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Pulwama Attack Anniversary: पुलवामा शहीद हवलदार विजय सोरेंग की चौथी पुण्यतिथि, शहादत को नमन

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Published : Feb 14, 2023, 8:55 AM IST

'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा’ ये पंक्तियां किसी शहीद के स्मारक को देखकर साकार हो उठती हैं. ऐसे ही शहीद स्मारक गुमला में पुलवामा शहीद विजय सोरेंग के गांव में लगाई जा रही हैं. पुलवामा की चौथी बरसी पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में जानिए, शहीद विजय सोरेंग की पूरी कहानी.

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गुमलाः 14 फरवरी 2019 का दिन पूरे देश के लिए काला अध्याय की तरह है. गुरुवार को दोपहर 3.30 बजे जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला से पूरा देश दहल गया था. इस हमले में देश के 40 जवान शहीद हुए और 35 जवान जख्मी हुए. इस हमले में झारखंड के गुमला जिला के बसिया प्रखंड अंतर्गत फरसामा गांव के लाल हवलदार विजय सोरेंग ने भी अपनी शहादत दी थी. उन जवानों की शहादत को 4 वर्ष पूरे हो रहे हैं. शहीद विजय मां भारती की रक्षा में अपने शहादत से आज भी क्षेत्र के लोगों के दिलों में अमर हैं.

इसे भी पढ़ें- Video: देखिए, गुमला में पुलवामा शहीद हवलदार विजय सोरेंग को श्रद्धांजलि

विजय सोरेंग की शहादत के चार वर्ष पूरे हो गए प्रत्येक वर्ष उनकी शहादत दिवस पर उच्च विद्यालय कुम्हारी में स्थापित उनकी प्रतिमा पर सीआरपीएफ बटालियन एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर माल्यार्पण कर श्रद्धा समुन अर्पित की जाती है. लेकिन आज भी शहीद का गांव उपेक्षित है. परिजनों ने कहा कि पहले कई घोषणाएं की गई पर वक्त के साथ सभी भूल गए ना तो गांव का विकास हुआ ना पेयजल की ही सुविधा उपलब्ध हुई. फरसामा गांव को आदर्श गांव बनाने की भी घोषणा की गई थी अब तक किसी तरह की कोई सुविधा यहां उपलब्ध नहीं कराई गयी है.

जानिए कौन हैं शहीद विजय सोरेंगः गुमला के शहीद विजय सोरेंग का जन्म बसिया प्रखंड अंतर्गत फरसामा गांव में हुआ. गांव की मिट्टी में पले बढ़े और प्रारंभिक शिक्षा हासिल की. पिता की तरह देश सेवा की जज्बा लिए विजय 1993 में सेना में भर्ती हुए. इसके बाद वो 1995 में एसपीजी में कमांडो दस्ते में भी शामिल हुए. पुलवामा घटना के वक्ते वो सीआरपीएफ 12 वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे.

शहीद विजय सोरेंग की माता लक्ष्मी देवी एवं पिता बिरिश सोरेन को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है. पिता बिरिश ने बताया कि बेटे के शहीद हुए अब 4 साल पूरे हो गए परंतु अभी भी विश्वास नहीं होता है आज भी यह महसूस होता है कि बेटा कहीं से वापस घर लौट आएगा. उन्होंने कहा कि मैं खुद फौज की नौकरी से रिटायर कर चुका हूं देश की सेवा में बेटे के शहीद होने से खुद को मैं फर्क महसूस करता हूं. शहीद विजय की मां लक्ष्मी सोरेन ने कहा कि बेटे से बिछड़ने का अफसोस तो है पर गर्व भी है कि मेरा बेटा देश की सेवा में शहीद हुआ है.

शहीद विजय सोरेंग के भाई संजय कहते हैं कि भाई के शहीद हुए दो 4 वर्ष पूरे हो गए लेकिन लगता है कि अभी भी ड्यूटी में तैनात है उन्होंने कहा कि भैया ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए इसलिए अभी भी विश्वास नहीं होता कि वे हमारे बीच नहीं हैं. शहीद विजय की पहली पत्नी कारमेला बा रांची होटवार में झारखंड पुलिस महिला बटालियन में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं. वहीं दूसरी पत्नी विमला अपने मायके सिमडेगा में रहती है. पहली पत्नी से पुत्र 24 वर्षीय अरुण को सीआरपीएफ ने नौकरी का प्रस्ताव दिया था लेकिन अरुण ने सरकार से सिविल नौकरी की मांग की थी परंतु सिविल नौकरी मिलने के बाद भी उसने नौकरी में जाने से इनकार कर दिया.

शहीद विजय सोरेंग की दूसरी पत्नी से तीन बेटी और एक बेटा है. जिनमें बड़ी बेटी बरखा सोरेन को जयपुर राजस्थान में निजी कंपनी के द्वारा एवं बेटे राहुल सोरेंग को हरियाणा के झज्जर में निजी स्कूल में कंपनी द्वारा पढ़ाया जा रहा है. पिता बिरिश सोरेंग ने बताया कि मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद होकर अपने राज्य जिला एवं गांव का नाम रोशन करने वाले मेरे बेटे सहित विजय का गांव अभी भी उपेक्षित है.

आदर्श गांव बने शहीद विजय का गांवः पिता ने बताया कि प्रशासन से मांग रखी गई कि कुम्हरी तालाब चौक को विजय चौक बनाकर वहां प्रतिमा स्थापित की जाए. शहीद के नाम से स्टेडियम का निर्माण एवं शहीद के घर तक आने वाली सड़क का किया जाए पर अब तक हमारी एक भी मांग पूरी नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से शहीद विजय सोरेंग की एक नई प्रतिमा बनवाई गई हैं, जिसे कुम्हारी तालाब चौक में बीच चौराहे पर लगाने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति के लिए गए थे.

लेकिन प्रशासन ने नए सड़क सुरक्षा नियम के कारण प्रतिमा को सड़क किनारे लगाने एवं उसके लिए जमीन उपलब्ध कराने की भी बात कहीं गई है. बिरिश ने बताया कि बेटे के शहीद होने के बाद रांची के एक फ्लैट निर्माता कंपनी ने परिजनों को रांची में एक फ्लैट देने की घोषणा की थी. इसके लिए हमें जमीन भी दिखाया गया था पर अब तक फ्लेट नहीं दिया गया. वहीं उन्होंने बताया कि बीसीसीएल एवं सीसीएल ने अपनी घोषणा के अनुसार पांचो बच्चों को 16-16 लाख रुपए दिए हैं.

शहीद विजय की प्रतिमा लगाने की तैयारीः झारखंड के वीर शहीद विजय सोरेंग के पिता बिरिश सोरेंग ने बताया कि बेटे के चौथे शहीद दिवस पर सिसई-बसिया मुख्य पथ पर कुम्हारी तालाब चौक के समीप शहीद विजय की प्रतिमा लगाई जा रही है. इसके लिए मूर्ति तैयार कर ली गई हैं. वहीं कुम्हारी तालाब चौक का नाम बदल कर शहीद विजय सोरेंग चौक रखा जाएगा.

पुलवामा में आतंकी हमलाः 14 फरवरी 2019 को गुरुवार की दोपहर 3.30 बजे पुलवामा में आतंकी हमला हुआ. जैश-ए-मोहम्मद के इशारे पर जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हुए हमले में 40 शहीद हो गए. सड़क के बीच से गुजर रही सीआरपीएफ जवानों से भरी ट्रक को विस्फोटक से भरी कार ने टक्कर मार दी. जिससे जवानों की गाड़ी के परखच्चे उड़ गए. इसके बाद पहले से घात लगाए आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की. इस हमले में 40 जवान शहीद हुए और 35 घायल हुए.

पुलवामा की घटना के देश को बदलकर रख दिया, हमारे सुरक्षा बलों ने प्रतिक्रिया दी और इस हमले के 12 दिन के भीतर आतंकियों के ठिकाने पर भारत का हमला हुआ. भारत ने ये बता दिया कि देश की रक्षा के लिए जरूरत पड़ी तो दुश्मन के घर में घुसकर मार सकते हैं. 26 फरवरी तड़के भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की और उन्हें पूरी तरह से तहसनहस कर दिया. इस हमले ने जैश-ए-मोहम्मद कैडर तबाह हो गया, जिसमें 300 के करीब आतंकी मारे गए.

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गुमलाः 14 फरवरी 2019 का दिन पूरे देश के लिए काला अध्याय की तरह है. गुरुवार को दोपहर 3.30 बजे जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला से पूरा देश दहल गया था. इस हमले में देश के 40 जवान शहीद हुए और 35 जवान जख्मी हुए. इस हमले में झारखंड के गुमला जिला के बसिया प्रखंड अंतर्गत फरसामा गांव के लाल हवलदार विजय सोरेंग ने भी अपनी शहादत दी थी. उन जवानों की शहादत को 4 वर्ष पूरे हो रहे हैं. शहीद विजय मां भारती की रक्षा में अपने शहादत से आज भी क्षेत्र के लोगों के दिलों में अमर हैं.

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विजय सोरेंग की शहादत के चार वर्ष पूरे हो गए प्रत्येक वर्ष उनकी शहादत दिवस पर उच्च विद्यालय कुम्हारी में स्थापित उनकी प्रतिमा पर सीआरपीएफ बटालियन एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर माल्यार्पण कर श्रद्धा समुन अर्पित की जाती है. लेकिन आज भी शहीद का गांव उपेक्षित है. परिजनों ने कहा कि पहले कई घोषणाएं की गई पर वक्त के साथ सभी भूल गए ना तो गांव का विकास हुआ ना पेयजल की ही सुविधा उपलब्ध हुई. फरसामा गांव को आदर्श गांव बनाने की भी घोषणा की गई थी अब तक किसी तरह की कोई सुविधा यहां उपलब्ध नहीं कराई गयी है.

जानिए कौन हैं शहीद विजय सोरेंगः गुमला के शहीद विजय सोरेंग का जन्म बसिया प्रखंड अंतर्गत फरसामा गांव में हुआ. गांव की मिट्टी में पले बढ़े और प्रारंभिक शिक्षा हासिल की. पिता की तरह देश सेवा की जज्बा लिए विजय 1993 में सेना में भर्ती हुए. इसके बाद वो 1995 में एसपीजी में कमांडो दस्ते में भी शामिल हुए. पुलवामा घटना के वक्ते वो सीआरपीएफ 12 वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे.

शहीद विजय सोरेंग की माता लक्ष्मी देवी एवं पिता बिरिश सोरेन को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है. पिता बिरिश ने बताया कि बेटे के शहीद हुए अब 4 साल पूरे हो गए परंतु अभी भी विश्वास नहीं होता है आज भी यह महसूस होता है कि बेटा कहीं से वापस घर लौट आएगा. उन्होंने कहा कि मैं खुद फौज की नौकरी से रिटायर कर चुका हूं देश की सेवा में बेटे के शहीद होने से खुद को मैं फर्क महसूस करता हूं. शहीद विजय की मां लक्ष्मी सोरेन ने कहा कि बेटे से बिछड़ने का अफसोस तो है पर गर्व भी है कि मेरा बेटा देश की सेवा में शहीद हुआ है.

शहीद विजय सोरेंग के भाई संजय कहते हैं कि भाई के शहीद हुए दो 4 वर्ष पूरे हो गए लेकिन लगता है कि अभी भी ड्यूटी में तैनात है उन्होंने कहा कि भैया ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए इसलिए अभी भी विश्वास नहीं होता कि वे हमारे बीच नहीं हैं. शहीद विजय की पहली पत्नी कारमेला बा रांची होटवार में झारखंड पुलिस महिला बटालियन में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं. वहीं दूसरी पत्नी विमला अपने मायके सिमडेगा में रहती है. पहली पत्नी से पुत्र 24 वर्षीय अरुण को सीआरपीएफ ने नौकरी का प्रस्ताव दिया था लेकिन अरुण ने सरकार से सिविल नौकरी की मांग की थी परंतु सिविल नौकरी मिलने के बाद भी उसने नौकरी में जाने से इनकार कर दिया.

शहीद विजय सोरेंग की दूसरी पत्नी से तीन बेटी और एक बेटा है. जिनमें बड़ी बेटी बरखा सोरेन को जयपुर राजस्थान में निजी कंपनी के द्वारा एवं बेटे राहुल सोरेंग को हरियाणा के झज्जर में निजी स्कूल में कंपनी द्वारा पढ़ाया जा रहा है. पिता बिरिश सोरेंग ने बताया कि मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद होकर अपने राज्य जिला एवं गांव का नाम रोशन करने वाले मेरे बेटे सहित विजय का गांव अभी भी उपेक्षित है.

आदर्श गांव बने शहीद विजय का गांवः पिता ने बताया कि प्रशासन से मांग रखी गई कि कुम्हरी तालाब चौक को विजय चौक बनाकर वहां प्रतिमा स्थापित की जाए. शहीद के नाम से स्टेडियम का निर्माण एवं शहीद के घर तक आने वाली सड़क का किया जाए पर अब तक हमारी एक भी मांग पूरी नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से शहीद विजय सोरेंग की एक नई प्रतिमा बनवाई गई हैं, जिसे कुम्हारी तालाब चौक में बीच चौराहे पर लगाने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति के लिए गए थे.

लेकिन प्रशासन ने नए सड़क सुरक्षा नियम के कारण प्रतिमा को सड़क किनारे लगाने एवं उसके लिए जमीन उपलब्ध कराने की भी बात कहीं गई है. बिरिश ने बताया कि बेटे के शहीद होने के बाद रांची के एक फ्लैट निर्माता कंपनी ने परिजनों को रांची में एक फ्लैट देने की घोषणा की थी. इसके लिए हमें जमीन भी दिखाया गया था पर अब तक फ्लेट नहीं दिया गया. वहीं उन्होंने बताया कि बीसीसीएल एवं सीसीएल ने अपनी घोषणा के अनुसार पांचो बच्चों को 16-16 लाख रुपए दिए हैं.

शहीद विजय की प्रतिमा लगाने की तैयारीः झारखंड के वीर शहीद विजय सोरेंग के पिता बिरिश सोरेंग ने बताया कि बेटे के चौथे शहीद दिवस पर सिसई-बसिया मुख्य पथ पर कुम्हारी तालाब चौक के समीप शहीद विजय की प्रतिमा लगाई जा रही है. इसके लिए मूर्ति तैयार कर ली गई हैं. वहीं कुम्हारी तालाब चौक का नाम बदल कर शहीद विजय सोरेंग चौक रखा जाएगा.

पुलवामा में आतंकी हमलाः 14 फरवरी 2019 को गुरुवार की दोपहर 3.30 बजे पुलवामा में आतंकी हमला हुआ. जैश-ए-मोहम्मद के इशारे पर जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हुए हमले में 40 शहीद हो गए. सड़क के बीच से गुजर रही सीआरपीएफ जवानों से भरी ट्रक को विस्फोटक से भरी कार ने टक्कर मार दी. जिससे जवानों की गाड़ी के परखच्चे उड़ गए. इसके बाद पहले से घात लगाए आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की. इस हमले में 40 जवान शहीद हुए और 35 घायल हुए.

पुलवामा की घटना के देश को बदलकर रख दिया, हमारे सुरक्षा बलों ने प्रतिक्रिया दी और इस हमले के 12 दिन के भीतर आतंकियों के ठिकाने पर भारत का हमला हुआ. भारत ने ये बता दिया कि देश की रक्षा के लिए जरूरत पड़ी तो दुश्मन के घर में घुसकर मार सकते हैं. 26 फरवरी तड़के भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की और उन्हें पूरी तरह से तहसनहस कर दिया. इस हमले ने जैश-ए-मोहम्मद कैडर तबाह हो गया, जिसमें 300 के करीब आतंकी मारे गए.

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