नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय द्वारा राजधानी में मृत्यु के कारणों के चिकित्सा प्रमाणन पर प्रकाशित की गई रिपोर्ट को लेकर अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने निशाना साधा है. रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के अस्पतालों में पिछले साल इन्फेक्शन और पैरासाइट्स से होने वाली बीमारियों से 21,000 लोगों के मरने की जानकारी दी गई है. साथ ही रिपोर्ट में अन्य बीमारियों से मरने वाले लोगों, अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों और बच्चों की भी बीमारियों से मौत होने के आंकड़े दिए गए हैं.
एलजी ने रिपोर्ट के इन आंकड़ों X पर पोस्ट किया, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के अस्पतालों में पिछले साल इन्फेक्शन और पैरासाइट्स से होने वाली बीमारियों से 21,000 लोग मरे. यह बीमारियां दूषित पानी, मच्छरों और गंदगी के कारण होती हैं. रिपोर्ट के अनुसार कैंसर से मरने वालों की संख्या में पिछले एक साल में 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. मरने वालों में 13 प्रतिशत 14 साल से कम उम्र के बच्चे हैं. मरने वालों में 6 प्रतिशत लोग 14 से 24 आयु वर्ग के, 19 प्रतिशत लोग 25 से 44 आयु वर्ग के तथा 32 प्रतिशत लोग 45 से 64 आयु वर्ग के हैं. यानी 57 प्रतिशत मरने वाले वर्किंग एज ग्रुप के थे.
Flagging this as a concerned resident of Delhi
— LG Delhi (@LtGovDelhi) November 11, 2024
•सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के अस्पतालों में पिछले साल infection और parasites से होने वाली बीमारियों से 21,000 लोग मरे। यह बीमारियाँ दूषित पानी, मच्छरों और गंदगी के कारण होती हैं।
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इन आंकड़ों में अस्पतालों के बाहर होने वाली मृत्यु के कारणों का विवरण शामिल नहीं है. यह बेहद गंभीर और चिंताजनक स्थिति, दिल्ली के हेल्थ मॉडल के अलावा दिल्ली में पूर्ण रूप से जलापूर्ति, सीवर और सफाई व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने को दर्शाता है. आशा करता हूं कि सरकार संज्ञान लेते हुए निराकरण का प्रयास करेगी, सिर्फ प्रचार नहीं.
इन्फेक्शियस डिजीज में शामिल रहीं ये बीमारियां: इसमें हैजा, टाइफाइड, दस्त, आंत्रशोथ, टीबी, कुष्ठ रोग, डिप्थीरिया, टेटनस, सेप्टीसीमिया, हेपेटाइटिस बी, एचआईवी, मलेरिया जैसी बीमारियां शामिल हैं. यह कुल संस्थागत मौतों का लगभग 24 प्रतिशत है. सेप्टीसीमिया से सबसे ज्यादा 15,332, जबकि टीबी से 3,904 मौतें हुईं.
इन बीमारियों से हुईं सबसे ज्यादा मौतें: रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों की मानें तो 2022 की तुलना में 2023 में संक्रामक और पैरासाइट से जुड़ी बीमारियों से ज्यादा लोगों की मौत हुई. 2022 में, इन बीमारियों से जहां 17,117 लोगों की मृत्यु हुई थी, जो उस वर्ष शहर में दर्ज 81,630 अस्पतालों में हुई मौतों का 21% था. 2022 में जहां 16,982 (20.8%) लोगों ने पुरानी दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और आदि बीमारियों के चलते अपनी जान गंवाई तो वहीं 2023 में उनकी संख्या घटकर 15,714 हो रह गई. वहीं नियोप्लाज्म कैंसर और कैंसर से संबंधित बीमारियों के कारण अस्पतालों में मौतों की संख्या 2023 के दौरान 6,054 दर्ज की गई, जो 2022 में दर्ज की गई मौतों 5,409 से लगभग 12% अधिक थी.
2023 में दिल्ली में हुई इतनी मौतें: दिल्ली सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में दिल्ली में कुल 1,32,391 मौतें दर्ज की गईं, जो 2022 में 1,28,106 मौतों की तुलना में तीन प्रतिशत अधिक हैं. इनमें से 88,628 या 66.9% मौतें स्वास्थ्य केंद्रों में पंजीकृत थीं, जबकि शेष 43,763 या 33.06% घरेलू मौतें थीं. रिपोर्ट विशेष रूप से दिल्ली सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में संस्थागत मौतों के आंकड़ों पर आधारित थी. शिशुओं में सबसे ज्यादा मौतें भ्रूण की धीमी वृद्धि, भ्रूण कुपोषण और अपरिपक्वता के कारण हुईं थीं. इसके बाद निमोनिया (1,373), सेप्टीसीमिया (1,109), और हाइपोक्सिया, जन्म के समय सांस लेने में अवरोध और अन्य सांस संबंधी बीमारी के कारण 704 शिशुओं की मौतें हुईं.
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