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अग्निपथ योजना को लेकर मन में उठ रहे सवाल, तो यहां पाइए जवाब

अग्निपथ स्कीम को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार ने कुछ तथ्य जारी किए हैं. सरकार ने कहा है कि योजना को लेकर जानबूझकर कई भ्रांतियां फैलाई जा रहीं हैं. सरकारी बयान में कहा गया है कि जो लोग उद्यमी बनना चाहते हैं, उन्हें वित्तीय पैकेज और बैंक ऋण मिलेगा. योजना के माध्यम से उनके लिए अन्य क्षेत्रों में भी कई रास्ते खोले जा रहे हैं.

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Published : Jun 16, 2022, 10:39 PM IST

नई दिल्ली : हाल ही में घोषित अग्निपथ योजना की देशभर में भारी आलोचना हो रही है. खासकर युवाओं को बताने के लिए सरकार ने गुरुवार को इस योजना से संबंधित कुछ 'मिथकों' को दूर करने का प्रयास किया. यह दावा करते हुए कि योजना के लाभार्थियों के रूप में 'अग्निवीर' का भविष्य असुरक्षित है, एक सरकारी बयान में कहा गया है कि जो लोग उद्यमी बनना चाहते हैं, उन्हें वित्तीय पैकेज और बैंक ऋण मिलेगा.

कहा गया है, 'आगे की पढ़ाई के इच्छुक लोगों के लिए कक्षा 12 के समकक्ष प्रमाणपत्र और ब्रिजिंग कोर्स दिया जाएगा. जो कोई भी नौकरी पाना चाहता है, उसे सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) और राज्य पुलिस में प्राथमिकता दी जाएगी. इस योजना के माध्यम से उनके लिए अन्य क्षेत्रों में भी कई रास्ते खोले जा रहे हैं.'

इस दावे को खारिज करते हुए कि अग्निपथ के परिणामस्वरूप युवाओं के लिए अवसर कम हो जाएंगे, सरकार ने कहा कि युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा करने के अवसर बढ़ेंगे. रेजिमेंटल बॉन्डिंग प्रभावित होने के बिंदु पर सरकार ने कहा कि आने वाले वर्षो में अग्निशामकों की भर्ती सशस्त्र बलों में वर्तमान भर्ती के लगभग तिगुनी होगी. रेजिमेंटल प्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. वास्तव में इसे और अधिक बल दिया जाएगा, क्योंकि सर्वश्रेष्ठ अग्निशामकों का चयन किया जाएगा, जिससे एकजुटता को और बढ़ावा मिलेगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह कदम सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता को प्रभावित करेगा, सरकार ने तर्क दिया कि इस तरह की एक अल्पकालिक भर्ती प्रणाली अधिकांश देशों में मौजूद है और इसलिए पहले से ही इसका परीक्षण किया जा चुका है और इसे एक युवा और चुस्त सेना के लिए सर्वोत्तम अभ्यास माना जाता है.

बयान में कहा गया है, 'पहले वर्ष में भर्ती होने वाले अग्निवीरों की संख्या सशस्त्र बलों का केवल 3 प्रतिशत होगी. इसके अतिरिक्त, चार साल के बाद सेना में फिर से शामिल होने से पहले अग्निवीरों के प्रदर्शन का परीक्षण किया जाएगा. इससे सेना को आजमाए हुए कर्मी मिलेंगे.'

सेना के लिए 21 वर्ष उम्र अपरिपक्व और अविश्वसनीय होने के दावों पर सरकार ने कहा कि दुनियाभर में अधिकांश सेनाएं अपने युवाओं पर निर्भर करती हैं. कहा गया है, 'किसी भी समय अनुभवी लोगों की तुलना में युवा अधिक संख्या में नहीं होंगे. वर्तमान योजना में केवल 50-50 प्रतिशत के सही मिश्रण का प्रावधान है, धीरे-धीरे बहुत लंबे समय में युवाओं और अनुभवी पर्यवेक्षी रैंकों सही मिश्रण बन जाएगा.'

सरकार इस तर्क पर भी भारी पड़ गई कि अग्निवीर सफलतापूर्वक समाज के लिए खतरा होंगे और आतंकवादी रैंकों में शामिल हो जाएंगे. सरकार ने कहा कि यह कहना भारतीय सशस्त्र बलों के लोकाचार और मूल्यों का अपमान है.

बयान में कहा गया है, 'चार साल तक वर्दी पहनने वाले युवा जीवनभर देश के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे. अब भी, हजारों लोग सशस्त्र बलों से सेवानिवृत्त होते हैं, कौशल आदि के साथ सेवानिवृत्त होते हैं, लेकिन उनके राष्ट्र विरोधी ताकतों में शामिल होने का कोई उदाहरण नहीं है.'

ये भी पढे़ं : 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन, ट्रेनें जलाईं, पटरियां उखाड़ीं, भाजपा दफ्तर फूंका

नई दिल्ली : हाल ही में घोषित अग्निपथ योजना की देशभर में भारी आलोचना हो रही है. खासकर युवाओं को बताने के लिए सरकार ने गुरुवार को इस योजना से संबंधित कुछ 'मिथकों' को दूर करने का प्रयास किया. यह दावा करते हुए कि योजना के लाभार्थियों के रूप में 'अग्निवीर' का भविष्य असुरक्षित है, एक सरकारी बयान में कहा गया है कि जो लोग उद्यमी बनना चाहते हैं, उन्हें वित्तीय पैकेज और बैंक ऋण मिलेगा.

कहा गया है, 'आगे की पढ़ाई के इच्छुक लोगों के लिए कक्षा 12 के समकक्ष प्रमाणपत्र और ब्रिजिंग कोर्स दिया जाएगा. जो कोई भी नौकरी पाना चाहता है, उसे सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) और राज्य पुलिस में प्राथमिकता दी जाएगी. इस योजना के माध्यम से उनके लिए अन्य क्षेत्रों में भी कई रास्ते खोले जा रहे हैं.'

इस दावे को खारिज करते हुए कि अग्निपथ के परिणामस्वरूप युवाओं के लिए अवसर कम हो जाएंगे, सरकार ने कहा कि युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा करने के अवसर बढ़ेंगे. रेजिमेंटल बॉन्डिंग प्रभावित होने के बिंदु पर सरकार ने कहा कि आने वाले वर्षो में अग्निशामकों की भर्ती सशस्त्र बलों में वर्तमान भर्ती के लगभग तिगुनी होगी. रेजिमेंटल प्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. वास्तव में इसे और अधिक बल दिया जाएगा, क्योंकि सर्वश्रेष्ठ अग्निशामकों का चयन किया जाएगा, जिससे एकजुटता को और बढ़ावा मिलेगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह कदम सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता को प्रभावित करेगा, सरकार ने तर्क दिया कि इस तरह की एक अल्पकालिक भर्ती प्रणाली अधिकांश देशों में मौजूद है और इसलिए पहले से ही इसका परीक्षण किया जा चुका है और इसे एक युवा और चुस्त सेना के लिए सर्वोत्तम अभ्यास माना जाता है.

बयान में कहा गया है, 'पहले वर्ष में भर्ती होने वाले अग्निवीरों की संख्या सशस्त्र बलों का केवल 3 प्रतिशत होगी. इसके अतिरिक्त, चार साल के बाद सेना में फिर से शामिल होने से पहले अग्निवीरों के प्रदर्शन का परीक्षण किया जाएगा. इससे सेना को आजमाए हुए कर्मी मिलेंगे.'

सेना के लिए 21 वर्ष उम्र अपरिपक्व और अविश्वसनीय होने के दावों पर सरकार ने कहा कि दुनियाभर में अधिकांश सेनाएं अपने युवाओं पर निर्भर करती हैं. कहा गया है, 'किसी भी समय अनुभवी लोगों की तुलना में युवा अधिक संख्या में नहीं होंगे. वर्तमान योजना में केवल 50-50 प्रतिशत के सही मिश्रण का प्रावधान है, धीरे-धीरे बहुत लंबे समय में युवाओं और अनुभवी पर्यवेक्षी रैंकों सही मिश्रण बन जाएगा.'

सरकार इस तर्क पर भी भारी पड़ गई कि अग्निवीर सफलतापूर्वक समाज के लिए खतरा होंगे और आतंकवादी रैंकों में शामिल हो जाएंगे. सरकार ने कहा कि यह कहना भारतीय सशस्त्र बलों के लोकाचार और मूल्यों का अपमान है.

बयान में कहा गया है, 'चार साल तक वर्दी पहनने वाले युवा जीवनभर देश के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे. अब भी, हजारों लोग सशस्त्र बलों से सेवानिवृत्त होते हैं, कौशल आदि के साथ सेवानिवृत्त होते हैं, लेकिन उनके राष्ट्र विरोधी ताकतों में शामिल होने का कोई उदाहरण नहीं है.'

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