नई दिल्ली : चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें मतगणना पर टिकी हैं. सुबह आठ बजे से मतगणना होगी. सबसे पहले पोस्टल वोटिंग और उसके बाद ईवीएम में पड़े मतों की गिनती होगी. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभाओं के लिए कुल 7032 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. हालांकि, राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर सबकी निगाहें टिक गई हैं. यूपी की स्थिति पर चर्चा करने से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां.
पांचों राज्यों में सरकार बनाने के लिए कितनी-कितनी सीटों की जरूरत होगी...
उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटें हैं. पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए किसी भी दल को 202 सीटें चाहिए.
उत्तराखंड में विधानसभा की 70 सीटें हैं. पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए किसी भी दल को 36 सीटें चाहिए.
पंजाब में विधानसभा की 117 सीटें हैं. बहुमत के लिए 59 सीटों की जरूरत होगी.
गोवा राज्य में विधानसभा की 40 सीटें हैं. पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए किसी भी दल को 21 सीटें चाहिए.
मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं. पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए किसी भी दल को 31 सीटें चाहिए.
कितने प्रत्याशियों की किस्मत का होगा फैसला
यूपी की 403 विधानसभा सीटों के लिए 4,412 कैंडिडेट की किस्मत का फैसला होगा. उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटों के लिए 750 प्रत्याशियों ने नामांकन भरा था. गोवा की 40 सीटों पर 301 उम्मीदवारों की किस्मत का होगा फैसला. पंजाब में 117 सीटों पर 1304 उम्मीदवारों की किस्मत का होगा फैसला. मणिपुर में कुल 265 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा.
पंजाब - पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी एस करुणा राजू ने बताया कि सुबह आठ बजे से 66 स्थानों पर बने 117 केन्द्रों पर मतगणना शुरू होगी. इस बार 93 महिलाओं और दो ट्रांसजेंडर सहित कुल 1,304 उम्मीदवार मैदान में हैं. उन्होंने बताया कि राज्य में 71.95 प्रतिशत मतदान हुआ था. पिछले तीन विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार सबसे कम मतदान हुआ था. 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव में 77.40 प्रतिशत, 2012 में 78.20 प्रतिशत और 2007 में 75.45 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2002 में केवल 65.14 प्रतिशत मतदान हुआ था.
राज्य में 1986 से कभी शिरोमणिअकाली दल तो कभी कांग्रेस की सरकार बनी है. कांग्रेस के लिए इस बार काफी कुछ दांव पर लगा है, क्योंकि उसे पंजाब से जीत की उम्मीद अधिक है, जहां वह खुद को सत्ता में बरकार रखने की पूरी कोशिश कर रही है. उसने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को ही मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया और उनके जरिए अनुसूचित जाति के वोट हासिल करने की उम्मीद भी की. पंजाब की लगभग 32 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति से नाता रखती है. 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस ने 117 में से 77 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर शिअद-भाजपा गठबंधन के दस साल के शासन को समाप्त किया था. चुनाव में आप को 20 सीट, शिअद-भाजपा गठबंधन को 18 सीट और लोक इंसाफ पार्टी को दो सीट पर जीत मिली थी.
उत्तराखंड - यहां की 70 विधानसभा सीटों के लिए 10 मार्च सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हो जाएगी. मतगणना शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो, इसको लेकर केंद्रीय सशस्त्र बल सहित उत्तराखंड पुलिस के अलग-अलग इकाइयों की भारी संख्या में फोर्स लगाई गई है. अलग-अलग विधानसभा सीटों के स्ट्रांग रूम से लेकर काउंटिंग स्थल तक 500 से ज्यादा सुरक्षा बल कड़े पहरे में तैनात किए गए हैं. प्रत्येक विधानसभा सीट मतगणना के लिए कुल 21 टेबल लगाए गए हैं. इनमें 14 टेबल ईवीएम के वोटिंग काउंटिंग के लिए जबकि 7 टेबल पोस्टल बैलट पेपर के लिए रखी गई है.
काउंटिंग स्थल के मुख्य द्वार से निर्वाचन मतगणना वाले कर्मचारी आवाजाही करेंगे. जबकि दूसरे द्वार से प्रत्याशी और उनके उनके एजेंट जा सकेंगे. मतगणना स्थल पर पूर्ण रूप से मोबाइल, ज्वलनशील पदार्थ और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है. चुनाव आयोग के निर्देशानुसार कोविड-19 गाइडलाइन को देखते हुए इस बार विजय जुलूस पर पाबंदी लगाई गई है.
गोवा - भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में विधानसभा चुनाव के बाद कुछ क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनायी थी. चुनावों के तुरंत बाद विश्वजीत राणे पहले विधायक थे जिन्होंने इस्तीफा दिया था. वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. बाद में वह अपनी पारंपरिक वालपोई विधानसभा सीट से उपचुनाव जीते. यही वजह है कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि इस बार भी उनके विधायक पाला बदल लें. उसने अभी से ही अपने उम्मीदवारों को बाहर भेजना शुरू कर दिया है. वह संभवत: ऐसा 2017 की उस असफलता की पुनरावृत्ति से बचने के लिए किया है, जब वह गोवा में सबसे अधिक सीटें हासिल करने के बावजूद सरकार बनाने में विफल रही थी.
निगाहें यूपी पर
चुनाव नतीजों से यह तय हो जाएगा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश में लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाकर कीर्तिमान रचती है या समाजवादी पार्टी (सपा) पांच साल बाद फिर सत्ता में लौटती है, या फिर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अथवा अन्य कोई दल या गठबंधन सभी को चौंकाते हुए सत्ता शीर्ष पर पहुंचता है.
चुनाव परिणाम से यह भी तय होगा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की नई तरह की राजनीति रंग लाएगी या नहीं, सपा मुखिया अखिलेश यादव की अपील परवान चढ़ेगी या नहीं या फिर भाजपा का करिश्मा एक बार फिर अपना जादू दिखाएगा.
राज्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना राज्य के सभी 75 जिलों में सुबह आठ बजे शुरू होगी. सबसे पहले पोस्टल बैलट की गिनती होगी. उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में पड़े मतों की गणना की जाएगी. निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि मतगणना स्थल पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए सैनिटाइजर, मास्क, ग्लव्स और थर्मल स्कैनर की व्यवस्था की गई है.
उन्होंने बताया कि हर विधानसभा क्षेत्र में पांच मशीन की वीवीपैट पर्ची की गिनती भी की जाएगी. मतगणना केंद्रों पर वीडियो कैमरा और स्टैटिक कैमरा भी लगाए जाएंगे. साथ ही हर केंद्र पर मीडिया सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे. हर विधानसभा क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में सहायक पीठासीन अधिकारियों की तैनाती की गई है, ताकि मतगणना का कार्य निर्बाध रूप से पूरा किया जा सके. अधिकारी ने बताया कि सभी मतगणना केंद्रों की त्रिस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित की गई है. इसमें केंद्रीय पुलिस बल, पीएसी तथा राज्य पुलिस बल शामिल हैं.
तमाम मतगणना केंद्रों पर 250 कंपनी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात किये गये हैं. इनमें से 36 कंपनियों को ईवीएम की सुरक्षा में तैनात किया गया है जबकि 214 को मतगणना के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है. मतगणना के दौरान कुल 61 कंपनी पीएसी बल भी तैनात किये गये हैं.
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश पुलिस के 625 राजपत्रित अधिकारी, 1807 इंस्पेक्टर, 9598 दारोगा, 11627 हेड कांस्टेबल और 48649 कांस्टेबल को मतगणना के दौरान सुरक्षा में तैनात किया गया है. उत्तर प्रदेश के चुनावी घमासान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की निगरानी को लेकर भी विपक्षी दल काफी सतर्क हैं और उन्होंने विभिन्न जिलों में मशीनों के रखे जाने वाले स्थलों के बाहर बाकायदा अपने कैंप लगाकर निगरानी शुरू कर दी है.
मंगलवार को सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वाराणसी में मतगणना के दौरान धांधली करने के मकसद से तीन ट्रकों से ईवीएम ले जाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा मतदाताओं के वोट चुराने की कोशिश कर रही है. हालांकि चुनाव आयोग ने इसे गलत और अफवाह बताते हुए स्पष्ट किया कि वे मशीन मतगणना ड्यूटी में लगाए गए कर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिए ले जाई जा रही थी.
वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के मुताबिक मंगलवार को वाराणसी में सपा कार्यकर्ताओं द्वारा जो ट्रक रोका गया, उसमें रखी 20 ईवीएम मतगणना कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए ले जाई जा रही थीं. इन सभी ईवीएम को विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के सामने जांचा परखा गया. इस दौरान यह पाया गया कि इन मशीनों का मुख्य मतदान से कोई लेना-देना नहीं है.
पिछले सोमवार को सातवें और अंतिम चरण के मतदान के बाद विभिन्न समाचार चैनलों द्वारा दिखाए गए एग्जिट पोल में उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनने का दावा किया गया है. हालांकि उनमें सपा की सीटों की संख्या पहले से अधिक होने की संभावना भी जताई गई है. इसके अलावा बसपा के दहाई के अंक तक सिमट जाने और कांग्रेस को 10 से कम सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है. हालांकि सपा और बसपा ने एग्जिट पोल को पूरी तरह से खारिज करते हुए पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा किया.
योगी आदित्यनाथ अगर चुनाव के बाद दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह सामान्य निर्वाचन के बाद लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति होंगे. भाजपा ने वर्ष 2017 में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. पिछले विधानसभा चुनाव में इस पार्टी को 403 में से 312 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, उसके सहयोगियों अपना दल (सोनेलाल) को नौ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को चार सीटें मिली थी. भाजपा ने इस बार अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा, जबकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बार राष्ट्रीय लोक दल तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी समेत कई क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण होने के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश में जगह-जगह ताबड़तोड़ रैलियां कीं. वैसे तो उनके निशाने पर सभी विपक्षी दल रहे लेकिन उनका विशेष जोर सपा पर हमले बोलने पर ही रहा.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 131 चुनावी रैलियां और रोड शो किए. हालांकि बसपा अध्यक्ष मायावती देर से चुनाव मैदान में उतरीं, मगर उन्होंने प्रमुख स्थानों पर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में रैलियां कीं. कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में पुनर्जीवित करने की जुगत में लगी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सबसे आगे आकर पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली और अन्य पार्टियों के शीर्ष नेताओं के मुकाबले सबसे ज्यादा 209 रैलियां और रोड शो की हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रायबरेली में वर्चुअल रैली को संबोधित किया, जबकि पार्टी पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी तथा वाराणसी में आयोजित दो रैलियों में शिरकत की.
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