गयाः बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी गरीब जगाओ रैली (Former CM Jitan Ram Manjhi) कर रहे हैं. गया में आयोजित कार्यक्रम में पहले दिन जीतम राम मांझी का मंच टूट गया तो दूसरे दिन अमीरों का मजाक उड़ाते नजर आए. जीतनराम मांझी ने कहा कि अमीरों का बच्चा पोस्टकार्ड से ही पैदा हो जाता है. हमलोग गरीब हैं, परिवार के साथ रहते हैं, इसलिए ज्यादा बच्चा हो जाता है. अब कोई साथ ही नहीं रहेगा तो बच्चा कैसे पैदा होगा जी? जीतन राम मांक्षी के इस भाषण पर कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने खूब ठहाके लगाए. इस दौरान लोगों ने खूब मजे भी लिए.
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"जब आरक्षण मिला तो 16 प्रतिशत मिला, जिसमें आठ प्रतिशत आदिवासी को भी मिला है. दोनों मिलाकर 24 प्रतिशत हुआ. एक बार फिर गौर किया जाए तो यह 33 से 34 प्रतिशत हो जाएगा. इसके पीछे तर्क भी है. गरीब लोग अपने परिवार के साथ रहता है इसलिए ज्यादा बच्चा पैदा हो जाता है. अमीर लोग साथ में नहीं रहता तो नहीं होता है. अमीरों का बच्चा पोस्टकार्ड पर ही हो जाता है." - जीतन राम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार
पूर्व सीएम केवी सहाय का दिया उदाहरणः गया में जीतन राम मांझी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, जिसमें उन्होंने सरकार से आरक्षण की मांग की. मांझी ने बिहार के पूर्व सीएम केवी सहाय का उदाहरण दिया. कहा कि विधानसभा में केवी सहाय और कामख्या नारायण सिंह के बीच जनसंख्या को लेकर झगड़ा हो गया था. जिसपर कामख्या नारायण ने कहा था कि केवी सहाय क्या मुख्यमंत्री बनेंगे, इनके पास तो खुद 7 बेटा है, क्या जनसंख्या कंट्रोल करेंगे. जिसपर केवी सहाय ने कहा था कि हम तो गरीब है परिवार के साथ रहते हैं, इसलिए ज्यादा बच्चा हो जाता है लेकिन बड़का लोग का बात अलग है. पति रहता है दार्जिलिंग और पत्नी शिमला तो पोस्टकार्ड पर ही न बच्चा पैदा हो होगा.
आरक्षण का दायरा बढ़ाने की जरूरतः जीतनराम मांझी का कहना था कि गरीब का जनसंख्या ज्यादा बढ़ता है. अमीरों का 2.50 तो गरीबों का 5 प्रतिशत जनसंख्या बढ़ता है. इसलिए हमलोगों को 35 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए. फिर क्यों 15 प्रतिशत दिया जा रहा है. इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि गरीबों को आरक्षण दिया जाए. मांझी ने कहा कि अब दलित आदिवासियों का प्रतिशत 32/34 हो चुका है. इसलिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने की जरूरत है.
कौन हैं केवी सहायः बता दें कि केवी सहाय का पूरा नाम कृष्ण बल्लभ सहाय था, जो बिहार के चौथे सीएम थे. जिनका जन्म 1898 में हुआ था और 1974 में मृत्यु हुई थी. केवी सहाय उस समय मुख्यमंत्री रहे जिस समय बिहार से झारखंड अलग नहीं हुआ था. केवी सहाय का आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका रही थी. 1924 में वे पहली बार कांग्रेस से बिहार विधान परिषद के सदस्य बने थे. 1963 में वे बिहार के चौथे सीएम बने जो 1967 तक रहे. वहीं कामख्या नारायाण सिंह भी उस समय कांग्रेस के नेता थे. कामख्या नारायण सिंह का पूरा नाम महाराजा कामाख्या नारायण सिंह बहादुर था, जो बिहार से बंटवारा के बाद झारखंड के हो गए.