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तेल बॉन्ड नहीं, मोदी सरकार के सब्सिडी घटाने और कर बढ़ाने से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े: कांग्रेस - मोदी सरकार पर निशाना

कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होने से संबंधित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान को लेकर मंगलवार को उन पर निशाना साधा है. पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने यह दावा भी किया कि वित्त मंत्री भाजपा की 'झूठ से बैर नहीं, सच की खैर नहीं' वाली नीति पर अमल कर रही हैं.

तेल बॉन्ड
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Published : Aug 17, 2021, 10:27 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होने से संबंधित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान को लेकर मंगलवार को उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि तेल बॉन्ड के कारण नहीं, बल्कि मोदी सरकार की ओर से 12 बार सब्सिडी घटाए जाने और केंद्रीय करों में बढ़ोतरी करने के कारण पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ी हैं.

पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने यह दावा भी किया कि वित्त मंत्री भाजपा की 'झूठ से बैर नहीं, सच की खैर नहीं' वाली नीति पर अमल कर रही हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अब तक के सबसे उच्चस्तर पर पहुंचे पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी के लिये उत्पाद शुल्क में कटौती से इनकार करते हुये कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इन ईंधनों पर दी गई भारी सब्सिडी के एवज में किये जा रहे भुगतान के कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं.

कांग्रेस नेता अजय माकन का बयान.

कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई थी. तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिये कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉंड जारी किए थे. उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डालर प्रति बैरल से ऊपर निकल गये थे.

माकन ने संवाददाताओं से कहा, 'केंद्र की सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने तेल बॉन्ड पर 73,440 करोड़ रुपये खर्च किये, जबकि गत सात वर्षों में उसने पेट्रोलियम उत्पादों पर कर के जरिये 22.34 लाख करोड़ रुपये वसूले. तेल बॉन्ड पर खर्च इस कर संग्रह का 3.2 प्रतिशत था.'

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने का असली कारण ये तेल बॉन्ड नहीं हैं, बल्कि यह है कि इस सरकार ने 12 बार सब्सिडी घटाई और तीन बार करों में बढ़ोतरी की.

यह भी पढ़ें- सुष्मिता देव पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया : कोई जाता है, कई और आएंगे

उन्होंने दावा किया कि साल 2020-21 में ही पेट्रोल-डीजल पर लगाये गये 'मोदी टैक्स' से सरकार को 4,53,812 करोड़ रुपये का राजस्व मिला जो 2013-14 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है.

माकन के मुताबिक, केंद्र की भाजपा सरकार ने गत सात वर्षों में पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय करों में क्रमश: 23.87 रुपये और 28.37 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की और उसने हर बार औसतन 1,89,711 करोड़ रुपये अतिरिक्त वसूले.

उन्होंने कहा, 'पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के आंकड़ों के अनुसार, संप्रग सरकार के समय 2012-13 में पेट्रोलियम उत्पादों पर 1,64,387 करोड़ रुपये और 2013-14 में 1,47,025 करोड़ रुपये की सब्सिडी थी . मोदी सरकार ने इस सब्सिडी में हर साल कमी की और 2020-21 में यह घटकर 12,231 करोड़ रुपये ही रह गई.'

उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के दौर में भी इस 'असंवेदनशील सरकार' ने 15 महीनों में पेट्रोल की कीमत में 32.25 रुपये और डीजल की कीमत में 27.58 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की.

नई दिल्ली : कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं होने से संबंधित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान को लेकर मंगलवार को उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि तेल बॉन्ड के कारण नहीं, बल्कि मोदी सरकार की ओर से 12 बार सब्सिडी घटाए जाने और केंद्रीय करों में बढ़ोतरी करने के कारण पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ी हैं.

पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने यह दावा भी किया कि वित्त मंत्री भाजपा की 'झूठ से बैर नहीं, सच की खैर नहीं' वाली नीति पर अमल कर रही हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अब तक के सबसे उच्चस्तर पर पहुंचे पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी के लिये उत्पाद शुल्क में कटौती से इनकार करते हुये कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इन ईंधनों पर दी गई भारी सब्सिडी के एवज में किये जा रहे भुगतान के कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं.

कांग्रेस नेता अजय माकन का बयान.

कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई थी. तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिये कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉंड जारी किए थे. उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डालर प्रति बैरल से ऊपर निकल गये थे.

माकन ने संवाददाताओं से कहा, 'केंद्र की सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने तेल बॉन्ड पर 73,440 करोड़ रुपये खर्च किये, जबकि गत सात वर्षों में उसने पेट्रोलियम उत्पादों पर कर के जरिये 22.34 लाख करोड़ रुपये वसूले. तेल बॉन्ड पर खर्च इस कर संग्रह का 3.2 प्रतिशत था.'

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने का असली कारण ये तेल बॉन्ड नहीं हैं, बल्कि यह है कि इस सरकार ने 12 बार सब्सिडी घटाई और तीन बार करों में बढ़ोतरी की.

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उन्होंने दावा किया कि साल 2020-21 में ही पेट्रोल-डीजल पर लगाये गये 'मोदी टैक्स' से सरकार को 4,53,812 करोड़ रुपये का राजस्व मिला जो 2013-14 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है.

माकन के मुताबिक, केंद्र की भाजपा सरकार ने गत सात वर्षों में पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय करों में क्रमश: 23.87 रुपये और 28.37 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की और उसने हर बार औसतन 1,89,711 करोड़ रुपये अतिरिक्त वसूले.

उन्होंने कहा, 'पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के आंकड़ों के अनुसार, संप्रग सरकार के समय 2012-13 में पेट्रोलियम उत्पादों पर 1,64,387 करोड़ रुपये और 2013-14 में 1,47,025 करोड़ रुपये की सब्सिडी थी . मोदी सरकार ने इस सब्सिडी में हर साल कमी की और 2020-21 में यह घटकर 12,231 करोड़ रुपये ही रह गई.'

उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के दौर में भी इस 'असंवेदनशील सरकार' ने 15 महीनों में पेट्रोल की कीमत में 32.25 रुपये और डीजल की कीमत में 27.58 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की.

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