बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने सोमवार को ऑनलाइन गेमिंग को हरी झंडी दे दी. साथ ही राज्य के हालिया ऑनलाइन सट्टेबाजी कानून को असंवैधानिक करार दिया, जिससे कौशल-आधारित गेमिंग फर्मों को बड़ी राहत मिली.
उच्च न्यायालय ने कर्नाटक पुलिस अधिनियम, 2021 के संशोधन को रद्द कर दिया है, जो ऑनलाइन सट्टेबाजी और कौशल के खेल खेलने पर प्रतिबंध लगाता है. मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की खंडपीठ 'ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया' और 'गैलेक्टस फनवेयर टेक्नोलॉजीज' और अन्य कंपनियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाओं में ऑनलाइन गेम के सभी रूपों पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के कदम पर सवाल उठाया गया था.
पीठ ने कहा कि, प्रावधान संविधान के अधिकार से बाहर हैं और इसे रद्द कर दिया गया है. अगर राज्य संविधान के अनुरूप एक नया कानून लाता है तो हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
ये है मामला
21 सितंबर 2021 को कर्नाटक विधानसभा ने कर्नाटक पुलिस अधिनियम, 1963 में संशोधन करने के लिए एक कानून पारित किया, जिसमें ऑनलाइन सहित सभी प्रकार के जुए को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बना दिया गया. नया कानून लागू होने के बाद से पुलिस ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था. इस पर गेमिंग कंपनियां नए अधिनियम (संशोधन) के खिलाफ उच्च न्यायालय चली गईं.
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि 'उक्त संशोधन इस प्रकार 'कौशल के खेल' पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है जिसे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत संरक्षित एक वैध व्यावसायिक गतिविधि माना जाता है और इसलिए याचिकाकर्ता और अन्य इसी तरह व्यक्तियों को ऑनलाइन कौशल गेमिंग के माध्यम से खुद को व्यक्त करने के लिए अपनी पसंद का प्रयोग करने से रोकता है. इसके साथ ही इससे जुड़े लोगों को कमाई और आजीविका के साधन से भी वंचित करता है.'
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