नई दिल्लीः भारत में फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल लेनैन (French Ambassador Emmanuel Lenain) ने कहा है कि यूक्रेन में रूस का युद्ध बिना उकसावे के खुलेआम हमला है. उन्होंने कहा कि फ्रांस और भारत खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा पर युद्ध के नतीजों के प्रभाव को कम करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं. राजदूत ने कहा कि फ्रांस ने रूस द्वारा यूक्रेन के चार क्षेत्रों के अवैध कब्जे की कड़ी निंदा की है और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और यूक्रेन की संप्रभुता दोनों का गंभीर उल्लंघन बताया है. संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) के हाल के आह्वान का स्वागत करते हुए, राजदूत ने कहा कि भारत और फ्रांस दोनों के नेता मास्को को बातचीत की मेज पर लौटने के वास्ते राजी करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि पुतिन साम्राज्यवाद के समय में लौटना चाहते हैं और हम यूरोप में कहीं और भी इससे बचना चाहते हैं, खासकर इस क्षेत्र में जहां मैं बात कर रहा हूं. लेनैन ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी हम यह नहीं चाहते हैं और मुझे यकीन है कि भारत नहीं चाहता कि कोई भी पड़ोसी आक्रामकता से सीमाओं पर अतिक्रमण करे. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के हिस्सों को रूस में अवैध तरीके से शामिल करने संबंधी संधियों पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद सात महीने से जारी युद्ध में तनाव और बढ़ गया.
व्लादिमीर पुतिन के इस नवीनतम कदम पर यूरोपीय संघ ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त बयान जारी कर चार क्षेत्रों डोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसन और जापोरिज्जिया के अवैध विलय को खारिज करते हुए उसकी निंदा की थी. फ्रांस के राजदूत ने कहा कि फ्रांस, भारत के निर्णय की स्वायत्तता का बहुत सम्मान करता है और पिछले महीने समरकंद के उज़्बेक शहर में पुतिन के साथ एक बैठक के दौरान मोदी की उस टिप्पणी की सराहना करता है कि आज का युग युद्ध का नहीं है.
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उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह हमेशा की तरह एक बहुत ही स्वागत योग्य टिप्पणी है और आपने देखा है कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister of India Narendra Modi) का उल्लेख और उद्धरण दिया है. हमें ठीक इसी तरह के बयानों की जरूरत है, जो पुतिन से इस युद्ध को रोकने और बातचीत की मेज पर वापस लौटने का आह्वान करते हैं.
(पीटीआई-भाषा)