पटना : पटना हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के सक्रिय सदस्य के आरोप में गिरफ्तार तीन सदस्यों में से एक को शर्तों के साथ जमानत दे दी गई. वहीं दो आरोपियों को जमानत देने से साफ इंकार कर दिया गया. जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने जलालुद्दीन खान उर्फ मो. जलालुद्दीन और अथर परवेज को जमानत देने से इंकार कर दिया. वहीं नूरूद्दीन जंगी उर्फ एडवोकेट नूरूद्दीन जंगी को शर्तों के साथ जमानत दी गई.
आरोपी को पासपोर्ट जमा करने का आदेश : कोर्ट ने नूरूद्दीन जंगी को अपना पासपोर्ट जमा करने का आदेश दिया. साथ ही साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने इस केस के जांच अधिकारी के बुलाने पर उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया है. गौरतलब है कि पुलिस ने जलालुद्दीन खान उर्फ मो. जलालुद्दीन और अथर परवेज को पीएफआई के सक्रिय सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. फुलवारीशरीफ थाना कांड संख्या 827/22 दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी.
एनआईए कर रही मामले की जांच : बाद में इस मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को 22 जुलाई 2022 को सौंप दिया गया. मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने अगस्त 2022 में पीएफआई को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया. उनका कहना था कि प्रतिबंधित संगठन घोषित किये जाने के पूर्व इस संगठन के लोग पूरे देश में चुनाव लड़े थे.
इंडिया 2047 नाम का मिला था बुकलेट : उनका कहना था कि सात पन्ने का इंडिया 2047 नामक बुकलेट पाये जाने के आरोप में जलालुद्दीन खान उर्फ मो जलालुद्दीन और अथर परवेज को गिरफ्तार किया गया था. वहीं नूरूद्दीन जंगी उर्फ एडवोकेट नूरूद्दीन जंगी को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था. उनका कहना था कि प्रतिबंधित संगठन घोषित करने के पूर्व की घटना है.
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