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बच्चे की मौत के बाद परिवार को 29 सालों बाद मिला न्याय, हत्या के दोषी को कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा - crime in dhanbad

धनबाद में अपने बच्चे की मौत के बाद न्याय की गुहार लगा रहे परिवार को 29 साल के बाद इंसाफ मिला है. कोर्ट ने 29 सालों बाद आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

Justice served after 29 years
Justice served after 29 years
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Published : Jun 23, 2023, 2:21 PM IST

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धनबाद: कहा जाता है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है....लेकिन, अब ये न्यायालय के लिए भी कहा जा सकता है. क्योंकि 10 वर्षीय छात्र की मौत मामले में परिजनों को 29 साल बाद जाकर इंसाफ मिला है. मामला 12 मार्च 1994 का है, जब क्लास टू में पढ़ने वाले 10 वर्षीय छात्र शाहनवाज की चाकू गोदकर हत्या कर दी गई थी. इस 29 साल पुराने मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

यह भी पढ़ें: दुमका एमपी-एमएलए कोर्ट से सांसद निशिकांत दुबे और विधायक नारायण दास को बड़ी राहत, आचार संहिता उल्लंघन मामले हुए बरी

जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजीत कुमार सिंह की अदालत ने मामले की पिछली सुनवाई में ही आरोपी मुस्ताक अंसारी उर्फ मुन्ना मियां को अदालत ने दोषी करार दिया था. गुरुवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए मुस्ताक अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

अपहरण के बाद हत्या का मामला: मामला झारखंड के धनबाद जिले का है. जहां झरिया का रहने वाला 10 वर्षीय शाहनवाज इंडियन स्कूल ऑफ लर्न झरिया में पढ़ाई किया करता था. 12 मार्च 1994 के दिन भी वह रोज की तरह स्कूल पढ़ने के लिए गया था. लेकिन रोज की तरह वह वापस घर नहीं लौटा. स्कूल से वापस लौटने के दौरान मुन्ना उर्फ मुस्ताक, लड्डन वाहिद उर्फ नन्हे और आफताब ने शाहनवाज को अगवा कर लिया. शाहनवाज को एक एंबेसडर कार में बैठा कर तीनों उसे चिरकुंडा स्थित दामोदर नदी के पास ले गए. जहां गाड़ी से उतारकर शाहनवाज की चाकू मारकर हत्या कर कर दी गई.

घटना के बाद मृतक के पिता शराफत हुसैन ने झरिया थाना में हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. पिता ने शिकायत में कहा था कि हत्या के पहले उनसे 50 हजार की रंगदारी की मांग की गई थी. रंगदारी नहीं मिलने पर शाहनवाज का अपहरण कर लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई. मामले में चश्मदीद ने गवाही भी दी. चश्मदीद ने अपहरण और फिर मर्डर की पूरी कहानी कोर्ट को बताई. जिसके बाद अदालत ने अब अपना फैसला सुनाया है.

अन्य दो आरोपियों के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे परिजन: मामले में जहां मुस्ताक अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. वहीं बाकि दो अन्य आरोपी लड्डन वाहिद उर्फ नन्हे और आफताब को अदालत ने पहले ही इस मामले में रिहा कर दिया है. जिसके खिलाफ मृत बच्चे के परिजन ने जिला कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को नोटिस भी जारी की है.

मामले में फैसला आने के बाद मृत शाहनवाज के भाई मोहम्मद इंतकाब ने कहा कि देर से ही सही लेकिन अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. मेरा भाई अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अदालत के फैसले का हम बेहद सम्मान करते हैं. हमें खुशी है कि दोषी को सजा हुई है.

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धनबाद: कहा जाता है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है....लेकिन, अब ये न्यायालय के लिए भी कहा जा सकता है. क्योंकि 10 वर्षीय छात्र की मौत मामले में परिजनों को 29 साल बाद जाकर इंसाफ मिला है. मामला 12 मार्च 1994 का है, जब क्लास टू में पढ़ने वाले 10 वर्षीय छात्र शाहनवाज की चाकू गोदकर हत्या कर दी गई थी. इस 29 साल पुराने मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

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जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजीत कुमार सिंह की अदालत ने मामले की पिछली सुनवाई में ही आरोपी मुस्ताक अंसारी उर्फ मुन्ना मियां को अदालत ने दोषी करार दिया था. गुरुवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए मुस्ताक अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

अपहरण के बाद हत्या का मामला: मामला झारखंड के धनबाद जिले का है. जहां झरिया का रहने वाला 10 वर्षीय शाहनवाज इंडियन स्कूल ऑफ लर्न झरिया में पढ़ाई किया करता था. 12 मार्च 1994 के दिन भी वह रोज की तरह स्कूल पढ़ने के लिए गया था. लेकिन रोज की तरह वह वापस घर नहीं लौटा. स्कूल से वापस लौटने के दौरान मुन्ना उर्फ मुस्ताक, लड्डन वाहिद उर्फ नन्हे और आफताब ने शाहनवाज को अगवा कर लिया. शाहनवाज को एक एंबेसडर कार में बैठा कर तीनों उसे चिरकुंडा स्थित दामोदर नदी के पास ले गए. जहां गाड़ी से उतारकर शाहनवाज की चाकू मारकर हत्या कर कर दी गई.

घटना के बाद मृतक के पिता शराफत हुसैन ने झरिया थाना में हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. पिता ने शिकायत में कहा था कि हत्या के पहले उनसे 50 हजार की रंगदारी की मांग की गई थी. रंगदारी नहीं मिलने पर शाहनवाज का अपहरण कर लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई. मामले में चश्मदीद ने गवाही भी दी. चश्मदीद ने अपहरण और फिर मर्डर की पूरी कहानी कोर्ट को बताई. जिसके बाद अदालत ने अब अपना फैसला सुनाया है.

अन्य दो आरोपियों के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे परिजन: मामले में जहां मुस्ताक अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. वहीं बाकि दो अन्य आरोपी लड्डन वाहिद उर्फ नन्हे और आफताब को अदालत ने पहले ही इस मामले में रिहा कर दिया है. जिसके खिलाफ मृत बच्चे के परिजन ने जिला कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को नोटिस भी जारी की है.

मामले में फैसला आने के बाद मृत शाहनवाज के भाई मोहम्मद इंतकाब ने कहा कि देर से ही सही लेकिन अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. मेरा भाई अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अदालत के फैसले का हम बेहद सम्मान करते हैं. हमें खुशी है कि दोषी को सजा हुई है.

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