोट जर्जर होने से पर्यटन उद्योग पर असर पड़ रहा.

हाउसबोट जर्जर
हाउसबोट जर्जर
author img

By

Published : Sep 2, 2021, 10:34 AM IST

Updated : Sep 2, 2021, 11:59 AM IST

श्रीनगर : कश्मीर के पर्यटन उद्योग में हाउसबोट और शिकारा का विशेष महत्व और पहचान है. पर्यटक डल झील में इन हाउस बोट में फुर्सत के कुछ पल बिताते हैं. शिकारगाह में बैठकर नजारे का आनंद लेते हैं, लेकिन दशकों से मरम्मत नहीं होने के कारण इनमें से अधिकांश हाउसबोट की हालत खस्ता है. पिछले कुछ वर्षों में डल झील, नगीन और झेलम नदी में कई हाउसबोट को आपदाओं के कारण नुकसान पहुंचा या फिर डूब गए. नतीजतन, कई हाउसबोट मालिकों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें वर्षों से खराब हो चुकी हाउसबोटों की मरम्मत करने की अनुमति नहीं दी गई है. हाउसबोट का कोई नया पंजीकरण नहीं किया जा रहा है.

खास रिपोर्ट

शर्तों के साथ हाउसबोट ठीक कराने की इजाजत
इस साल पेश की गई नई हाउसबोट नीति के तहत, मालिक कुछ शर्तों के साथ हाउसबोट को ठीक कर सकते हैं, लेकिन दशकों तक जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा? 11 साल पहले हाउसबोट की मरम्मत के लिए डॉकयार्ड कहां बनाए गए थे?

एक समय डल झील (Dal Lake), नागिन (Nagin) और झेलम (Jhelum) नदी में हजारों हाउसबोट थे लेकिन पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में गिरावट देखी गई है. लगभग 2,500 इन-हाउस नावें थीं, अब इनकी संख्या घटकर मात्र 911 रह गई है. इस साल इनमें से करीब 23 हाउसबोट अंदर से पूरी तरह खराब हो चुकी हैं, जबकि करीब 700 हाउसबोट आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं.

2010 में तत्कालीन सरकार ने क्षतिग्रस्त हाउसबोट की मरम्मत के लिए डल झील में डॉकयार्ड स्थापित किया था, लेकिन समय बीतने और उस पर बहुत पैसा खर्च करने के बावजूद, अब तक वहां एक भी हाउसबोट की मरम्मत नहीं की गई है. नतीजा जहां हाउसबोटों की हालत खराब है वहीं डॉकयार्ड (dockyard) भी अपनी जर्जर हालत की कहानी बयां कर रहा है.

हालांकि हाउसबोट के लिए पाखरी बिल और लेक डल में अलग-अलग डॉकयार्ड स्थापित किए गए थे लेकिन वे फिलहाल काम नहीं कर रहे हैं. पर्यटन निदेशक जीएन इट्टो (Tourism Director GN Ito) का कहना है कि विभाग डल झील पर विरासत को संरक्षित करने, हाउसबोट उद्योग में शामिल लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

पढ़ें- जम्मू कश्मीर : हाउसबोट के मालिक ने शिकारा को एंबुलेंस में बदला

उन्होंने कहा कि हाउसबोटों की जर्जर हालत के मद्देनजर दोनों डॉकयार्ड (dockyard) को चालू करने का काम जल्द ही फिर से शुरू किया जा रहा है, जिसे समय पर पूरा कर लिया जाएगा. कागजी कार्रवाई के साथ हाउसबोट का नया पंजीकरण कराया जा सकता है.

पढ़ें- कोरोना के कारण डल झील के नाविकों की आजीविका प्रभावित

कुल मिलाकर हाउसबोटों को बचाने और मरम्मत करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाकर डॉकयार्ड को चालू करने की आवश्यकता है.

श्रीनगर : कश्मीर के पर्यटन उद्योग में हाउसबोट और शिकारा का विशेष महत्व और पहचान है. पर्यटक डल झील में इन हाउस बोट में फुर्सत के कुछ पल बिताते हैं. शिकारगाह में बैठकर नजारे का आनंद लेते हैं, लेकिन दशकों से मरम्मत नहीं होने के कारण इनमें से अधिकांश हाउसबोट की हालत खस्ता है. पिछले कुछ वर्षों में डल झील, नगीन और झेलम नदी में कई हाउसबोट को आपदाओं के कारण नुकसान पहुंचा या फिर डूब गए. नतीजतन, कई हाउसबोट मालिकों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें वर्षों से खराब हो चुकी हाउसबोटों की मरम्मत करने की अनुमति नहीं दी गई है. हाउसबोट का कोई नया पंजीकरण नहीं किया जा रहा है.

खास रिपोर्ट

शर्तों के साथ हाउसबोट ठीक कराने की इजाजत
इस साल पेश की गई नई हाउसबोट नीति के तहत, मालिक कुछ शर्तों के साथ हाउसबोट को ठीक कर सकते हैं, लेकिन दशकों तक जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा? 11 साल पहले हाउसबोट की मरम्मत के लिए डॉकयार्ड कहां बनाए गए थे?

एक समय डल झील (Dal Lake), नागिन (Nagin) और झेलम (Jhelum) नदी में हजारों हाउसबोट थे लेकिन पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में गिरावट देखी गई है. लगभग 2,500 इन-हाउस नावें थीं, अब इनकी संख्या घटकर मात्र 911 रह गई है. इस साल इनमें से करीब 23 हाउसबोट अंदर से पूरी तरह खराब हो चुकी हैं, जबकि करीब 700 हाउसबोट आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं.

2010 में तत्कालीन सरकार ने क्षतिग्रस्त हाउसबोट की मरम्मत के लिए डल झील में डॉकयार्ड स्थापित किया था, लेकिन समय बीतने और उस पर बहुत पैसा खर्च करने के बावजूद, अब तक वहां एक भी हाउसबोट की मरम्मत नहीं की गई है. नतीजा जहां हाउसबोटों की हालत खराब है वहीं डॉकयार्ड (dockyard) भी अपनी जर्जर हालत की कहानी बयां कर रहा है.

हालांकि हाउसबोट के लिए पाखरी बिल और लेक डल में अलग-अलग डॉकयार्ड स्थापित किए गए थे लेकिन वे फिलहाल काम नहीं कर रहे हैं. पर्यटन निदेशक जीएन इट्टो (Tourism Director GN Ito) का कहना है कि विभाग डल झील पर विरासत को संरक्षित करने, हाउसबोट उद्योग में शामिल लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

पढ़ें- जम्मू कश्मीर : हाउसबोट के मालिक ने शिकारा को एंबुलेंस में बदला

उन्होंने कहा कि हाउसबोटों की जर्जर हालत के मद्देनजर दोनों डॉकयार्ड (dockyard) को चालू करने का काम जल्द ही फिर से शुरू किया जा रहा है, जिसे समय पर पूरा कर लिया जाएगा. कागजी कार्रवाई के साथ हाउसबोट का नया पंजीकरण कराया जा सकता है.

पढ़ें- कोरोना के कारण डल झील के नाविकों की आजीविका प्रभावित

कुल मिलाकर हाउसबोटों को बचाने और मरम्मत करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाकर डॉकयार्ड को चालू करने की आवश्यकता है.

Last Updated : Sep 2, 2021, 11:59 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.