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अतुल्य भारत : रेलवे के 'विस्टाडोम' डिब्बों से दिखेगा पश्चिमी घाट का मनमोहक नजारा

दक्षिण पश्चिम रेलवे ने यात्रियों को नयनाभिराम पश्चिमी घाटों का दर्शन कराने के लिए बेंगलुरु और मंगलुरु के बीच चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में दो विस्टाडोम डिब्बे लगाए हैं.

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Published : Jul 11, 2021, 7:12 PM IST

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बेंगलुरु : दक्षिण पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनीश हेगड़े के अनुसार इस ट्रेन का मार्ग पश्चिमी घाट, विशेष रूप से सकलेशपुर-सुब्रह्मण्य घाट खंड से होकर गुजरता है. उन्होंने कहा कि यह खंड दर्शनीय है, पहाड़ों, घाटियों, हरियाली के मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं. मानसून में इस इस क्षेत्र की सुंदरता और बढ़ जाती है.

ट्रेन में दो विस्टाडोम डिब्बे होंगे. प्रत्येक डिब्बे में 44 यात्रियों के बैठने की क्षमता होगी. इसकी सीटें 180 डिग्री तक घूम सकती हैं जबकि चौड़ी और बड़ी खिड़कियों से यात्रियों को बाहर का नजारा साफ-साफ दिखेगा.

विस्टाडोम डिब्बों का निर्माण चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्टरी द्वारा एलएचबी (लिंके-हॉफमैन-बुश प्लेटफॉर्म-टेक्नोलॉजी) पर किया गया है. उन्होंने बताया कि इसमें शीशे की छत हैं जिससे यात्री खुले आसमान का नजारा देख सकते हैं. इसके अतिरिक्त डिब्बों के भीतर यात्रियों के लिए कुछ अन्य सुविधाएं भी हैं.

सकलेशपुर-सुब्रह्मण्य घाट खंड से गुजरती ट्रेन
सकलेशपुर-सुब्रह्मण्य घाट खंड से गुजरती ट्रेन

प्रत्येक डिब्बे में सीसीटीवी कैमरे, आग बुझाने के उपकरण, एलईडी डिस्प्ले, ओवन और रेफ्रीजरेटर, मिनी पेंट्री, प्रत्येक सीट पर मोबाइल चार्ज करने जैसी सुविधाएं भी हैं. डिब्बों के दरवाजे स्वत: ही खुलने और बंद होने वाले हैं. साथ ही जैव शौचालय भी बनाए गए हैं.

ट्रेन से यात्रा करने वाली मंगलुरु की एक महिला ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि मंगलुरु और यशवंतपुर के बीच एक ट्रेन में विस्टाडोम डिब्बे लगाए गए हैं तो उन्होंने इससे सफर करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि खुशी है कि मुझे टिकट भी मिल गया.

यह भी पढ़ें-ट्विटर की पहली अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित, 94 शिकायतें मिलीं, 133 यूआरएल पर कार्रवाई

डिब्बों के भीतर जीपीएस आधारित ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाए गए हैं और दिव्यांग यात्रियों की सुविधा के लिए ब्रेल के संकेतक भी हैं. डिब्बों के भीतर सामान रखने के लिए समुचित जगह भी है.

(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरु : दक्षिण पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनीश हेगड़े के अनुसार इस ट्रेन का मार्ग पश्चिमी घाट, विशेष रूप से सकलेशपुर-सुब्रह्मण्य घाट खंड से होकर गुजरता है. उन्होंने कहा कि यह खंड दर्शनीय है, पहाड़ों, घाटियों, हरियाली के मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं. मानसून में इस इस क्षेत्र की सुंदरता और बढ़ जाती है.

ट्रेन में दो विस्टाडोम डिब्बे होंगे. प्रत्येक डिब्बे में 44 यात्रियों के बैठने की क्षमता होगी. इसकी सीटें 180 डिग्री तक घूम सकती हैं जबकि चौड़ी और बड़ी खिड़कियों से यात्रियों को बाहर का नजारा साफ-साफ दिखेगा.

विस्टाडोम डिब्बों का निर्माण चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्टरी द्वारा एलएचबी (लिंके-हॉफमैन-बुश प्लेटफॉर्म-टेक्नोलॉजी) पर किया गया है. उन्होंने बताया कि इसमें शीशे की छत हैं जिससे यात्री खुले आसमान का नजारा देख सकते हैं. इसके अतिरिक्त डिब्बों के भीतर यात्रियों के लिए कुछ अन्य सुविधाएं भी हैं.

सकलेशपुर-सुब्रह्मण्य घाट खंड से गुजरती ट्रेन
सकलेशपुर-सुब्रह्मण्य घाट खंड से गुजरती ट्रेन

प्रत्येक डिब्बे में सीसीटीवी कैमरे, आग बुझाने के उपकरण, एलईडी डिस्प्ले, ओवन और रेफ्रीजरेटर, मिनी पेंट्री, प्रत्येक सीट पर मोबाइल चार्ज करने जैसी सुविधाएं भी हैं. डिब्बों के दरवाजे स्वत: ही खुलने और बंद होने वाले हैं. साथ ही जैव शौचालय भी बनाए गए हैं.

ट्रेन से यात्रा करने वाली मंगलुरु की एक महिला ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि मंगलुरु और यशवंतपुर के बीच एक ट्रेन में विस्टाडोम डिब्बे लगाए गए हैं तो उन्होंने इससे सफर करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि खुशी है कि मुझे टिकट भी मिल गया.

यह भी पढ़ें-ट्विटर की पहली अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित, 94 शिकायतें मिलीं, 133 यूआरएल पर कार्रवाई

डिब्बों के भीतर जीपीएस आधारित ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाए गए हैं और दिव्यांग यात्रियों की सुविधा के लिए ब्रेल के संकेतक भी हैं. डिब्बों के भीतर सामान रखने के लिए समुचित जगह भी है.

(पीटीआई-भाषा)

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