मुंबई: भारत सरकार के केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने गाड़ियों के लिए भारत सीरीज (BH-Series) लॉन्च की है. भारत सीरीज के तहत देश के पहले वाहन को मुंबई में पंजीकृत किया गया है. महाराष्ट्र के परिवहन राज्य मंत्री सतेज पाटिल की मौजूदगी में 'बीएच' श्रृंखला में पहले पंजीकृत वाहन का अनावरण किया गया. इसी कड़ी में आरसीएफ में कार्यरत एक महिला अधिकारी की गाड़ी का रजिस्ट्रेशन किया गया.
नई BH सीरीज के मुताबिक वाहन का रिजस्ट्रेशन कराने वाली आरसीएफ में कार्यरत श्रद्धा सुटे ने कहा कि परिवहन राज्य मंत्री के समन्वय से महज आठ दिनों में पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी. उन्होंने कहा कि इससे देश में कहीं भी गाड़ी चलाना आसान हो गया है. उन्होंने बीएच सीरीज का प्रशंसा की.
देश में नया वाहन खरीदने के बाद वाहन को संबंधित राज्य के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में पंजीकृत कराना अनिवार्य है. पंजीकरण के समय, वाहन संख्या संबंधित राज्य से जुड़े विशिष्ट पत्र से होती है. इससे यह स्पष्ट होता है कि संबंधित वाहन किस राज्य में पंजीकृत है. उदाहरण के लिए, 'MH' अक्षर महाराष्ट्र के लिए और 'UK' अक्षर उत्तराखंड के लिए उपयोग किए जाते हैं.
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यही वजह है कि प्रत्येक राज्य में वाहनों के पंजीकरण के कारण यदि एक राज्य में पंजीकृत वाहन दूसरे राज्य में जाता है तो संबंधित वाहन के मालिक को विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. फलस्वरूप उन्हें रोड टैक्स से लेकर कई अन्य नियमों से जूझना पड़ता है. नतीजतन, लोगों को देश में अपने स्वयं के वाहन में यात्रा करते समय कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
कौन ले सकता है भारत सीरीज का नंबर :फिलहाल यह योजना का लाभ रक्षा कर्मियों, केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों, सार्वजनिक उपक्रमों में काम करने वालों को मिलेगा. इसके अलावा ऐसी प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारी भी BH सीरीज के लिए एप्लाई कर सकते हैं, जिसके ऑफिस चार या अधिक राज्यों में है. मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि BH सीरीज का नंबर लेना अनिवार्य नहीं है. आप किसी भी राज्य के परिवहन विभाग से नंबर ले सकते हैं.
फायदा क्या होगा : इसका सबसे अधिक लाभ कमर्शल वाहनों को मिलेगा, जो अपनी कंपनियों के लिए कई राज्यों में जाते हैं. जिन गाड़ियों पर लोन है, उन्हें भी राज्य बदलने पर पेपर वर्क के लिए बैंकों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. BH सीरीज की गाड़ी जिन लोगों के पास होगी, उन्हें दूसरे राज्य में किसी को गाड़ी बेचने के लिए वहां दोबारा रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पड़ेगा. साथ ही दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आरटीओ के चक्कर भी नहीं लगाने होंगे.