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Women Reservation Bill: राबड़ी देवी ने की आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग, बोलीं- उपेक्षित वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो

लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए मोदी सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया है. इस पर सियासी दलों की ओर से प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य हो, तभी उपेक्षित वर्ग की महिलाओं को उसका अधिकार मिल पाएगा.

महिला आरक्षण बिल पर राबड़ी देवी की प्रतिक्रिया
महिला आरक्षण बिल पर राबड़ी देवी की प्रतिक्रिया
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 19, 2023, 3:19 PM IST

पटना: आरजेडी नेता और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने महिला आरक्षण बिल को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है. लिहाजा मेरा मानना है कि इनके लिए आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य हो.

ये भी पढ़ें: Women Reservation Bill: दशकों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक का जानें कौन है विरोधी और क्यों

राबड़ी ने क्या लिखा?: राबड़ी देवी ने अपने एक्स (ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, "महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित,खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो।मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है. अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है, इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है."

  • महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित,खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो।मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है।

    अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है।

    — Rabri Devi (@RabriDeviRJD) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश: दरअसल संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया है. इसके तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित रहेंगी. यानी लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रहेंगी.

महिला आरक्षण बिल पर आरजेडी का रुख?: 27 सालों से महिला आरक्षण बिल लंबित पड़ा है. इससे पहले यूपीए सरकार ने 2010 में राज्यसभा से इसे पारित कराया था लेकिन लोकसभा में विधेयक लटक गया था. उस वक्त कांग्रेस की सहयोगी आरजेडी और समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग की थी. जिस वजह से बिल लोकसभा में नहीं लाया गया था.

पटना: आरजेडी नेता और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने महिला आरक्षण बिल को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है. लिहाजा मेरा मानना है कि इनके लिए आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य हो.

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राबड़ी ने क्या लिखा?: राबड़ी देवी ने अपने एक्स (ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, "महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित,खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो।मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है. अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है, इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है."

  • महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित,खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो।मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है।

    अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है।

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लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश: दरअसल संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया है. इसके तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित रहेंगी. यानी लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रहेंगी.

महिला आरक्षण बिल पर आरजेडी का रुख?: 27 सालों से महिला आरक्षण बिल लंबित पड़ा है. इससे पहले यूपीए सरकार ने 2010 में राज्यसभा से इसे पारित कराया था लेकिन लोकसभा में विधेयक लटक गया था. उस वक्त कांग्रेस की सहयोगी आरजेडी और समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग की थी. जिस वजह से बिल लोकसभा में नहीं लाया गया था.

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