पटना: पुण्यतिथि के मौके पर स्वर्गीय इंदिरा गांधी को देश याद कर रहा है. इसके साथ ही याद 13 अगस्त 1977 भी आ रहा है, जब हाथ से सत्ता जाने के बाद इस आयरन लेडी ने दिखाया कि वह सिर्फ सरकार चलाना ही नहीं जानतीं बल्कि विपक्ष के नेता के तौर पर जनता की आवाज भी बुलंद तरीके से उठाना उनको खूब आता है. किसी पूर्व प्रधानमंत्री के द्वारा सामूहिक हत्याकांड के बाद घटनास्थल पर जाने की वह पहली घटना थी. हाथी पर सवार होकर इंदिरा गांधी जब घटना स्थल पर गईं तो फिजा बदल गई. कहा जाता है कि सत्ता में वापसी में इस घटना ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
बेलछी नरसंहार में 11 दलितों की सामूहिक हत्या: बिहार में जातीय संघर्ष का इतिहास लंबा रहा है. साल 1977 में पटना जिले के बेलछी प्रखंड की उस घटना ने पूरे देश को दहला दिया था. 27 मई 1977 को बेलछी गांव में ऊंची जाति के लोगों ने दलित समुदाय के 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. उन 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था. 14 साल के एक लड़के ने जब आग से निकलने की कोशिश की तो उसे भी उठाकर आग में झोंक दिया गया. मरने वालों में आठ पासवान और तीन सुनार जाति से थे.
13 अगस्त 1977 को बेलछी आईं थीं इंदिरा गांधी: घटना पूरे देश में आग की तरफ फैल गई और राजनीतिक गलियारे में भी हड़कंप मच गया. इंदिरा गांधी को जब इस बात की जानकारी मिली तो उस समय वह दिल्ली में अपने घर पर थीं. उन्होंने तुरंत ही बेलछी जाने का फैसला ले लिया, उनके साथ पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल भी थीं. 13 अगस्त को इंदिरा पटना एयरपोर्ट पर पहुंची तो कांग्रेस पार्टी के कई विधायक भी वहां उनसे मिलने पहुंच गए. लोगों के गुस्से को देखते हुए ज्यादातर नेताओं की राय यह थी कि इंदिरा गांधी घटनास्थल पर ना जाएं लेकिन वह नहीं मानीं और बेलछी के लिए निकल पड़ीं.
कीचड़ में फंसी जीप तो पैदल चल पड़ीं: इंदिरा गांधी पटना से बेलछी के लिए रवाना हुईं. रास्ते में जगह-जगह पर 10 से 15 की संख्या में लोग स्वागत के लिए दिखे. इंदिरा गांधी जब हरनौत प्रखंड के बेलछी गांव के आसपास पहुंचीं तो वहां पानी जमा था. दियारा इलाके में पानी में चलना आसान नहीं होता. वहां भी इंदिरा गांधी अड़ गईं और पैदल चलने लगीं. उसके बाद लोगों ने हाथी मंगाने का फैसला किया. मुन्ना शाही के घर से हाथी मंगवाया गया, जिस पर सवार होकर इंदिरा गांधी और प्रतिभा सिंह बेलछी गांव पहुंचीं.
हाथी पर चढ़कर बेलछी गईं थी इंदिरा गांधी: बेलछी गांव में इंदिरा गांधी के साथ रहे कांग्रेस नेता नरेंद्र कुमार उस घटना को याद करते हुए कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री पहलें जीप पर बैठीं थीं लेकिन कुछ दूर जाते ही उनकी गाड़ी कीचड़ में फंस गई. इंदिरा जी ने कहा कि वह पैदल ही जाएंगी. हालांकि उसके बाद हाथी मंगवाया गया. तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केदार पांडेय ने उनसे पूछा कि हाथी पर आप चढ़ेंगी कैसे? जिस पर इंदिरा गांधी ने कहा, 'उसकी चिंता ना करें, मैं चढ़ जाऊंगी. वैसे भी मैं पहले भी हाथी पर बैठ चुकी हूं.'
"इंदिरा गांधी जी बिना हौदे के हाथी की पीठ पर सवार हो गईं. हालांकि प्रतिभा सिंह जी को हाथी पर चढ़ने से डर लग रहा था लेकिन वह इंदिरा जी का पीठ पकड़कर सवार हो गईं. साढ़े तीन घंटे के बाद वह बेलछी गांव पहुंची. बाकी सभी लोग नदी पारकर पैदल ही चलते गए. नदी में उस समय छाती भर पानी था"- नरेंद्र कुमार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता
गंभीरता से लोगों की शिकायत सुनीं थीं पूर्व पीएम: इंदिरा गांधी जब बेलछी पहुंचीं तो वहां उनका सभी लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री बहुत गंभीरता से लोगों की तकलीफ सुन रहीं थीं. अपना आंचल फैलाकर पीड़ित पक्ष की शिकायतों के कागजात ले रहीं थीं. उनको देखने के लिए भारी भीड़ जमा हो गई था. हालांकि उनके दौरे के बाद भी कई राजनेता बेलछी गए लेकिन तब तक इंदिरा छा चुकी थीं. उनके इस दौरे से दिल्ली की सरकार हिल गई थी.
बेलछी ने दिलाई इंदिरा को दोबारा सत्ता?: कांग्रेस नेता श्यामसुंदर सिंह धीरज कहते हैं कि इंदिरा गांधी के साथ एयरपोर्ट से मैं भी बेलछी गांव गया था. जाते समय रोड पर कुछ एक जगह पर 10-15 की संख्या में लोग मौजूद थे. कई बाधाओं को पार कर हम लोग घटनास्थल पर पहुंचे थे. इंदिरा गांधी हर हाल में वहां पहुंचना चाहती थीं. जब इंदिरा गांधी गांव से लौटने लगीं तो फिजा बदली हुई थी. पटना तक हजारों की संख्या में दोनों और लोग सड़कों के किनारे खड़े थे. लोगों ने पूरे गर्मजोशी के साथ इंदिरा गांधी का स्वागत किया, तभी मुझे समझ में आ गया था कि इंदिरा गांधी फिर सत्ता में वापस आ रही हैं और हुआ भी कुछ वैसा ही.
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