वैशाली: बिहार के हाजीपुर व्यवहार न्यायालय ने पेशे से वकील रहे एक दोषी को कोर्ट ने 30 साल की सजा सुनाई. 11 साल के बच्चे के साथ उसे अप्राकृतिक यौनाचार के मामले में दोषी पाया गया था. विशेष जज पॉस्को (एडीजे 6) जीवन लाल की अदालत ने आईपीसी की धारा 377 के तहत सजा सुनाई है. साथ ही अदालत ने 30 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोंका है.
ये भी पढ़ें- Jamui Love Story : लूडो खेलते-खेलते दामाद को दिल दे बैठी सास, रात के अंधेरे में मिलने पहुंचा तो लोगों ने कूट दिया
वकील को मिली 30 साल की सजा: इस विषय में पोस्को कोर्ट के स्पेशल पीपी मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि महुआ थाना कांड संख्या 162/21 है. घटना 20 फरवरी 2021 की शाम 6:30 बजे हुई जब उसके साथ ये घिनौना कृत्य हुआ. बच्चा सुबह जब बच्चा कराहता हुआ अपने घर पहुंचा तो उसने अपनी चाची से सारी बात बताई. दोषी उसे पान की गुमटी पर छोड़ गए थे. उसकी चाची उसे इलाज के लिए महुआ अस्पताल लेकर पहुंची थी. डॉक्टरों ने जांच में पाया कि उसके एनल से रक्त का स्राव हो रहा था.
मिली अनोखी सजा: लड़के ने बाताया कि रात में जब वो वकील के घर में था तो वकील समेत दो लोगों ने रात में शराब पी. जब सो गया था तब उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य किया गया. इस मामले में अदलात ने अलग तरह से सजा का ऐलान किया. जजमेंट है कि जब एक सजा पूरी होने के बाद दूसरी सजा की शुरुआत होगी. अगर वह 20 साल का सजा पहले काट लेता है तो 10 साल का फिर से शुरुआत होगा. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ इस पूरे मामले में चार अभियुक्त जिसमें 1 का ट्रायल दोषी अधिवक्ता का कंपलीट हो गया. यह फैसला आने से ऐसे अपराध की योजना बनाने वाले लोगों में काफी डर व्याप्त होगा.
त्वरित न्याय के लिए जताया आभार : कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के सहयोग से संचालित एक्सेस टू जस्टिस फॉर चिल्ड्रन कार्यक्रम के तहत स्वर्गीय कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान हाजीपुर ने वैशाली द्वारा पीड़ित बालक को हर संभव मदद पहुंचाई है. वहीं त्वरित न्याय देने के लिए कार्यक्रम के निर्देशक सुधीर कुमार शुक्ला ने पोक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश जीवनलाल एवं विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार शर्मा के प्रति आभार व्यक्त किया है. अदालत की ओर से सात लाख का कंपनसेशन देने का आदेश विधिक सेवा प्राधिकार वैशाली को दिया गया है.
"सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई जिसके बाद दोषी वकील को कुल 30 वर्षों का सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है साथ ही 30 हजार का अर्थदंड दिया गया है. जिसमें 377 आईपीसी के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 10 हजार का अर्थदंड अर्थदंड की राशि नहीं देने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास और पॉस्को के दफा छह के तहत 20 साल का सश्रम कारावास व 20 हजार का अर्थदंड लगाया गया है. राशि नहीं देने पर 1 वर्ष के अतिरिक्त सजा का प्रावधान रखा गया है. दोनों सजा अलग-अलग चलेगी. यह एक नया जजमेंट है. वैशाली जिला के लिए जब एक सजा पूरी होने के बाद दूसरी सजा की शुरुआत होगी. अगर वह 20 साल का सजा पहले काट लेता है तो 10 साल का फिर से शुरुआत होगा.''- एडवोकेट मनोज कुमार शर्मा, स्पेशल पीपी.